नितिन मिश्रा, RAIPUR. डिलिस्टिंग मसले को लेकर आंदोलित आदिवासियों की राजधानी में आयोजित रैली और सभा में धर्मांतरण और ईसाई मिशनरियों को लेकर जमकर नाराजगी जताई गई। मंच से यह कहा गया कि, किसी भी धर्म का विरोध नहीं है लेकिन अधिकारों से समझौता नहीं करेंगे। आदिवासी नेताओं ने अनुच्छेद 342 में संशोधन की माँग करते हुए स्पष्ट किया कि, जल्द ही आंदोलन दिल्ली भी पहुँचेगा।
क्या है मसला
आदिवासियों की नाराजगी यह है कि, उन्हीं के समुदाय के लोग पारंपरिक पूजा पद्धति को छोड़ कर चर्च जा रहे हैं, वे ईसाई धर्मांतरित हो चुके हैं, लेकिन आरक्षण का लाभ मिले इसलिए खुद को आदिवासी भी बताते हैं। बस्तर में इस मसले को लेकर लगातार विवाद की स्थिति है। आदिवासी समुदाय की मांग यही है कि, जो धर्मांतरण कर चुके हैं उन्हें आदिवासी नहीं माना जा सकता। वे दोहरा लाभ नहीं ले सकते।
मंच से क्या- क्या कहा गया...
हम बिरसा मुंडा के वंशज हैं, हम अपने धर्म को नहीं छोड़ेंगे
भोजराज नाग ने कहा कि बस्तर जैसे आदिवासी बाहुल्य इलाके में धर्मांतरण और डिलिस्टिंग को लेकर लगातार विवाद हो रहा है और अप्रिय घटनाएं सामने आ रही हैं। आदिवासी समाज लगातार डिलिस्टिंग की मांग करते हुए आंदोलन को क्रमशः तेज करते जा रहा है। रायपुर में आयोजित जनजाति सुरक्षा मंच के बैनर तले रैली भी उसी आंदोलन का हिस्सा है। मंच से कहा गया “आदिवासी अपने धर्म संस्कृति को बचाने का प्रयास करता है तो उन्हें जेल भेजा जाता है। हम कार्तिक उरांव और बिरसा मुंडा के वंशज हैं, हम अपने धर्म को नहीं छोड़ेंगे। जो हमारे रीति रिवाज नहीं मानता, हम उसको समाज में नहीं रखेंगे। मिशनरी लालच देकर धर्मांतरण का काम कर रहे हैं।
हमारी जमीनें हड़पी जा रही हैं
रामचंद्र खराड़ी बोले- “जनजाति समाज को जो लोग वोट बैंक समझते है, वो आज की यह डिलिस्टिंग रैली देख लें। जनजाति समाज जागरुक हो गया है।सरकार हमें लॉलीपॉप दिखाती है हम सब समझते हैं। बाहर से आए ईसाई, जनजाति समाज का फैसला करेंगे क्या ? हमारी जमीनें हड़पी जा रही हैं।”
हम लोग प्रकृति पूजक हैं
नरेंद्र मराबी ने संबोधित करते हुए कहा कि “देश के ज्ञान विज्ञान को आदिवासी समाज ने आगे बढ़ाया है। हम लोग प्रकृति पूजक हैं। आदिवासी समाज एक हाथ में माला तो दूसरे हाथ में भाला लेकर चलता है।हम लोग प्रकृति पूजक हैं। पर्यावरण की समस्या का समाधान जनजाति समाज ने किया है। ये अंग्रेज धर्मांतरित रूप में फिर से आए हैं।गांव-गांव में संघर्ष हो रहा है।जो ईसाई है वो आदिवासी नहीं हो सकता। ट्राइबल नहीं टायगर है जनजाति समाज।हमारा किसी धर्म से विरोध नहीं है लेकिन अधिकारों से समझौता नहीं करेंगे।”