अरुण तिवारी, BHOPAL. 11 जुलाई से विधानसभा का मानसून सत्र शुरू हो रहा है। ये पंद्रहवीं विधानसभा का आखिरी सत्र है। पांच दिन का ये सत्र आदिवासियों पर समर्पित होने वाला है। आदिवासी मुद्दे के अलावा विपक्ष ने भ्रष्टाचार पर भी सरकार को घेरने की तैयारी की है। कमलनाथ ने सोमवार को राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर आदिवासियों के उत्पीड़न की शिकायत की। इतना तय है कि मानसून की फुहारों के बीच ये सत्र सियासी तापमान से गरमाने वाला है।
डेढ़ हजार से ज्यादा सवाल, 22 स्थगन
विधानसभा का मानसून सत्र हंगामेदार होने वाला है। कांग्रेस ने सरकार को घेरने की खास रणनीति बनाई है। कमलनाथ ने आदिवासी विधायकों के साथ मीटिंग कर आदिवासी उत्पीड़न के मामलों को जोरदार तरीके से उठाने को कहा है। इस सत्र में कुल 1642 सवाल आए हैं। कांग्रेस ने सतपुड़ा अग्निकांड, सीधी पेशाब कांड, जगह-जगह आदिवासियों की पिटाई, महाकाल लोक में मूर्तियों का गिरना समेत भ्रष्टचार के मुद्दों पर 22 स्थगन प्रस्ताव लगाए हैं। इस सत्र में सरकार सप्लीमेंटरी बजट के साथ छह विधेयक भी लाने वाली है। मानसून सत्र के दूसरे दिन अनुपूरक बजट पेश किया जाएगा। सप्लीमेंट्री बजट करीब 25 हजार करोड़ रुपए का हो सकता है। इसमें स्कूल टॉप करने वाले स्टूडेंट्स के लिए स्कूटी देने, लाड़ली बहना योजना सहित तमाम योजनाओं के लिए बजट में प्रावधान किया जाएगा।
स्पीकर बोले- कांग्रेस हंगामा करती है
विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम ने कहा कहा कि ये सत्र इस मामले में अहम है क्योंकि इसके बाद प्रदेश में चुनाव होने वाले हैं। कौन इस सदन में रहेगा कौन नहीं रहेगा ये जनता तय करेगी। सदन के हंगामेदार होने के सवाल पर स्पीकर ने कहा कि कांग्रेस हमेशा हंगामा करती है, खुद सवाल उठाती है और खुद ही हंगामा करती है। स्पीकर ने कहा कि सदन चलाने की जिम्मेदारी सरकार की है, लेकिन प्रतिपक्ष की भी ये जिम्मेदारी बनती है वो सदन चलाने में अपनी सकारात्मक भूमिका निभाए। स्पीकर ने दोनों दलों से अपील की है वो सदन को सुचारु रूप से चलाएं।
यह खबर भी पढ़ें
आदिवासियों के मुद्दे पर राज्यपाल से मिले कमलनाथ
आदिवासी उत्पीड़न की घटनाओं को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह समेत आदिवासी विधायकों के प्रतिनिधि मंडल ने राज्यपाल मंगूभाई से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा। कमलनाथ ने कहा कि आदिवासियों की प्रताड़ना को रोकने के लिए राज्यपाल आगे आएं। कांग्रेस ने राज्यपाल को सौंपे ज्ञापन में कहा कि भारतीय जनता पार्टी की 18 साल की सरकार में आदिवासी समुदाय के ऊपर अत्याचार दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। भाजपा सरकार में आदिवासी उत्पीड़न के 30,000 से अधिक मामले दर्ज हो चुके हैं, जबकि इससे बड़ी संख्या ऐसे मामलों की है जो प्रकाश में नहीं आ सके। हाल ही में प्रदेश के सीधी जिले में एक आदिवासी युवक के ऊपर पेशाब करने की घटना सामने आई। घटना का मुख्य आरोपी भाजपा नेता था और भाजपा विधायक का विधायक प्रतिनिधि था। उक्त घटना से पूरे देश में मध्यप्रदेश शर्मसार हुआ है। इसके पूर्व नीमच में आदिवासी युवक को गाड़ी से बांधकर घसीटकर हत्या करने का मामला पूरी दुनिया ने देखा। नेमावर में आदिवासी युवती और उसके परिवार के 5 लोगों को जिंदा गाड़ देने का भीषण कृत्य भी मध्यप्रदेश की माटी को देखना पड़ा। सीधी जिले में घटित हुई घटना के कुछ घंटों में ही इंदौर के महू से दो आदिवासी युवकों को बुरी तरह पीटे जाने का वीडियो भी सामने आया। यहां केवल उन घटनाओं का जिक्र किया गया है जो अत्यंत अमानवीय थीं और जिन्हें पूरी दुनिया ने देखा। यह घटनाएं ना सिर्फ मानवता को शर्मसार करती हैं, बल्कि पूरी दुनिया के सामने मध्यप्रदेश की एक ऐसी तस्वीर पेश करती हैं जिनसे लगता है कि मध्यप्रदेश आदिवासियों पर अत्याचार करने वाले लोगों का प्रदेश बन गया है।
पीसीसी अध्यक्ष कमलनाथ के आवास पर कांग्रेस विधायक दल की बैठक
मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के आवास पर आज कांग्रेस विधायक दल की बैठक हुई जिसमें विधानसभा के मानसून सत्र को लेकर रणनीति तैयार की गई। कमलनाथ ने सभी विधायकों से जनता के मुद्दे पुरजोर ढंग से सदन में उठाने के निर्देश दिए। कांग्रेस की बैठक में तय किया गया कि बीजेपी सरकार के महाकाल लोक घोटाला, सतपुड़ा अग्निकांड और आदिवासी अत्याचार के मुद्दों को प्रमुखता से उठाएगी कांग्रेस। बैठक के बाद मीडिया से चर्चा करते हुए पूर्व वित्त मंत्री एवं विधायक तरुण भनोट ने कहा कि मध्य प्रदेश की जनता महंगाई बेरोजगारी और कुशासन से त्रस्त है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सिर्फ झूठे वादे करते हैं और जनता की आकांक्षाओं पर यह सरकार पूरी तरह विफल हो चुकी है। सदन की कार्यवाही सुचारू रूप से चलाने के सवाल पर भनोट ने कहा कि सदन को चलाने की जिम्मेदारी सत्ता पक्ष की होती है। विधानसभा अध्यक्ष जी यह सुनिश्चित करें कि वह जनता के इन विषयों पर चर्चा करेंगे तो निश्चित तौर पर सदन सुचारू रूप से चलेगा।