News Strike: टेक होम राशन घोटाले में शिकायत दर्ज, पूर्व मुख्य सचिव पर कस सकता है शिकंजा

मध्य प्रदेश में घोटालों का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। हाल ही में ट्रांसपोर्ट घोटाले के बाद अब कांग्रेस के पूर्व विधायक की शिकायत पर एक नए घोटाले की जांच शुरू हुई है। जांच की स्थिति और इसका परिणाम अभी तक साफ नहीं है।

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Harish Divekar
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news strike 27 june

Photograph: (The Sootr)

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घोटाला, उस पर एक और घोटाला, फिर एक घोटाला। घोटालों के बैलेंस का सिलसिला भी ठीक उसी मीम की तरह हो गया है जिसमें आखिर में यही जुमला होता है कि बैलेंस तो देखो। क्योंकि एक के बाद एक घोटाले होते जाते हैं लेकिन जांच कितनी और कहां तक पहुंची ये किसी घोटाले में पता नहीं चलता। कुछ ही दिन पहले आपने ट्रांसपोर्ट घोटाले के बारे में सुना होगा। जंगल में मिली सोने से लदी कार, जंगल में मोर नाचा किसने देखा जैसे सवाल की तरह गायब हो गई। अब एक और घोटाले को लेकर सरकार में हड़कंप मचा है। कांग्रेस के पूर्व विधायक की शिकायत पर जांच शुरू हो चुकी है।

आप ये जरूर जानना चाहेंगे कि हम किस घोटाले की बात कर रहे हैं। हम बात कर रहे हैं टेक होम राशन घोटाले की। कांग्रेस के पूर्व विधायक पारस सकलेचा की शिकायत के बाद लोकायुक्त ने पूर्व सीएस इकबाल सिंह बैंस के खिलाफ शिकायत दर्ज की है। इस घोटाले का पूरा काला चिट्ठा भी सीएजी की रिपोर्ट से ही खुला था। रिपोर्ट के मुताबिक साल 2018-19 से 2021-22 के बीच 858 करोड़ का टेक होम राशन घोटाला सामने आया था। उस वक्त भी सकलेचा ने बैंस और पूर्व सीईओ ललित मोहन बेलवाल के खिलाफ शिकायत की थी। सकलेचा का आरोप था कि सारा राशन सिर्फ कागजों पर बंटा है।

टेक होम राशन घोटाला

इस घोटाले पर आगे बात करने से पहले आपको बता दें कि टेक होम राशन जिसे टीएचआर भी कहते हैं वो असल में होता क्या है। ये एक सरकारी कार्यक्रम है जो 6 से 36 महीने के बच्चों के अलावा प्रेग्नेंट लेडीज और ब्रेस्ट फीडिंग कराने वाली लेडीज के लिए शुरू किया गया है। इसके तहत फोर्टिफाइड राशन दिया जाता है जिसे वो घर में पका कर खा सकती हैं। अपने साथ अपने बच्चों को भी हेल्दी बना सकती हैं।

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8 जिलों में 858 करोड़ घोटाला

अब सुनिए सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात। ये जो 858 करोड़ के घोटाले का अंक दिख रहा है वो बहुत छोटा है। असल में देखा जाए तो घोटाला इससे कहीं ज्यादा बड़ा हो सकता है। ये संशय हमें नहीं है। खुद सीएजी को ये अंदेशा है और घोटाले पर सवाल उठा रहे नेताओं को भी यही डाउट है। असल में 858 करोड़ का घोटाला सिर्फ 8 जिलों की जांच के बाद ही सामने आया है। चार साल की छोटी सी अवधि में सिर्फ आठ जिलों में इतने बड़े घोटाले को अंजाम दे दिया गया है। अब आप सोचिए जब ये जांच पूरे प्रदेश के हर जिले की होगी तो ये आंकड़ा कितना बड़ा हो सकता है।

कैग की रिपोर्ट में था गड़बड़ी का इशारा

टेक होम राशन में बड़ी गड़बड़ी का इशारा करने वाली कैग की रिपोर्ट इस साल विधानसभा में पेश की गई, जिसे थोड़ा और डिटेल में जान लेते हैं। कैग की रिपोर्ट के मुताबिक जिन जिलों में जांच की गई, उनमें धार, रीवा, झाबुआ, सागर, छिंदवाड़ा, सतना, भोपाल और शिवपुरी शामिल हैं। रिपोर्ट में ये भी दर्ज है कि केंद्र के लगातार कहने के बाद भी राज्य के विभाग ने सर्वे नहीं करवाया। इसकी खरीदी और वितरण की भी पड़ताल नहीं हुई। यही बात किसी गलत इरादे की तरफ इशारा करती है।

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प्रबंधन सूचना प्रणाली के अनुसार अप्रैल 2018 में इसके तहत 36.08 लाख रजिस्टर्ड लाभार्थी थे। मप्र के महिला बाल विकास आयुक्त ने 5.5 लाख लाभार्थियों के लिए 122.99 करोड़ के 20291.585 टन पोषाहार की आपूर्ति का आदेश आजीविका मिशन को जारी किया था। तो सवाल ये है कि जब योजना का लाभ 36 लाख 8 हजार लोगों को मिलना था तो आयुक्त ने 5.5 लाख की संख्या किस आधार पर तय की। 

मार्च में रिपोर्ट पेश, जून में मामला दर्ज

मार्च में पेश हुई रिपोर्ट के बाद अब जून में लोकायुक्त ने शिकायत दर्ज की है। पूर्व विधायक की शिकायत के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग, आजीविका मिशन और इससे जुड़े दूसरे विभागों से जानकारी मंगाई जा चुकी है। सवाल ये है कि इतना भी इंतजार क्यों किया गया जबकि कैग ने खुद इस मामले पर गंभीरता दिखाई थी। तब राज्य सरकार ने करीब 73 अधिकारों को शो कॉज नोटिस जारी किया था। 36 अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच की बात कही थी। इस घोटाले से जुड़े तीन अधिकारी अब रिटायर भी हो चुके हैं, लेकिन जांच किसी नतीजे तक पहुंची या नहीं। इसकी जानकारी साझा नहीं की गई है।

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अब हम आपको वो बड़ी गलतियां बताते हैं जो खुद कैग की जांच पड़ताल में दर्ज हैं।

गलती नंबर 1

साल 2018 से 21 के बीच 6 संयंत्रों ने 534 दिनों तक टेक होम राशन का उत्पादन क्षमता से ज्यादा दिखाया जबकि 114 दिन ऐसे थे जब बिजली की खपत जरूरत से कम थी।

गलती नंबर 2

कैग ने खुलासा किया कि 2.96 करोड़ का पोषाहार ऐसे ट्रकों से भेजा गया, जो अस्तित्व में ही नहीं थे। चालान में जो नंबर दर्ज किए गए थे वो जांच में बाइक, कार और ऑटो जैसे वाहनों के निकले। इससे भी ज्यादा हैरानी की बात ये कि वो नंबर परिवहन विभाग की वेबसाइट पर भी दर्ज नहीं थे।

गलती नंबर 3

पोषाहार के लिए बने गोदामों में 97,656 टन टीएचआर होना बताया गया जबकि आंगनवाड़ियों तक 86,377 टन राशन ही पहुंचा।

गलती नंबर 4

देवास, होशंगाबाद, मंडला और सागर संयंत्रों के टीएचआर में प्रोटीन सहित कई माइग्रो न्यूट्रिएंट्स की कमी दिखी। कैग को ऐसे कई नमूने मिले जिसमें राशन में सारे न्यूट्रिएंट्स मौजूद नहीं थे।

गलती नंबर 5

केंद्र सरकार की गाइडलाइन पर खरा न उतरने के बावजूद अफसरों ने न सप्लाई रोकी, न किसी कंपनी पर कार्रवाई करते हुए उन्हें ब्लैक लिस्ट किया।

गलती नंबर 6

2018 से लेकर 2021 तक के सालों में किसी अफसर ने किसी गोदाम या आंगनबाड़ी केंद्र का इंस्पेक्शन नहीं किया जबकि शिकायत पर शिकायतें आती रहीं। सागर शिवपुरी में टीएचआर पैकेट स्टॉक किए मिले। सतना में पोषाहार में कीड़े लगे मिले। भोपाल में पैकेट फटे हुए हुए मिले।

गलती नंबर 7

कई जगह संयंत्रों का संचालन महिला स्व सहायता समूहों को दिया गया लेकिन उन्हें मैनेजमेंट में कोई पद नहीं दिया गया। इसकी वजह से उनकी गंभीरता भी कम रही या सीमित रही। 

पोषाहार के नाम पर प्रदेश के भविष्य के साथ खिलवाड़ तो हो ही रहा है, एक और बड़े तगड़े घोटाले का अंदेशा नजर आ रहा है। लेकिन जांच में लेतलाली हो रही है। पूर्व विधायक की कोशिशों के बाद शिकायत दर्ज तो हुई है लेकिन जांच कहां तक जाएगी। क्या व्यापम घोटाला, डंपर घोटाला, ट्रांसपोर्ट घोटाला की फेहरिस्त में एक और घोटाला जुड़ जाएगा। इससे जुड़े सवालों की गुत्थी हमेशा ही अनसुलझी रह जाएगी?

नियमित कॉलम न्यूज स्ट्राइक के लेखक हरीश दिवेकर मध्यप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार हैं

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