इंदौर। जूडिशियल मजिस्ट्रेट महू की कोर्ट ने बीजेपी के पूर्व सांसद और मंत्री अनूप मिश्रा (Anoop Mishra), उनकी पत्नी शोभा मिश्रा एवं बेटे अश्विनी मिश्रा के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर गिरफ्तारी वारंट जारी करने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने ये निर्देश स्वामी विवेकानंद तकनीकी शिक्षा समिति (Swami Vivekanand technology Shiksha Samiti), इंदौर की अध्यक्ष अलका दुबे, दीप दीक्षित एवं संदीप श्रीवास्तव द्वारा प्रस्तुत परिवाद की सुनवाई के दौरान दिए हैं। स्वामी विवेकानंद तकनीकी शिक्षा समिति इंदौर (Indore) में इंजीनियरिंग एवं फार्मेसी कॉलेज का संचालन करती है। परिवाद में मिश्रा एवं उनके परिजनों पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने समिति के पदाधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर कर धोखाधड़ी की है। इसके अलावा छात्रों की फीस के करीब 1 करोड़ 9 लाख रुपये अवैध तरीके से अपने ग्वालियर स्थित आईपीएस कॉलेज (IPS College Gwalior) के खाते में ट्रांसफर कराएं हैं।
आरोप 1- फर्जी तरीके से बदलवाया शिक्षा समिति का रजिस्टर्ड एड्रेस
जूडिशियल मजिस्ट्रेट (फर्स्ट क्लास) महू ने इस मामले में अनूप मिश्रा, उनकी पत्नी एवं बेटे को 28 अक्टूबर को कोर्ट में उपस्थित होने के निर्देश दिए थे। परिवाद में कहा गया है कि 18 मार्च 2019 को स्वामी विवेकानंद समिति की प्रबंधकारिणी समिति का गठन किया गया। अनूप मिश्रा को प्रबंधकारिणी का अध्यक्ष, अश्विनी मिश्रा को सचिव और शोभा मिश्रा को कोषाध्यक्ष नियुक्त किया गया। इसी प्रबंधकारिणी द्वारा संस्था का संचालन किया गया। इसके बाद प्रबंधकारिणी के अध्यक्ष के रूप में अनूप मिश्रा ने सबसे पहले षड़यंत्रपूर्वक 28 मई 2019 को साधारण सभा के फर्जी मिनट्स ऑफ द मीटिंग के आधार पर संस्था के वर्तमान रजिस्टर्ड एड्रेस परिवर्तित कर उर्मिला गर्ल्स होस्टल बसंत विहार ग्वालियर (Gwalior) करा लिया।
तीनों परिवादियों का आरोप है कि हकीकत में यह मीटिंग हुई ही नहीं और इसके फर्जी तरीके से तैयार कराए गए एमओएम में उनके भी फर्जी दस्तखत दिखा दिए गए। परिवादी अलका दुबे का कहना है कि असल में वे 10 मई 2019 को अपने बड़े बेटे के बास अमेरिका (America) चली गईं थीं और जुलाई में वहां से वापस आईं। विवेकानंद समिति के उपाध्यक्ष दीप दीक्षित ने बताया कि समिति के अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष ने साजिश कर कागजों में साधारण सभा की फर्जी बैठक होना दर्शाई। इसमें मेरे अलावा तीन लोगों के फर्जी सिग्नेचर किए गए। जबकि इसकी जानकारी हम तीनों सदस्यों को नहीं थी।
आरोप 2- अवैध रूप से ट्रांसफर कराए कॉलेज फीस के 1 करोड़ 9 लाख रुपए
कोर्ट में पेश किए गए परिवाद में बताया गया कि जब इस पूरे फर्जीवाड़े का पता संस्था के दूसरे सदस्यों को चला था तो उन्होंने इस जालसाजी और धोखाधड़ी (Fraud) की लिखित शिकायत सिमरोल थाने में दर्ज कराई। इसके अलावा 24 नवंबर को एक साधारण सभा का आयोजन किया गया। इस सभा में दो तिहाई सदस्यों ने जालसाजी, धोखाधड़ी का आरोप लगाकर अनूप मिश्रा, शोभा मिश्रा और अश्विनी मिश्रा को समिति की प्रबंधकारिणी के पदों से निष्कासित कर दिया गया। इसके बाद इस पूरे मामले को लेकर कोर्ट में परिवाद दाखिल कि गया। कोर्ट ने सुनवाई में परिवादियों के आरोपों को सही मानते हुए स्थानीय पुलिस के अनूप मिश्रा, शोभा मिश्रा और अश्विनी मिश्रा के खिलाफ धारा 405, 415, 420, 463, 464, 467 एवं 120 बी में एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए।
अनूप मिश्रा ने साधी चुप्पी
इस मामले में द सूत्र संवाददाता ने अनूप मिश्रा का पक्ष जानने के लिए उनके मोबाइल फोन पर कॉल कर कई बार संपर्क करने का प्रयास किया। लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया। इसके बाद उन्हें इस मामले में अपना पक्ष रखने के लिए उनके मोबाइल फोन पर वाट्सऐप मैसेज भी भेजा। लेकिन उन्होंने मैसेज देखने के बाद भी कोई जवाब नहीं दिया।