/sootr/media/post_banners/746414526083fad5f7d2977683834d9b5a1df03d8390653b9b737a94155851c3.jpeg)
MUMBAI. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष शरद पवार ने मंगलवार, 2 मई को बड़ा ऐलान किया। पवार ने एनसीपी अध्यक्ष का पद छोड़ दिया है। अपनी आत्मकथा के विमोचन मौके पर शरद पवार के कहा कि इस उम्र में पार्टी के अध्यक्ष पद पर नहीं रहना चाहता। जहां तक नए अध्यक्ष का सवाल है तो इसे पार्टी तय करेगी। 82 साल के मराठा नेता शरद पवार ने ये घोषणा ऐसे समय में की है, जबकि पिछले दिनों ही एनसीपी में फूट की खबरें सुर्खियों में आई थीं। मीडिया में आया था कि शरद पवार के भतीजे अजित पवार एनसीपी के कई विधायकों के साथ बीजेपी सरकार में शामिल हो सकते हैं।
अपनी आत्मकथा ‘लोक माझे सांगाती- राजनीतिक आत्मकथा’ के विमोचन से कुछ दिन पहले ही शरद पवार ने अपने राजनीतिक कदम का संकेत देते हुए कहा था कि अब रोटी पलटने का वक्त आ गया है। अगर रोटी को नहीं पलटा जाएगा तो रोटी जल जाएगी। इसके कुछ ही दिन बाद यानी 2 मई को उन्होंने एनसीपी का अध्यक्ष पद छोड़ने की घोषणा कर दी।
पवार 2022 में बने थे अध्यक्ष
एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि कई साल तक मुझे राजनीति में पार्टी को लीड करने का मौका मिला है। इस उम्र में आकर ये पद नहीं रखना चाहता। मुझे लगता है कि और किसी को आगे आना चाहिए। पार्टी के नेताओं को ये फैसला करना होगा कि अब पार्टी का अध्यक्ष कौन होगा? शरद पवार आखिरी बार 2022 में ही चार साल के लिए अध्यक्ष चुने गए थे।
अजित बोले- पवार की उम्र को देखते हुए फैसला
अजित पवार ने कहा, 'शरद पवार की उम्र को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। वो सभी कार्यक्रमों में मौजूद रहेंगे। अध्यक्ष नहीं हैं, इसका मतलब यह नहीं कि वो पार्टी में नहीं हैं। आप भावुक ना हों। जो भी नया अध्यक्ष होगा, हम उसके साथ खड़े रहेंगे।'
देश में NCP के 9 सांसद, 3 राज्यों में 57 विधायक
NCP की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक, NCP के देश में अभी 9 सांसद हैं। इनमें लोकसभा के 5 और राज्यसभा के 4 मेंबर शामिल हैं। वहीं, देशभर में पार्टी के 57 विधायक हैं। महाराष्ट्र में 54, केरल में 2 और गुजरात में 1 विधायक शामिल हैं। वहीं, देशभर में पार्टी के 20 लाख कार्यकर्ता हैं।
पवार ने लिखा- लगातार यात्रा मेरी जिंदगी का हिस्सा
शरद पवार ने इस्तीफे में लिखा- 'मेरे साथियों! मैं NCP के प्रेसिडेंट का पद छोड़ रहा हूं, लेकिन सामाजिक जीवन से रिटायर नहीं हो रहा हूं। लगातार यात्रा मेरी जिंदगी का अटूट हिस्सा बन गया है। मैं पब्लिक मीटिंग और कार्यक्रमों में शामिल होता रहूंगा। मैं पुणे, बारामती, मुंबई, दिल्ली या भारत के किसी भी हिस्से में रहूं, आप लोगों के लिए हमेशा की तरह उपलब्ध रहूंगा। लोगों की समस्याएं सुलझाने के लिए मैं हर वक्त काम करता रहूंगा। लोगों का प्यार और भरोसा मेरी सांसें हैं। जनता से मेरा कोई अलगाव नहीं हो रहा है। मैं आपके साथ था और आपके साथ आखिरी सांस तक रहूंगा। तो हम लोग मिलते रहेंगे। शुक्रिया।'
सोनिया को पीएम बनाने का विरोध, फिर एनसीपी पार्टी बनाई
1999 में शरद पवार, पीए संगमा और तारिक अनवर ने सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने का विरोध किया। तीनों का कहना था कि प्रधानमंत्री देश का ही व्यक्ति बने। इस वजह से तीनों को पार्टी से निकाल दिया गया और तीनों ने मिलकर 25 मई 1999 को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) का गठन किया। हालांकि, इसके बाद लगातार 15 साल तक महाराष्ट्र में राकांपा-कांग्रेस गठबंधन की सरकार रही।
ये भी पढ़ें...
एमवीए गठजोड़ बनाने में रही अहम भूमिका
पूर्व केंद्रीय मंत्री और चार बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे पवार की एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना का महा विकास आघाड़ी (एमवीए) गठजोड़ बनाने में अहम भूमिका रही है। पवार ने 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद एमवीए सरकार बनाने के लिए NCP, कांग्रेस और वैचारिक रूप से अलग नजरिया वाली शिवसेना को एक साथ लाने में का काम किया था और बीजेपी को सत्ता से बाहर रखा था।
सुप्रिया ने 15 दिन पहले यह कहा था
गौरतलब है कि शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने ठीक 15 दिन पहले कहा था कि आने वाले 15 दिनों में 'दो बड़े राजनीतिक विस्फोट' होने वाले हैं। संवाददाताओं से बात करते हुए सुप्रिया सुले ने कहा था कि एक (विस्फोट) दिल्ली में और एक महाराष्ट्र में होगा। सुप्रिया ने कहा कि आप जानते हैं कि मैं वास्तविकता में जीती हूं। यदि आप मुझसे आज के बारे में पूछें, तो मैं आपको बता सकती हूं। मुझे नहीं पता कि 15 दिन बाद क्या हो रहा है।
एनसीपी की कमान अब किसे?
एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार के अध्यक्ष पद छोड़ने के ऐलान के बाद एक ही सवाल उठ रहा है कि अब पार्टी की कमान किसे मिलेगी? 82 साल के शरद पवार ने पद छोड़ने की घोषणा के समय पार्टी का उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया है। एनसीपी के उत्तराधिकारियों में 2 नाम सामने आते हैं। पहला नाम है उनकी बेटी सुप्रिया सुले और दूसरा नाम है उनके भतीजे अजित पवार। फिलहाल महाराष्ट्र की राजनीति में इस बात की चर्चा जोरों से थी कि अजित पवार बीजेपी के साथ शामिल होकर गठबंधन में शामिल हो सकते हैं।
अजित पवार 2019 में एक अभूतपूर्व राजनीतिक घटनाक्रम में देवेंद्र फडणवीस के साथ मिलकर बीजेपी सरकार में शामिल हो भी चुके हैं। हाल ही में अजित पवार के पार्टी छोड़ने की अटकलें लगी थीं। हालांकि, अजित पवार ने इन अटकलों को खारिज कर दिया था और कहा था कि वह जीवित रहने तक अपनी पार्टी के लिए काम करेंगे। अजित पवार ने कुछ ही दिन पहले अपने राजनीतिक महात्वाकांक्षा जाहिर की थी और कहा था कि वे 100 फीसदी महाराष्ट्र के सीएम बनना चाहते हैं। अजित पवार के इस बयान को पार्टी आलाकमान को संदेश समझा गया। अगर एनसीपी विधायकों की बात करें तो कई विधायक अजित पवार के फैसले से सहमत दिखते हैं, लेकिन एनसीपी के अंदर उन्हें कितनी स्वीकार्यता मिलती है ये देखने वाली बात होगी। क्योंकि सुप्रिया सुले शरद पवार की बेटी तो हैं ही, साथ ही एनसीपी कैडर में वे पार्टी की सहज उत्तराधिकारी मानी जाती हैं।