धार के पूर्व MLA गौतम केस में हत्या के आरोपी छूटने और जनसपंर्क से न्यूज जारी होने से कांग्रेस नाराज? कोर्ट से क्यों छूटे आरोपी 

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Jitendra Shrivastava
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धार के पूर्व MLA गौतम केस में हत्या के आरोपी छूटने और जनसपंर्क से न्यूज जारी होने से कांग्रेस नाराज? कोर्ट से क्यों 
छूटे आरोपी 

संजय गुप्ता, INDORE. धार के पूर्व विधायक बालमुकुंद गौतम को उनके भाईयों मनोज, राकेश गौतम सहित छह आरोपियों को हत्या के प्रयास में सात-सात साल की सजा हो गई। दो-तीन जून 2017 मे हुए इस घटनाक्रम में बालमुकुंद गौतम ने भी चंदन सिंह, उनके बेटे महेंद्र सिंह, समंदर पटेल, घनश्याम, रघुनाथ कवाडिया, अर्जुन डोडिया, अर्जुन सिंह राजपूत, कैलाश सोलंकी सुरेश सिंह सोलंकी, राहुल कवाडिया, रघुनाथ चौधरी, इंदर सिंह, अर्जुन सिंह पंवार पर हत्या का केस भी कराया था। इसमें सभी आरोपी स्पेशल कोर्ट से दोषमुक्त हो गए, वहीं एक आरोपी महेंद्र सिंह घटना के बाद से ही फरार है। हत्या के प्रयास में गौतम के उनके भाईयों मनोज, राकेश गौतम को सजा होने और वहीं हत्या के आरोपी के दोषमुक्त होने पर कांग्रेस की ओर से पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह की तीखी प्रतिक्रिया आई है। वहीं जनसंपर्क द्वारा भी इस आदेश की औपचारिक न्यूज जारी की गई, इसे लेकर कांग्रेस प्रवक्ता केके मिश्रा ने इसे बीजेपी और शिवराज सरकार की साजिश बता दिया। 



कांग्रेस की ओर से यह आई प्रतिक्रिया



दिग्विजय सिंह ने कहा है कि- आज का न्याय। कांग्रेस कार्यकर्ता के हत्यारे धारा 302 में बरी हो गए और धार के पूर्व कांग्रेस विधायक बालमुकुंद सिंह गौतम व उनके कुछ साथियों को धारा 307 में सजा हो गई। बालमुकुंद जी कांग्रेस पार्टी के समर्पित संघर्षशील नेता है। …डरे नहीं डटे रहे, सत्यमेव जयते। इसी तरह प्रवक्ता केके मिश्रा ने कहा कि- कांग्रेस के पूर्व विधायक बालमुकुंद गौतम को सजा, 302 के आरोपी बरी? फैसला? साजिश में बीजेपी ही नहीं, शिवराज सरकार भी बराबरी की साझेदार है। प्रमाण है जनसंपर्क कार्यालय से इस समाचार का जारी होना।



राजनीतिक सोच वाले अफसर है या दलाल?



क्यों कांग्रेस नाराज, वहीं दिग्गी के समर्थन से प्रभा गौतम का दावा मजबूत



इस पूरे घटनाक्रम से कांग्रेस में भारी नाराजगी है। चंदन सिंह और समंदर सिंह राजवर्धन दत्तीगांव के साथ कांग्रेस से बीजेपी में चले गए थे। बालमुकुंद गौतम के भाई मनोज गौतम के बदनवार से लड़ने की तैयारी थी, उधर धार में बालमुकुंद या फिर उनकी पत्नी प्रभा गौतम की तैयारी थी। इस फैसले के बाद बालमुकुंद सहित उनके भाईयों की दावेदारी खारिज हो गई है, उधर पत्नी की दावेदारी हुई तो बीजेपी हमला करेगी कि अपराधियों के परिवार से टिकट दिया गया। इसे कांग्रेस धार में राजनीतिक हत्या करार कर रही है और अब जिस तरह से पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह का खुला समर्थन गौतम परिवार को आया है, उससे यह माना जा रहा है कि कांग्रेस धार में इस मामले को राजनीतिक हत्या बताते हुए प्रभा गौतम को धार सीट से टिकट देगी, बीते चुनाव में वह बीजेपी की नीना वर्मा से हारी थी। 



दू सूत्र ने पूरा 86 पेज का फैसला पढ़ा, कोर्ट से इन कारणों से छूटे आरोपी




  • घटना में बबलू चौधरी की मौत हुई जो बालमुकुंद का साथी व कांग्रेस कार्यकर्ता था और पिंटू उर्फ शैलेंद्र जायसवाल को गोली लगी थी, वह भी बालमुकुंद गुट का ही था। 


  • बालमुकुंद के आरोप थे कि चंदन सिंह ने गोली चलाई जिससे बबलू की मौत हुई, वहीं उसके बेटे महेंद्र सिंह की गोली से पिंटू घायल हुआ

  • कोर्ट में शैलेंद्र ने माना कि उन्हें नहीं पता कि गोली किसने चलाई, ऐसे में यह तर्क खारिज हो गया कि महेंद्र ने गोली चलाई, वहीं महेंद्र अभी तक फरार ही है तो उसकी बंदूक से गोली चली यह भी पुष्टि नहीं हुई।

  • उधर मौके से पुलिस को छह कारतूस खोल मिले, इसमें पांच तो गौतम के गार्ड चंद्रभूषण के बंदूक के थे, एक अन्य की बंदूक से। पुलिस को यही पता नहीं चला कि बबूल की मौत किस गोली से हुई, यह बंदूक ही नहीं मिली। 

  • गौतम ने कहा था कि चंदन, समदंर, घनश्याम, महेंद्र ने उनके घर के बाहर बने ओटले से गोली चलाई, तो सड़क से ऊपर था। लेकिन मृतक बबूल की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हैं कि गोली नीचे पेट को चीरते हुए पीठ से ऊपर निकली है, ऐसे में कोर्ट को यह बात संदिग्ध लगी, क्योंकि ओटले से गोली आई तो ऊपर से नीचे लगना थी।

  • वहीं कोर्ट को यह बात संदिग्ध लगी कि इतनी फायरिंग हुई, तलवार, लाठियों से हमला हुआ तो फिर गौतम पक्ष की ओर से जो 10-15 लोग थे उनमे से अन्य किसी को कोई चोट क्यों नहीं लगी? जबकि उनका कहना है कि 100-150 लोगों ने हमला किया था, फिर अन्य को चोट नहीं लगने से घटना कोर्ट को संदिग्ध लगी। 

  • गौतम के साथियों के बयान विरोधाभासी थी, किसी ने कहा उनकी गाड़ी आगे थी किसी ने कहा कि पिंटू और बबूल की गाड़ी आगे थी। कौन किस गाड़ी में बैठा था यह भी संदिग्ध, पिंटू ने कहा वह अकेले ड्राइवर के साथ था तो दूसरों ने कहा पिंटू और बबलू एक ही गाड़ी में थे। पूरी घटना संदिग्ध मानी गई। 

  • कोर्ट ने यह भी टिप्पणी करते हुए कहा कि गौतम जिला कांग्रेस अध्यक्ष थे, उनके अधिकारियों से संबंध थे, वह जानते थे, फिर फोन पर पुलिस को घटना की सूचना क्यों नहीं दी, एफआईआर कराने दस-15 लोगों को एकत्र कर नौ हथियार लेकर जाने की क्या जरूरत थी? यह घटना भी कोर्ट को संदिग्ध लगी।

  • गवाहों के यह बयान भी विरोधाभासी थे किसी ने कहा रास्ते में स्ट्रीट लाइट थी किसी ने कहा घरों की लाइट से उजाला था, ऐसे में सभी 14 आरोपियों को पहचान करना मुश्किल काम था। 

  • मुख्य गवाह चंद्रभूषण ने कभी खुद को गनमैन बताया तो कभी गौतम का चौकीदार। 



  • एक अन्य गवाह पम्पू उर्फ विरेंद्र गौतम के बयान भी संदिग्ध, उसने अपनी ओर से घटना की जानकारी ही पुलिस को नहीं दी वह 28 जून को पुलिस ने जब बुलाया तब बताया। जबकि वह पुलिस चौकी के पास ही रहता था।


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