News Strike : मध्यप्रदेश बीजेपी के प्रदेशाध्यक्षों की मेरिट लिस्ट निकाली जाएगी तो वीडी शर्मा का नाम सबसे ऊपर आएगा। इस लिस्ट में टॉपर रहने के बावजूद वीडी शर्मा को मोदी कैबिनेट में जगह नहीं मिली। बहुत से सवाल उठे। क्योंकि बतौर प्रदेशाध्यक्ष उनका कार्यकाल भी खत्म हो चुका है। राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल भी खत्म हुआ और उन्हें इस बार मोदी कैबिनेट में जगह मिली। जिसके बाद ये साफ हो गया कि अब बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष कोई और होगा, लेकिन वीडी शर्मा को जगह नहीं मिली। इसके बदले खबर आई कि अब प्रदेशाध्यक्ष का पद भी उनका नहीं रहेगा, लेकिन अब पार्टी के फैसलों पर पड़ी धुंध काफी हद तक छंट गई है। तय हो गया है कि प्रदेश में बीजेपी को बार-बार लगातार जीत दिलाने वाले वीडी शर्मा को पार्टी कौन सी बड़ी जिम्मेदारी सौंपने जा रही है।
वीडी की कमान ने बीजेपी कोई चुनाव नहीं हारी
केंद्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद अब बीजेपी संगठन को दोबारा कसने पर जोर देने वाली है। बहुत जल्द संगठन के पदाधिकारियों के लिए भी चुनाव होंगे, लेकिन संगठन का एक चेहरा ज्यों का त्यों रहने वाला है। ये चेहरा है वीडी शर्मा का चेहरा। फिलहाल ये तय माना जा रहा है कि वीडी शर्मा को अब नहीं बदला जाएगा। इसकी वजह है उनका शानदार और उपलब्धियों से भरा कार्यकाल। वीडी शर्मा ने जब से प्रदेश संगठन की कमान थामी है। बीजेपी मध्यप्रदेश में कोई चुनाव नहीं हारी है। उनकी बड़ी उपलब्धियों में साल 2020 में हुआ उपचुनाव शामिल है। जिसमें 28 सीटों पर उपचुनाव हुए। प्रदेश में पहली बार इतनी सीटों पर उपचुनाव हुए थे। जिसमें बीजेपी को जीत हासिल हुई और 2018 की हार के बाद सरकार दोबारा काबिज हो सकी। इसके बाद बीजेपी विधानसभा चुनाव में भी धमाकेदार जीत हासिल करने में कामयाब रही। लोकसभा के चुनाव में बीजेपी का सबसे बड़ा मिशन था प्रदेश में 29 की 29 सीटें हासिल करना और कहने की जरूरत नहीं कि इस मिशन का क्या हुआ। सौ फीसदी स्ट्राइक रेट के साथ बीजेपी ने ये मिशन पूरा किया।
वीडी को किसी भी वक्त मंत्री पद से नवाजा जा सकता है
ये तो वो कामयाबियां हैं जो सीधे तौर पर नजर आ रही हैं। प्रदेश में कांग्रेस की जड़ों को कमजोर करने में भी पार्टी के संगठन ने अहम भूमिका अदा की। बहुत से कांग्रेसियों को बीजेपी में शामिल किया गया। ऐन लोकसभा चुनाव तक कांग्रेसियों को तोड़ने का सिलसिला जारी रहा। जिसकी वजह से खजुराहो और इंदौर सीट की जीत तो आसान हुई ही। छिंदवाड़ा की सीट भी बीजेपी के खाते में आसानी से आ गई। वीडी शर्मा के करियर की ये बड़ी कामयाबियों को देखते हुए लग रहा था कि उन्हें अब केंद्र में बड़ी जिम्मेदारी दी जाएगी, लेकिन मोदी कैबिनेट का गठन में उन्हें जगह नहीं दी गई। इसी के साथ ये अटकलें लगनी शुरू हुईं थी कि अब वीडी शर्मा का बतौर प्रदेशाध्यक्ष कार्यकाल खत्म होने जा रहा है। तो क्या वो महज सांसद बनकर रह जाएंगे। जहां तक बात कैबिनेट की है ये माना जा रहा है कि भले ही उन्हें अभी मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली हो, लेकिन आगे चलकर उन्हें किसी भी वक्त मंत्री पद से नवाजा जा सकता है। क्योंकि एक तो वह ब्राह्म्ण वर्ग से आते हैं दूसरा ब्राह्म्ण वर्ग को केंद्र में मध्यप्रदेश की ओर से कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। ज्यादा समय तक इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। इसलिए उम्मीद है कि वीडी शर्मा को देर-सवेर मंत्री पद मिल सकता है।
वीडी शर्मा के नेतृत्व में ही पार्टी का कामकाज जारी रहेगा
जब तक उन्हें किसी बड़े पद से नवाजा नहीं जाता वो मध्यप्रदेश के ही प्रदेशाध्यक्ष बने रहेंगे। माना जा रहा है कि मध्यप्रदेश की बेहतर स्थिति देखते हुए आलाकमान भाजपा संगठन में फिलहाल किसी भी तरह का बदलाव करने के मूड में नहीं है। यानी प्रदेश अध्यक्ष के पद पर फिलहाल वीडी शर्मा ही बने रहेंगे। एमपी बीजेपी की कमान वीडी शर्मा के हाथ में ही रहेगी। पार्टी सूत्रों के मुताबिक फिलहाल बीजेपी ने मध्य प्रदेश में नए अध्यक्ष को लेकर कोई एक्शन नहीं लिया है। वीडी शर्मा के नेतृत्व में ही पार्टी का कामकाज जारी रहेगा।
वीडी शर्मा फरवरी 2020 में प्रदेश बीजेपी के अध्यक्ष बने थे। उन्हें इस पद पर रहते हुए करीब चार साल का समय पूरा हो चुका है। चुनावों को देखते हुए उनका कार्यकाल पहले ही बढ़ाया जा चुका है, लेकिन अभी बीजेपी खुद को चुनाव से फारिग नहीं मान सकती है।
बीजेपी किसी भी हाल में उपचुनाव नहीं हारना चाहती
कुछ अहम चुनाव अब भी होने हैं जिसमें से एक सीट अमरवाड़ा विधानसभा की है। जहां से कमलनाथ समर्थक विधायक ने कुछ ही दिन पहले कांग्रेस छोड़ बीजेपी जॉइन की थी। अब इस सीट पर बीजेपी की परीक्षा है। कमलनाथ के दबदबे वाली इस सीट पर अब बीजेपी को जीत हासिल करनी है। इसके बाद भी चुनावों का सिलसिला थमने वाला नहीं है। भविष्य में बुधनी, विजयपुर और बीना में उपचुनाव होने हैं। बीजेपी किसी भी हाल में ये सीटें गंवाना नहीं चाहती है। इसलिए प्रदेश में संगठन में फिलहाल कोई छेड़छाड़ नहीं की जा रही है। संगठन की नब्ज जानने वाले वीडी शर्मा को इन चुनावों तक राष्ट्रीय राजनीति की बजाए प्रदेश में ही रखा जाएगा। प्रदेश सूत्रों का यह भी कहना है कि वीडी शर्मा को दूसरी बार भी प्रदेश की कमान मिल सकती है। यदि ऐसा हुआ तो वे पहले नेता होंगे जो अध्यक्ष पद का कार्यकाल लगातार दो बार पूरा करेंगे।
बीजेपी उपचुनाव में रिस्क नहीं लेना चाहती
बीजेपी में सुंदरलाल पटवा, कैलाश जोशी और नरेन्द्र सिंह तोमर दो बार प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं पर उनके कार्यकाल एक्सटेंड नहीं हुए हैं। उन्हें कुछ समय अंतराल के बाद ये जिम्मेदारी अदा करने का मौका मिला है। इसमें कोई शक नहीं है कि वीडी शर्मा आलाकमान की नजरों में एक बेहतर संगठक के तौर पर अपना लोहा मनवा चुके हैं। दूसरा बीजेपी ने हाल ही में सीएम का फेस भी बदला है। एक साथ दो नए चेहरे मैदान में उतारकर बीजेपी उपचुनाव में रिस्क नहीं लेना चाहती। इसके अलावा केंद्रीय स्तर पर तो बदलाव निश्चित है। पार्टी की कमान राष्ट्रीय स्तर पर किसी नए हाथ में होगी। ऐसे में प्रदेश में बदलाव करना भी पार्टी के लिए भारी पड़ सकता है। वैसे भी लोकसभा चुनाव में बीजेपी को मनमाफिक नतीजे नहीं मिले हैं। सरकार तो एनडीए की ही बनी है, लेकिन बीजेपी चार सौ पार के नारे के आसपास भी नहीं पहुंच सकी।
राम मंदिर का माइलेज बीजेपी को ज्यादा नहीं मिल सका
कुछ ही दिनों में यूपी की विधानसभा सीटों पर भी उपचुनाव होने हैं। ऐसे में बीजेपी अपना सारा फोकस यूपी पर रखना चाहती है। यहां फैजाबाद सीट से हार के बाद बीजेपी सकते में है। इसी सीट के तहत अयोध्या नगरी भी आती है। जहां बहुत विशाल जलसे के साथ राम मंदिर का उद्घाटन हुआ था, लेकिन उसका माइलेज बीजेपी को ज्यादा नहीं मिल सका। अब बीजेपी की कोशिश है कि उपचुनाव में वो ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल कर सके। क्योंकि लोकसभा चुनाव में असरदार रहे यूपी के लड़के यानी कि राहुल गांधी और अखिलेश यादव की जोड़ी पूरे दमखम के साथ मैदान में उतरी हुई है। यूपी के विधानसभा चुनाव में एक बार नाकाम रही जोड़ी इस बार उम्मीद से परे प्रदर्शन करने में कामयाब रही है और उपचुनावों के लिए भी एक्टिव है। इसलिए बीजेपी यूपी से मुंह नहीं मोड़ना चाहती।
ये भी एक वजह है कि एमपी को बिलकुल डिस्टर्ब नहीं किया जा रहा है। बीजेपी आलाकमान फिलहाल मध्यप्रदेश की ओर से निश्चिंत रहना चाहते हैं। यहां उपचुनाव होने के बाद हो सकता है कि वीडी शर्मा को कैबीनेट में जगह दी जाए या उनकी संगठन में ही नई जिम्मेदारी सुनिश्चित की जाए और ये भी हो सकता है कि वो इसी पद पर बने रहें और एक नया रिकॉर्ड कायम करें।
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