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अपने ही नेताओं की उम्मीदों पर बीजेपी ने खुद ही पानी फेर सकती है. ये साल आधे से ज्यादा गुजर चुका है और तकरीबन इतना ही वक्त अब चुनावी नतीजों के आने में बचा है. साल की शुरूआत से ही बीजेपी के कुछ विधायक इंतजार की च्विंगम चबा रहे हैं. अब च्विंगम का स्वाद तो आप जानते ही हैं. शुरूआत में मीठी लगती है या किसी फ्लेवर से लबरेज होती है. धीरे धीरे मिठास कम होती है और कड़वापन लगने लगता है. अब अपन ठहरे आम लोग च्विंग गम का स्वाद खत्म होते ही उसे फेंक देते हैं. लेकिन मध्यप्रदेश के विधायक जिस च्विंगम को चबा रहे हैं उसे चबाते रहना मजबूरी है. फिर भले ही वो बेस्वाद हो जाए या उसे चबाते चबाते दांतों में दर्द ही क्यों न हो जाए. जब तक उम्मीद है च्विंगम में मिठास रहेगी. लेकिन अब प्रदेश आलाकमान के एक फैसले से ये उम्मीद खत्म होती हुई नजर आ रही है.