संजय गुप्ता, INDORE. देपालपुर में दबंगों कि पिटाई से घायल हुए सात किसान और फिर इसमें से एक दलित किसान की मौत ने तूल पकड़ना शुरू कर दिया है। इसके डैमेज कंट्रोल के तौर पहले सरकार ने जहां दबंगों के घरों को तोड़ने की कार्रवाई की, वहीं अब राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के दौरा करने से पहले देपालपुर टीआई को लाइन अटैच करने के साथ अन्य को सस्पेंड करने की कार्रवाई आनन-फानन में कर डाली। इससे पहले महू में आदिवासी युवती की हत्या और फिर बवाल के दौरान पुलिस गोलीबारी में आदिवासी युवक की मौत ने पहले से ही सरकार की चिंता बढ़ा रखी है।
इन्हें किया गया है सस्पेंड
आला अधिकारियों ने डेमेज कंट्रोल के तौर पर गौतमपुरा थाने के सहायक थानेदार गोपाल गिरवाल और हवलदार अजय कुमारिया को सस्पेंड कर दिया। बाद में टीआई अरुण सोलंकी को भी लाइन अटैच का आदेश जारी कर दिया। इस कांड को लेकर भोपाल से भी नजर रखी जा रही है।
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प्रशासन ने कब्जा दिलाया था, जमीन पर पहुंचे तो कर दी पिटाई
देपालपुर के काकया गांव में वर्ष 2003 में 14 दलित परिवारों को जमीन के पट्टे दिए गए थे, लेकिन उस पर दबंगों का कब्जा था। दलित परिवार इस मामले में कोर्ट में गए और उनकी जीत हुई। प्रशासन ने दलित परिवारों को जमीन का कब्जा दिला दिया। इस बात से कब्जा करने वाले मुख्य आरोपी बापू सिंह, धर्मेंद्र सिंह राजपूत, रतन सिंह नानू सिंह आदि ने बागरी परिवार पर हथियारों से हमला कर दिया। घटना में पांच लोग घायल हो गए। मायाराम बागरी को गंभीर चोट आई थी उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई। मंगलवार को अनुसूचित जाति आयोग की टीम गांव पहुंची और मृतक के परिवारजनों से मुलाकात की।
दलित और किसान रूठा तो मुश्किल में आ जाएगी बीजेपी
बीजेपी सरकार आदिवासी, दलित के साथ ही किसान वर्ग को लेकर काफी संवेदनशील है। इसके लिए पैसा एक्ट लागू किया गया, किसानों के लिए कई योजनाएं लागू की गई है, सम्मान निधि में भी इजाफा किया गया है। इस बीच में आदिवासी की मौत फिर किसान और वो भी अनुसूचित जाति वर्घ के किसान की मौत से सरकार हिल गई है। मप्र में 47 आदिवासी तो 35 एससी विधानसभा सीट है। जो सरकार बनाने के लिए निर्णायक साबित होती है। वहीं किसानों का तो ग्रामीण सीटों पर प्रभाव रहता ही है।