News Strike : निगम मंडल में पद पाने का फॉर्मूला तय हो चुका है। मोहन सरकार ने ये साफ कर दिया है कि इस बार अगर लाभ के पद पर काबिज होना है तो सख्त इम्तिहान देना होगा। ये इम्तिहान हर उस नेता के लिए होगा जो निगम मंडल के पदों पर दावेदारी जता रहे हैं। अब ऐसे नेताओं को नियुक्ति बहुत आसानी से नहीं मिलने वाली है। ये नेता अपनी वरिष्ठता का हवाला देकर या किसी दिग्गज नेता की सिफारिश लाकर ही पद हासिल नहीं कर सकेंगे। नए फॉर्मूले के तहत हर नेता को अपनी काबीलियत खुद साबित करनी पड़ेगी। ये शर्त रखने की बड़ी वजह है बीजेपी का सदस्यता अभियान।
इंतजार है मध्यप्रदेश निगम मंडलों में नियुक्तियों का
प्रदेश में नए चेहरे के साथ नई सरकार के काबिज होते ही नेताओं का इंतजार है कि निगम मंडलों में नियुक्तियां कब होंगी। बहुत से नेता अपनी दावेदारी भी जता रहे हैं, लेकिन हर बार किसी न किसी वजह से निगम मंडल में नियुक्तियों का मामला उलझ रहा है। पहले माना जा रहा था कि निगम मंडल में नियुक्तियां लोकसभा चुनाव के बाद होंगी, लेकिन ये चुनाव भी पूरे हो गए और नियुक्तियों का सिलसिला शुरू नहीं हुआ। इसके बाद बारी आई उपचुनावों की। पर अब लगता है कि उपचुनाव के बाद भी निगम मंडल में नियुक्तियों का सिलसिला जल्द शुरू नहीं हो सकेगा। बीजेपी सरकार ने एक ऐसा पेंच फंसा दिया है जिसने सारे दावेदारों की मुश्किल बढ़ा दी है।
बीएल संतोष का दावा BJP में चार करोड़ नए सदस्य जुड़ चुके
असल में बीजेपी संगठन ने ये साफ कर दिया है कि सदस्यता अभियान में परफोर्मेंस अच्छा होगा तो ही निगम मंडल में नियुक्तियों का रास्ता साफ हो सकेगा। इसकी एक बड़ी वजह। कुछ ऐसे जिले हैं जहां बीजेपी की लाख कोशिशों के बावजूद सदस्यों की संख्या में इजाफा नहीं हो रहा है। ये तुलना उन जिलों से की जा रही है जहां तेजी से नए लोग बीजेपी के साथी बन रहे हैं। करीब तीन ही दिन पहले बीजेपी नेता बीएल संतोष ने एक ट्वीट कर ये दावा किया है कि बीजेपी में करीब चार करोड़ नए सदस्य जुड़ चुके हैं इसमें यूपी अव्वल है। यहां एक करोड़ नए सदस्य बन चुके हैं, जबकि महाराष्ट्र और गुजरात में पचास लाख ही नए लोग जुड़ चुके हैं। इस ट्वीट से ये तो साफ है कि अभी मध्यप्रदेश यूपी की बराबरी करने में आधी दूरी भी तय नहीं कर सका है।
मध्यप्रदेश में एक करोड़ के आंकड़े को टच करेगी बीजेपी
बीजेपी प्रवक्ता आशीष अग्रवाल ने भी इस बारे में ट्वीट किया है। आशीष अग्रवाल ने ट्वीट में दावा किया है कि प्रदेश में अब तक 72 लाख सदस्य बनाए जा चुके हैं। उनके ताजे ट्वीट के मुताबिक प्रदेश में सदस्यता अभियान के तहत एक नया रिकॉर्ड बनाया जा चुका है। इसमें एक ही दिन में दस लाख से ज्यादा सदस्य बने हैं। इसके अलावा 7.50 लाख लोगों ने सदस्य बनने के लिए फॉर्म भर दिया है और दस लाख के करीब मिस कॉल भी आए हैं। 72 लाख सदस्य बन जाने के अलावा 67 लाख फॉर्म भी भरवाए जा चुके हैं। इस आंकड़े को टच करने के बाद बीएल संतोष ने बीजेपी की टीम को बधाई भी दी है। इस ट्वीट को देखकर लगता है कि बीजेपी बहुत जल्द मध्यप्रदेश में भी एक करोड़ के आंकड़े को टच कर लेगी, लेकिन कुछ विधानसभा सीटें अब भी पार्टी की चुनौती बढ़ा रहे हैं। ऐसी दस विधानसभा सीटें खुद पार्टी ने ही चिहिंत की हैं जहां सदस्यों की संख्या बढ़ने में तेजी नहीं दिख रही है। इन विधानसभा सीटों में सेंधवा, पुष्पराजगढ़, हरसूद, नेपानगर, सैलाना, थांदला, गोहद, भैंसदेही, भांडेर और पानसेमल शामिल हैं। आप को बता दें कि इन सीटों के अलावा ग्वालियर चंबल के भी कुछ हिस्से ऐसे हैं जहां इस अभियान को लेकर सुस्ती दिखाई दे रही थी।
सांसदों को 25 हजार और विधायकों को 15 हजार नए सदस्य बनाने हैं
आपको बता दें कि बीजेपी हर सांसद और विधायक के लिए नए सदस्य बनाने का लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य में सांसदों को करीब 25 हजार नए सदस्य बनाने हैं और विधायकों को 15 हजार नए सदस्य बनाने हैं। शर्त ये भी है कि दोनों के सदस्य अलग-अलग होने चाहिए। इसमें जो लोग खुद सदस्य बन रहे हैं उन्हें शामिल किया जा सकता है या नहीं ये स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन चिंता का विषय ये है कि कुछ सांसदों और विधायकों के लिए ये लक्ष्य हासिल करना भी आसान नहीं है। अब सदस्यता अभियान का पहला चरण पूरा होने में सिर्फ दो दिन का समय बचा है। पहला चरण 25 सितंबर को पूरा हो रहा है। हालांकि, ओवरऑल देखें तो बीजेपी ने अच्छा खासा नंबर हासिल कर लिया है और रफ्तार यही रही तो दो दिन में नब्बे लाख से एक करोड़ के बीच बीजेपी मध्यप्रदेश में भी नए सदस्य बना लेगी।
सदस्यता अभियान का परफोर्मेंस दावेदारी के लिए ज्यादा मायने रखेगा
इस काम में और रफ्तार लाने के लिए बीजेपी संगठन ने नया पासा फेंका है। अब निगम मंडल के दावेदार बन रहे नेताओं को भी सदस्यता अभियान की जिम्मेदारी सौंप दी गई है। राजनीतिक गलियारों में ये अटकलें हैं कि जो दावेदार ज्यादा से ज्यादा सदस्य बनवाएगा वो अपनी दावेदारी को ज्यादा मजबूर कर सकेगा। शायद इसलिए भी सदस्य संख्या में तेजी से इजाफा होना दिखाई दे रहा है। पहले निगम और मंडल के अध्यक्ष चुनने का क्राइटेरिया रायशुमारी और नेताओं की रिपोर्ट को रखा गया था, लेकिन इस बार सदस्यता अभियान का परफोर्मेंस भी ज्यादा मायने रखेगा। हालांकि, इसके बाद निगम मंडलों में नियुक्ति का मामला उपचुनावों से आगे बढ़कर नवंबर दिसंबर तक जाता दिख रहा है।
पहले चरण की कामयाबी ही दावेदारों का रास्ता आसान करेगी
ये बीजेपी फॉर्मूला बीजेपी संगठन ने इसलिए भी तय किया क्योंकि अभियान की शुरुआत में मप्र बीजेपी ने डेढ़ करोड़ नए सदस्य बनाने का टारगेट रखा था, लेकिन 20 तारीख को बीएल संतोष ने जो ट्वीट किया था उससे ये साफ हो गया था कि बीजेपी आधी दूरी भी तय नहीं कर सकी और सिर्फ पांच दिन बचे हैं। किसान सदस्यता दिवस और नेताओं को टारगेट देने जैसी कवायद से बीजेपी अब 74 लाख तक पहुंच गई है। जैसा दावा किया जा रहा है उसे देखकर लगता है कि पार्टी दो दिन में काफी कुछ कदम आगे बढ़ चुकी होगी। पहले चरण की कामयाबी ही दावेदारों की नियुक्ति का रास्ता आसान भी बनाएगी।
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