Panna. टाइगर स्टेट का दर्जा प्राप्त मध्यप्रदेश में सरकार ने पन्ना टाइगर रिजर्व में हीरा खनन की अनुमति नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कारपोरेशन को प्रदान कर दी है। इस अनुमति के मिल जाने के बाद अब एनएमडीसी को केवल राष्ट्रीय वन्यप्राणी बोर्ड से अंतिम मंजूरी लेना बाकी रह गया है। जिसके बाद सरकार और निजी क्षेत्र की कंपनियां भी पन्ना टाइगर रिजर्व में हीरे तलाशना शुरू कर देंगी।
पन्ना जिला हीरे की खदानों के लिए प्रसिद्ध है। वर्तमान में केवल गैर वन क्षेत्रों की उथली खदानों में ही हीरा खनन परमिट किया गया था, लेकिन अब प्रदेश सरकार ने पन्ना टाइगर रिजर्व के क्षेत्र में भी हीरे की खोज की अनुमति प्रदान कर दी है। हीरे की खदानों को ढूंढने के लिए शुरूआती तौर पर किशनगढ़ बफर जोन के हथनीतोड़ पहाड़ ब्लॉक में बोर होल के द्वारा हीरे की तलाश की जाएगी। बता दें कि पन्ना जिले में वर्तमान में 25 खदानें मौजूद हैं, इस आंकड़े में सरकारी और निजी दोनों खदानें शामिल हैं।
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सरकार का तर्क केवल झाड़ियां प्रभावित होंगी
बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय वन्यप्राणी बोर्ड से भी अंतिम मंजूरी मिल जाए इसके लिए रिपोर्ट में कहा गया है कि एनएमडीसी रिजर्व की 0.70 हैक्टेयर की वन भूमि में 4 इंच व्यास के कुल 7 नग बोर होल करेगी। वन विभाग की रिपोर्ट में हवाला दिया गया है कि उक्त क्षेत्र में 0.4 घनत्व का मिश्रित वन है और बोर होल किए जाने को कोई भी वृक्ष प्रभावित नहीं होगा, केवल झाड़ियां प्रभावित होंगी। वन विभाग के मुताबिक इस क्षेत्र में बाघ, तेंदुआ, नीलगाय, जंगली सुअर और खरगोश पाए जाते हैं जिन पर बोर होल से कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा।
अच्छी क्वालिटी के मिलते हैं हीरे
खनन विभाग के मुताबिक पन्ना में जे, ऑफ कलर और इंडस्ट्रियल क्वालिटी के हीरे मिलते हैं। सबसे महंगा जेम डायमंड होता है , ऑफ कलर डायमंड फैंसी आयटम्स में यूज होता है जबकि इंडस्ट्रियल क्वालिटी के डायमंड का उपयोग कांच काटने में होता है। पन्ना में 3 से लेकर 30 फुट की गहराई में जो ग्रेवल यानि की बजरी निकलती है, उसमें हीरा मिलने की संभावना रहती है। बजरी की पानी से धुलाई की जाती है, जिसमें कोई चमकता हुआ हीरा नजर आने पर उसे कलेक्ट किया जाता है। बाद में उसकी गुणवत्ता की पहचना हीरा कार्यालय के पारखी करते हैं।