RAIPUR. छत्तीसगढ़ में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। इस समय जिन कुछ राज्यों में कांग्रेस की सरकार है, उनमें राजस्थान और छत्तीसगढ़ प्रमुख हैं। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ग्राउंड ही नहीं, सोशल ग्राउंड (सोशल मीडिया) पर भी खासे एक्टिव रहते हैं। भूपेश कांग्रेस आलाकमान के करीबी माने जाते हैं। अब पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के ओएसडी उज्जवल दीपक ने भूपेश बघेल पर 14 पॉइंट्स में तंज कसा है। उज्जवल दीपक ने बघेल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए पीएम पद का चेहरा बताया है। उज्जवल ने अपने लंबे ट्वीट में समझाया है कि भूपेश क्यों पीएम पद का चेहरा बन सकते हैं।
वो 14 वजहें जिनके कारण मुख्यमंत्री श्री @bhupeshbaghel जी को @INCIndia का 2024 लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री पद का चेहरा बनाया जा सकता है ।
@INCChhattisgarh @RahulGandhi @priyankagandhi @kharge @DrKumarVishwas
1. यारों के यार
2. निडर और बेबाक़
3. देश के सबसे अच्छे इवेंट… pic.twitter.com/H7wIKw0D42
— Ujjwal Deepak (@ujjwaldeepak) May 11, 2023
वे 14 पॉइंट्स जिनमें भूपेश पर तंज किया...
1. यारों के यार
पूरे देश में आज एक कुशल राजनीतिज्ञ के रूप में पहचाने जाते हैं और लगता है की स्वर्गीय विद्याचरण शुक्ला जी और अजीत जोगी जी के बाद राष्ट्रीय राजनीति में छत्तीसगढ़ से कांग्रेस के एक बड़े चेहरे बनने के योग्य हैं। इन संभावनाओं के बावजूद वो अपने स्वर्णिम राजनैतिक करियर को ताक में रखकर अपने दोस्तों और निकट सहयोगियों के पक्ष में पूरी ताकत से खड़े हैं। उनके निकट सहयोगी बताते हैं की जिन्होंने भी उनको मुख्यमंत्री बनने में मदद की है, उनके संघर्ष के दिनों में तन-मन या धन से सहायता की है, या फिर मुख्यमंत्री का पद सुरक्षित रखने में सहायता की है, वो उसके साथ खड़े हैं।
2. निडर और बेबाकः ED, CBI, IT सबसे पंगा लेते हैं
जब इन भोले भाले कार्यकर्ताओं को लंबे समय तक बिठाकर रखती है, शायद उन्हें और कोई भी तकलीफ देते हैं, सीधे मुख्यमंत्री जी को पीड़ा होती है। उन्हें अनुभव है की जेल में अच्छा खाना और बाक़ी संसाधन उपलब्ध नहीं होते, वो जेल में बंद अपने साथियों की सुविधा का भी पूरा ख्याल रखते हैं ऐसा सुनने में आया है। "गलत" तरीके से फंसाए गए उनके दोस्तों के लिए देश के प्रख्यात वकीलों को फीस के लिए बोलना ही नहीं पड़ता। बताते हैं कि चार्टर प्लेन की व्यवस्था हो या फिर कोई और व्यवस्था हो, वो राज्य का सारा प्रशासन छोड़कर उनकी तीमारदारी में लग जाते हैं।
3. देश के सबसे अच्छे इवेंट मैनेजर और मेहमाननवाज
छत्तीसगढ़ में हुए राष्ट्रीय अधिवेशन में हुए खर्चे देखकर हाईकमान भी अचंभित रह गया था। किसी की मेहमाननवाजी में कोई कमी नहीं की गई थी। गुलाब की पंखुड़ियां बिछाने से लेकर महंगी शराब तक का भरपूर उपयोग किया गया। सुनने में आया है की ऐसी-ऐसी शराब की बोतलें अगले दिन अधिवेशन स्थल के बाहर देखी गयीं जिनका राज्य के समर्पित कायकर्ता आज तक नाम भी नहीं सुने थे। अब नशे के पैसों से हुए समुद्र मंथन में अमृत मिलने की अपेक्षा रखना ही गलत है। हां, हलाहल अवश्य निकला जिसको कंठ में धारण करने कोई नीलकंठ बनने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा।
4. चाणक्य सी कुटिलता और तेज दिमाग
भूपेश बघेल वैलकम फिल्म के वो राजपाल ताड़व हैं जो फिरौती की रकम कम कराने परेश रावल को ले जाता है और रकम को दुगुना करवा देता है। कभी ED वालों को कहते हैं की दोषी लोगों को गिरफ्तार करके दिखाओ या कभी कहते हैं उनकी संपत्ति जब्त करके दिखाओ। ED को चुनौती देकर अपने प्यादों को संकट में डाल देते हैं। कभी कभी तो लगता है की ये चुनौती है या दिशा निर्देश !
5. कुशल राजनीतिज्ञ ही नहीं, बेहतरीन व्यवसायी भी
कोयले की दलाली में हाथ काले होते हैं सुने थे मगर भूपेश जी कोई काम खुद नहीं करते तो हाथ काले होने का सवाल ही नहीं होता। सूत्रों के मुताबिक अपने अधिकारियों को दस्तानों की तरह इस्तमाल कर अपनी सूझबूझ का परिचय देते हैं। काले हुए तो अधिकारी जाने और हाइकमान तो खुश हैं ही। कुछ अधिकारी बताते हैं की कोयले की कारगर नीति बनाने के लिए उन्होंने सूर्यकांत तिवारी जैसे ऊर्जावान, प्रतिभाशाली और कारोबार में निपुण व्यक्ति का चुनाव किया। सूर्यकांत जी बहुत गोरे-गोरे इंसान हैं। कोयले के काले काम में भी जरा सा काजल भी उन्हें छू नहीं पाया। अब देखने वाली बात यह है की क्या सिर्फ दास्ताने ही जेल की कोठरी में जाएंगे या ये कालिख कभी हाथों तक भी पहुंचेगी।
6. इतिहास और भविष्य- दोनों के खिलाड़ी
भूपेश बघेल जी को दर्द मालूम है, राजनीति का। कई चुनाव लड़े, हारे भी और जीते भी। पैसा बहुत लगता है। पाटन के उनके एक जानने वाले बताते हैं की अपने सारे पुराने मित्रों कि व्यवस्था कर दी है। उनकी पूंजी निवेश की हैसियत के मुताबिक किसी को शराब का अहाता (चखना सेंटर) तो किसी को I RON Ore की खदानें। सबकी चिंता बराबर करते हैं भूपेश जी।
7. मानव संसाधन प्रबंधन में निपुणता
अधिकारी गण बताते हैं की मुख्यमंत्री जी को आदमी की पहचान बहुत अच्छी है । किस व्यक्ति से कौन सा काम लेना है, वो भली भाँति जानते हैं । किसको शराब की नीति बनाने का काम देना है ताकि राज्य के राजस्व में बढ़ोत्तरी हो । सूत्रों के मुताबिक़ शराब के काम के लिये श्री अनवर ढेबर जैसे काबिल व्यक्ति को चुना गया । वो एक सम्मानीय होटल कारोबारी हैं और बताते हैं कि शायद उनके धर्म में शराब को हराम माना गया है और शायद वे शराब का व्यसन भी नहीं करते। जब वो ख़ुद नहीं पीते तो ग़बन का सवाल ही पैदा नहीं होता । जितना राजस्व में आना चाहिए था, उतना ही आया।
8. जमीन से जुड़े नेता
भूपेश बघेल जी जमीन से जुड़े नेता हैं। जमीनों का महत्व उन्हें मालूम है। दूरदर्शी हैं, कौन सी जमीन का रेट कब और कैसे बढ़ेगा, सारा अनुभव रखते हैं। रेल लाइन कहां आएगी, फूड पार्क कहां बनेगा, किस ज़मीन को सरकार 4 गुना मुवावजा कहाँ मिलेगा!
9. महिला शक्ति पर भरोसा- कोई लिंग भेद नही, परिवारवाद भी नहीं
सूत्र बताते हैं की महिलाओं की शक्ति पर पूरा विश्वास है। वो किसी भी कार्य में लिंग भेद नहीं करते। उन्होंने अपने सबसे विश्वस्त सिपहसलार के रूप में सौम्या चौरसिया को रखा, क्योंकि वो बेहद काबिल अफसर थीं। बड़े-बड़े IAS / IPS / IFS भी उनकी विद्वता का लोहा मानते हैं। सीनियरिटी का ख्याल नहीं करते हुए उन्होंने मेरिट को चुना। एक SDM स्तर की अधिकारी को सारे अधिकार दिए और पूरा राज्य चलाने का जिम्मा। अपने आपको सिर्फ राजनीति में व्यस्त कर रखा । दोस्तों पर इतना विश्वास कोई बिड़ला ही कर सकता है। उनके मित्रों का कहना है की काम के मामले में वो अपने परिवार की भी नहीं सुनते। भले ही वो गुस्सा हो जाएं, आना जाना बंद कर दें, पत्नी, बेटा, बेटी-दामाद, सबको उन्होंने अपने करमों से दूर रखा। किसी को कार्यों में इंटरफेरेंस की इजाजत नहीं थी। इन सबको भी कोई काम पड़ता है तो इनके दोस्तों से ही आग्रह करना होता है। उनको अगर ठीक लगता है तो ही इनके काम होते हैं। सीधा सपाट काम। परिवार की नहीं चलती। पूरा प्रोटोकॉल प्रबंधन है। काम निश्चित चैनल से ही होगा।
10. धान के कटोरा के असली राइस मिलर
भूपेश बघेल जी छप्पर फाड़ कर देते हैं। खुद एक किसान रहे हैं। राइस मिलर दोस्तों की तकलीफें बखूबी जानते हैं। एक ऐसे ही मिलर ने बताया की जब राइस मिल एसोसिएशन कस्टम मिलिंग की दर बढ़ाने का आवेदन लेकर पहुंचा तो उनकी उम्मीद थी की 40 रुपए से 60-70 हो जाएगा, लेकिन उनके उम्मीद के परे 120 रुपए कर देने से वो हतप्रभ थे। अब कुछ खर्चा भी करना पड़े तो क्या दिक्कत है भाई? तो धान अब कहीं भी कुटाए असली मिलिंग तो हमारे कका ही कर रहे हैं ! अपने कार्यकर्ताओं को राशन दुकान खुलवाकर सबका ख्याज रखा है ...जी ने!
11. कलम की ताकत पहचानते हैं मुख्यमंत्री जी
राष्ट्रीय मीडिया चैनल के मालिक लोग तारीफ करते नहीं थकते हमारे मुख्यमंत्री जी की। गर्व होता है जब वो बताते हैं कि एक बार मुलाकात के बाद ही उनकी करोड़ों के विज्ञापन वाली अर्जी पर त्वरित कार्यवाही कर मुख्यमंत्री जी ने उनके दिल्ली पहुंचने के पहले ही चेक भिजवा दिया है। सब गाते हुए रायपुर एयरपोर्ट से निकलते हैं। "तेरे जैसा यार कहा? बघेल जी को मालूम है की सच्ची पत्रकारिता करने के लिए विज्ञापन जरूरी हैं। इसके पहले की कोई बड़ा मीडिया समूह कोई और पेशकश करे, हमारे मुख्यमंत्री वैध तरीके से उनको खुश कर देते हैं। हमारे जनसंपर्क विभाग की गूंज पूरे देश में है। लोकल पत्रकार तो वेब पोर्टल पर छोटे-छोटे विज्ञापनों से ही अति प्रसन्न हैं।
12. मेहनत कर पैसा कमाने वाले व्यापारियों के सच्चे हितैषी
कुछ व्यापारी मित्रों ने बताया की किसी भी व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल को कोई सब्सिडी चाहिए, जमीन चाहिए, MOU करना हो, बिजली के रेट कम करवाने हों, बिजली बिल माफ करवाना हो, या फिर कोई "सेटलमेंट" करना हो, चाहे उसके लिए RBI से उधार लेने हो, मुख्यमंत्री परहेज नहीं करते। भाड़ में जाए राज्य की वित्तीय हालत, दोस्ती पहले आएगी। यारों के यार हैं बघेल जी। भले राज्य की वित्तीय हालत "आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया" की स्थिति में हो लेकिन असली आमदनी को रुपया से दो रुपया और दो से चार करना का व्यापारिक गुण हमारे मुख्यमंत्री के पास ही है।
13. भूपेश हैं तो भरोसा है
अधिकारी वर्ग बड़े शान से गुणगान करते हुए बताते हैं की अधिकारियों की पदोन्नति हो या फिर उन्हें उनके सीनियर्स को पछाड़कर सबसे पड़ा पद पाना हो, अगर आप मुख्यमंत्री बघेल के दोस्त हैं तो फिर आपको चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। मनचाही, मलाईदार पोस्टिंग आपको मिल जाएगी। भूपेश बघेल जी वादे के पक्के हैं। भूपेश हैं तो भरोसा है। भरोसा ये भी है कि अगर किसी अधिकारी ने बदमाशी की या आदेश की अवहेलना की तो युवा कार्यकर्ता अधिकारी को थाने के अंदर या उसके कार्यालय में ही उसकी औकात बता देते हैं। IAS/ IPS होने का सारा गुरूर खत्म कर दिया जाता है। डर कायम रखना जरूरी है भाई।
14. हाईकमान के वफादार और एक ज़बरदस्त कलाकार
छत्तीसगढ़ियावाद का झुनझुना पकड़कर राज्य की भोली भाली जनता को गेड़ी पर चढ़ाना आता है भूपेश बघेल जी को, लेकिन हाइकमान के आदेश के आगे छत्तीसगढ़ियावाद को भी तिलांजलि दे दी। हमारे मुख्यमंत्री इतने जबरदस्त कलाकार हैं की पूछिए मत। वो गोलमाल फिल्म के वो अमोल पालेकर है जो मूंछ लगाकर छत्तीसगढ़िया बन जाते हैं और जब राज्यसभा भेजने की बारी आती है तो मूंछ हटाकर दिल्ली दरबार का निष्ठावान दरबारी बन जाते हैं। अपने परदेसिया दोस्तों को छत्तीसगढ़ से राज्यसभा भेजने के लिए उन्होंने किसी की परवाह नहीं की। हो सकता है इसी बात पर वो चुनाव हार जाएं पर वो अपने वचन और डील के पक्के हैं।