इंदौर में पीएफआई की राजनीतिक शाखा एसडीपीआई के प्रदेशाध्यक्ष अब्दुल रऊफ की जिलाबदर के खिलाफ याचिका खारिज 

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Jitendra Shrivastava
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इंदौर में पीएफआई की राजनीतिक शाखा एसडीपीआई के प्रदेशाध्यक्ष अब्दुल रऊफ की जिलाबदर के खिलाफ याचिका खारिज 

संजय गुप्ता, INDORE. केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंधित किए गए पीएफआई की राजनीतिक शाखा एसडीपीआई के मप्र के प्रदेशाध्यक्ष अब्दुल रउफ बेलिम की जिलाबदर के खिलाफ लगाई गई याचिका हाईकोर्ट इंदौर बेंच ने खारिज कर दी है। रऊफ अभी भोपाल जेल में बंद हैं। वह मूल रूप से इंदौर का रहने वाला है। एनआईए द्वारा सितंबर 2022 में देशव्यापी छापामार कार्रवाई के बाद वह चर्चा में आया था। हालांकि, इसके पहले ही अगस्त 2022 में इंदौर पुलिस कमिशनर हरिनारायण चारी मिश्र ने मप्र राज्य सुरक्षा एक्ट 1990 के तहत उसे इंदौर, धार, उज्जैन, देवास, खंडवा और खरगोन से जिलाबदर करने का आदेश दिया था। रऊफ ने पहले इसके खिलाफ संभागायुक्त डॉ. पवन शर्मा के पास याचिका लगाई जो खारिज हो गई, इसके बाद वह हाईकोर्ट गया था। 



आनंद मोहन माथुर ने लड़ा रउफ का केस



वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद मोहन माथुर और अधिवक्ता अरिहंत नाहर ने रऊफ की ओर से केस लड़ा था। इसमें उनकी ओर से पक्ष रखा गया कि रउफ को राजनीतिक कारणों से जिलाबदर किया गया है, वह सामाजिक कार्यकर्ता है और 30-40 साल से समाजसेवा में लगा हुआ है। इसी कारण से बेवजह उस पर आपराधिक केस भी लगाए गए हैं। वहीं शासन की ओर से पक्ष रखा गया कि रउफ पर चार आपराधिक केस है और अब्दुल रऊफ प्रतिबंधित संगठन पीएफआई का सक्रिय सदस्य होकर धार्मिक विद्वेष फैलाता है और समाज में धार्मिक उन्माद फैलाने के कार्य में संलिप्त है। उनकी गतिविधियों के चलते ही शासन द्वारा यह कार्रवाई की गई है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि याचिकाकर्ता का यह कहना कि उसकी छवि खराब हो रही है, आधारहीन है क्योंकि पूर्व में ही उस पर आपराधिक केस लंबित है। 



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कौन है अब्दुल रउफ



रउफ मूल रूप से इंदौर के श्याम नगर गुलजान कॉलोनी का रहने वाला है। भोपाल के शाहजहांनाबाद में एसडीपीआई का प्रदेश मुख्यालय है। वह अक्सर वहां पर मीटिंग लेता रहता था। वह पहले कई सालों तक पीएफआई में भी सक्रिय रहा और उसमें पद पर रहा, बाद में राजनीतिक शाखा एसडीपीआई के गठन पर उसमें प्रदेशाध्यक्ष होकर सभाएं करने लगा। 



कार्रवाई के खिलाफ एसडीपीआई ने प्रदर्शन भी किए थे 



जिलाबदर की कार्रवाई होने पर एसडीपीआई द्वारा इसके खिलाफ प्रदर्शन भी किए गए थे। पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्र द्वारा 23 अगस्त 22 को जारी किए गए जिलाबदर आदेश में लिखा है कि वह कुख्यात बदमाश है और साल 2015 से ही धार्मिक उन्माद फैलाने, जान से मारने की धमकी देने, चक्काजाम करने, लोगों को भड़काने जैसे काम में लिप्त है। बाणगंगा थाने में हुए एक मुस्लिम युवक की पिटाई के मामले में उसने लोगों को भड़का कर थाने का भी घेराव कराया था। इसके चलते वह समाज के लिए खतरा है। इसलिए उसे जिलाबदर किया जाता है।


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