छत्तीसगढ़ में नंदकुमार साय के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें, बीजेपी ने की इस्तीफा मिलने की पुष्टि

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Jitendra Shrivastava
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छत्तीसगढ़ में नंदकुमार साय के कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें, बीजेपी ने की इस्तीफा मिलने की पुष्टि

याज्ञवल्क्य मिश्रा, RAIPUR. बीजेपी के दिग्गज आदिवासी नेता नंदकुमार साय को लेकर यह खबरें बहुत तेजी से सामने आ रही हैं कि वे कल कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। अपुष्ट खबरें हैं कि सीएम के बेहद करीबी रायपुर के युवा अल्पसंख्यक नेता जो कि निर्वाचित पद पर है इनकी बेहद प्रमुख भूमिका इस कांग्रेस प्रवेश में है। शाम करीब 4 बजे बाद से नंदकुमार साय की अनुपस्थिति उनके घर पर है, उनके परिजन भी यह नहीं बता पा रहे हैं कि वे कहां हैं। कांग्रेस में शामिल होने की उड़ रही खबरों के बीच सीएम भूपेश के अन्य करीबी की भी चर्चाएं हैं जो कि बस्तर इलाके से आते हैं। रायपुर स्थित साय का बंगला और कांग्रेस के इस बस्तर पृष्ठभूमि वाले नेता का घर आस-पास है। 



प्रदेश अध्यक्ष साव ने माना मिला है इस्तीफा 



नंदकुमार साय के सोशल मीडिया एकाउंट पर उनके इस्तीफे का पोस्ट आया, एक वीडियो भी पोस्ट किया गया पर कुछ ही देर में ये पोस्ट उनके अकाउंट से डिलीट हो गया, लेकिन वाट्सएप ग्रुपों पर नंदकुमार साय का एक पत्र वायरल हुआ जो कि प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव को संबोधित था। द सूत्र से बातचीत के दौरान साव ने कहा कि नंदकुमार साय का पत्र हमें मिला है। हमें लगता है कि उन्हें कोई गलतफहमी हुई है। हम लगातार कोशिश कर रहे हैं कि उनसे हमारा संपर्क हो, लेकिन उनसे किसी भी प्रकार से संपर्क नहीं हो पा रहा है जिससे हम चिंतित हैं। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव ने इस बात को माना है कि नंदकुमार साय के नए राजनीतिक मुकाम को लेकर कुछ खबरें उन तक आई है, लेकिन वे इन अपुष्ट खबरों पर भरोसा नहीं करते।   



वे कई मौकों पर अपनी इस कसक को नहीं छुपा पाए



पदों की स्वर्णिम जवाबदेही के बावजूद विशेषकर 2005 से लेकर 2018 तक नंदकुमार साय की नाराजगी लगातार सामने आती रही जो कि राज्य की बीजेपी सरकार के मुखिया रमन सिंह के खिलाफ ही मानी गई। वे कई मौकों पर अपनी इस कसक को नहीं छुपा पाए। छत्तीसगढ़ आदिवासी बाहुल्य राज्य है और आदिवासी को ही सीएम पद मिलना चाहिए था। बीजेपी के करीब-करीब सभी शीर्ष निर्वाचित पदों को छू चुके नंदकुमार साय का आक्रोश तब भी दबे स्वर में सामने आाया था, जबकि उन्हें मरवाही में हुए उपचुनाव में बीजेपी का प्रत्याशी बनाया गया था और उनके सामने अजीत जोगी बतौर प्रतिद्वंदी मौजूद थे। नंदकुमार साय का राजनीतिक पृष्ठभूमि को देखें तो उनके राजनैतिक अभिभावक बीजेपी संगठन के लखीराम अग्रवाल माने जाते हैं।



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सीएम भूपेश बघेल का ट्वीट गौरतलब



नंदकुमार साय के बीजेपी के इस्तीफा देने और कांग्रेस प्रवेश की अफवाहों के बीच सीएम भूपेश बघेल का एक ट्वीट है जिसकी चर्चा बेहद प्रासंगिक है। सीएम भूपेश बघेल ने ट्वीट में लिखा है कि आज श्री नंदकुमार साय जी ने अपने साथ-साथ आदिवासियों के मन की बात भी कह दी है। सीएम भूपेश ने अरपने ट्वीट में हैशटैग दिया है आदिवासी विरोधी बीजेपी। सीएम ने इस ट्वीट के साथ नंदकुमार साय का पत्र भी ट्वीट किया है विदित है कि आज ही मन की बात के 100वें एपिसोड को बीजेपी ने इसे उत्सव/पर्व की तरह आयोजित किया था। सीएम भूपेश बघेल के ट्वीट के शब्द मन की बात कार्यक्रम पर भी तंज माने जा रहे हैं।



जोगी शासनकाल के अंतिम दौर में साय की बिटिया ने भी किया था कांग्रेस प्रवेश



अजीत जोगी शासन काल के अंतिम दौर में जबकि कई बीजेपी नेताओं और उनके परिजनों के रहस्यमय कांग्रेस प्रवेश का सिलसिला चल रहा था। तब 2003 के अगस्त-सितंबर माह में नंदकुमार साय की बेटी का भी कांग्रेस प्रवेश हुआ था।



ऐसा रहा नंद कुमार साय का राजनीतिक सफर




  • 1977-79 और 1985-89: सदस्य, मध्य प्रदेश विधान सभा (दो कार्यकाल)


  • 1977-78 और 1986-88: सदस्य, विशेषाधिकार समिति, मध्य प्रदेश विधान सभा

  • 1978-79: अध्यक्ष, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण संबंधी समिति, मध्य प्रदेश विधान सभा

  • 1988-89: सदस्य, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण संबंधी समिति, मध्य प्रदेश विधान सभा

  • 1989-1991: मध्य प्रदेश में रायगढ़ (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) से नौवीं लोकसभा सदस्य । अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के 



  • कल्याण संबंधी समिति




    • 1990-91: सदस्य, वित्त मंत्रालय की सलाहकार समिति सदस्य, गृह मंत्रालय की सलाहकार समिति


  • 1996–97: सदस्य, ग्यारहवीं लोकसभा (दूसरा कार्यकाल), मध्य प्रदेश में रायगढ़ (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) से

  • 2000-2004: सदस्य, छत्तीसगढ़ विधान सभा

  • 2004-2009: सदस्य, चौदहवीं लोकसभा (तीसरा कार्यकाल) - सदस्य, छत्तीसगढ़ में सरगुजा (लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र) से। निजी सदस्यों के विधेयकों और प्रस्तावों पर समिति सदस्य, ऊर्जा 2004 पर समिति, सदस्य, सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के लिए सलाहकार समिति

  • अगस्त 2009: राज्यसभा के लिए निर्वाचित

  • जून 2010: राज्यसभा के लिए फिर से निर्वाचित

  • अगस्त 2010 - मई 2014 और सितंबर 2014 आगे: सदस्य, कोयला और इस्पात संबंधी समिति अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण सितम्बर।

  • 2014 आगे: सदस्‍य, सामाजिक न्‍याय और अधिकारिता संबंधी समिति सदस्य, पटल पर रखे गए पत्रों संबंधी समिति। 28 फरवरी 2017 को, नंद कुमार साय ने राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण किया।


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