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भोपाल। भारतीय जनता पार्टी ने राज्यसभा के लिए लग रहे समीकरणों के बीच अन्य पिछड़ा वर्ग ओबीसी वर्ग की युवा चेहरा कविता पाटीदार को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। पूर्व म़ंत्री स्व. भेरुलाल पाटीदार की बेटी कविता इंदौर जिला पंचायत अध्यक्ष रही हैं और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय की समर्थक मानी जाती हैं। कविता को प्रत्याशी बनाकर भाजपा ने जहां सभी को चौंका दिया है, वहीं राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के भविष्य को लेकर संकट खड़ा कर दिया है। इस बार राज्यसभा के लिए विजयवर्गीय प्रबल दावेदार माने जा रहे थे।
राज्यसभा के लिए मध्य प्रदेश की तीन सीटों के लिए चुनाव होना है। विधायकों की संख्या बल के आधार पर दो सीटें भाजपा तथा एक सीट कांग्रेस के खाते में जाना है।
कांग्रेस ने एक बार फिर विवेक तन्खा को ही अपना प्रत्याशी घोषित किया है। जबकि भाजपा ने आज पहली सूची जारी कर संगठन में प्रदेश महामंत्री कविता पाटीदार को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। प्रदेशाध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा की टीम के लिए सबसे पहले बनाए गए पांच महामंत्रियों में भी कविता का शामिल किया गया था। अब सारी संभावनाओं को दरकिनार करते हुए भाजपा ने कविता का नाम फाइनल कर सभी को चौंका दिया है। भाजपा ने कविता के सहारे ओबीसी के साथ ही महिला कार्ड भी खेला है, जो प्रदेश की राजनीति को प्रभावित करेगी ही, लेकिन पहला और सबसे ज्यादा असर मालवा की राजनीति पर ही पड़ा है। खासकर भाजपा महामंत्री कैलाश विजयवर्गीय की उम्मीदों को तगड़ा झटका लगा है। एक साथ दो सीटें खाली होने पर विजयवर्गीय को उम्मीद थी राष्ट्रीय नेतृत्व इस बार उन्हें राज्यसभा जरूर भेजेगा। कई बार वे उम्मीद इच्छा जताते हुए बाले चुके हैं कि अब वे दिल्ली की ही राजनीति करेंगे, मध्यप्रदेश नहीं लौटेंगे।
छह बार के विधायक और महापौर रहे विजयवर्गीय के लिए सबसे दुखद यह है कि भाजपा ने कविता का नाम आगे बढ़ा कर सबसे ज्यादा उम्मीद उनके समर्थकों की ही तोड़ी है। कविता खुद विजयवर्गीय की समर्थक मानी जाती हैं तो मालवा से अब चाहकर भी दो नाम नहीं हो सकते। वहीं एक परिवार से एक ही टिकट का फैसला भाजपा पहले ही कर चुकी है, विजयगर्वीय खुद इस फैसले के सबसे पहले समर्थक हैं। ऐसे में पार्टी के इस कदम से अब विजयवर्गीय की राह में ही सबसे ज्यादा बाधाएं नजर आ रही हैं। उन्हें तय करना होगा कि अगला चुनाव वे खुद लड़ेंगे या अपने बेटे के लिए जोर लगाएंगे।
अब अगली सीट पर एसटी की नजर
बीजेपी के कोटे की दूसरी सीट से राष्ट्रीय नेतृत्व द्वारा किसी नेता को राज्यसभा भेजना तय माना जा रहा था। इसमें भी केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल का नाम तय था, लेकिन पार्टी ने उन्हें महाराष्ट्र से प्रत्याशी बनाया है। ऐसे में अब दूसरी सीट भी प्रदेश को मिलने की उम्मीद बढ़ गई है। माना जा रहा है कि भाजपा दूसरे चेहरे के लिए किसी आदिवासी कैंडिडेट को प्रदेश से राज्यसभा भेज सकती है, लेकिन आदिवासी वर्ग से सुमेर सिंह सोलंकी को भाजपा पहले ही राज्यसभा सदस्य बना चुकी है। इसके चलते अब अपनी विचारधारा के किसी बड़े चेहरे को मौका देकर भाजपा अपने एजेंडे पर आगे बढ़ सकती है।
10 जून को होंगे चुनाव
भारतीय जनता पार्टी ने एमपी के अलावा बिहार, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हरियाणा राज्य के उम्मीदवारों की सूची 29 मई को जारी कर दी है। एमपी से राज्यसभा सदस्य बने एमजे अकबर, सम्पतिया उइके और कांग्रेस के विवेक कृष्ण तन्खा का कार्यकाल 29 जून 2022 को खत्म हो रहा है। मध्यप्रदेश से राज्यसभा के लिए एमजे अकबर और विवेक तन्खा 11 जून 2016 को निर्वाचित हुए थे। आपको बता दें कि संपतिया उइके का निर्वाचन 31 जुलाई, 2017 को हुआ था। उइके को पूर्व केंद्रीय मंत्री अनिल माधव दवे के निधन के बाद उनकी जगह पर भेजा गया था। मध्यप्रदेश की तीन राज्यसभा सीटों के लिए 10 जून से चुनाव होंगे।
ऐसे होगी हार जीत
मध्य प्रदेश विधानसभा में कुल सीटों की संख्या 230 है। इस समय कांग्रेस के पास 96 विधायक हैं। वहीं, बीजेपी के पास 127 विधायक हैं। बीएसपी के पास 2, सपा का पास 1 और निर्दलीयों की संख्या चार है। एक राज्यसभा सीट पर जीत के लिए 58 विधायकों की जरूरत होगी। विधानसभा की हालिया स्थिति को देखें तो बीजेपी को दो और कांग्रेस को एक सीट पर विजय मिलनी तय है।