रविकांत दिक्षित, AYODHYA.आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती है। राम मंदिर निर्माण के कर्णधारों में उनका किरदार भी अपने आप में अहम है। हालांकि बाबरी विध्वंस के समय वे अयोध्या में नहीं थे। वे आपसी सुलह के जरिए अयोध्या विवाद का समाधान चाहते थे। उत्तर प्रदेश के बलरामपुर से सांसद चुने गए वाजपेयी का अयोध्या से गहरा लगाव था। हनुमनगढ़ी के प्रति उनकी विशेष आस्था थी। वह जब भी अयोध्या पहुंचते थे तो हनुमान जी के दर्शन करने जरूर पहुंचते थे। इसी के साथ वे अपने गुरु के आश्रम पहुंचकर वहां चूरा-दही खाते थे।
पीएम से मिला था प्रतिनिधि मंडल
वर्ष 2001 में यहां के वरिष्ठ धर्माचार्यों का एक प्रतिनिधि मंडल श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन के महानायक महंत रामचंद्र दास परमहंस के नेतृत्व में दिल्ली पहुंचा। वहां संतों की मुलाकात तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से हुई। तब महंत ने राम मंदिर निर्माण की दिशा तय करने आग्रह किया था।
अयोध्या समिति का किया गठन
इसके बाद जनवरी 2002 में राम मंदिर व बाबरी मस्जिद विवाद सुलझाने के लिए अयोध्या समिति गठित की गई थी। उस समय बनी समिति में वरिष्ठ आईएएस शत्रुघ्न सिंह को केंद्र सरकार की ओर से प्रतिनिधि नियुक्त किया गया। वरिष्ठ आईएएस सिंह को हिंदू और मुस्लिम पक्ष के बीच सुलह से इस विवाद के समाधान की जिम्मेदारी सौंपी गई।
पुरातत्व विभाग से कराया था सर्वे
वर्ष 2003 में प्रधानमंत्री वाजपेयी के निर्देश पर पुरातत्व विभाग ने रेडियो तरंग के जरिये पड़ताल शुरू की थी। इसके जरिए यह पता लगाने की कोशिश थी कि विवादित परिसर के नीचे किसी प्राचीन इमारत के अवशेष तो नहीं हैं। दो माह बाद अप्रैल 2003 में पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग ने विवादित स्थल की खुदाई शुरू की थी।
लखनऊ का वो ऐतिहासिक भाषण
जब भी राम मंदिर का जिक्र होता है तो देश के पूर्व पीएम वाजपेयी के 1992 में लखनऊ में दिए गए एक भाषण का काफी जिक्र होता है। इस भाषण में वाजपेयी ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला लिया है, उसका अर्थ मैं ये निकालता हूं कि वो कार सेवा रोकता नहीं है। सचमुच में सुप्रीम कोर्ट ने हमें दिखा दिया है कि हम कार सेवा करेंगे, रोकने का तो सवाल ही नहीं है। कल कार सेवा करके अयोध्या में सर्वोच्च न्यायालय के किसी निर्णय की अवहेलना नहीं होगी। कार सेवा करके सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का सम्मान किया जाएगा। वहां नुकीले पत्थर निकले हैं तो उन पर तो कोई नहीं बैठ सकता है तो जमीन को समतल करना पड़ेगा, बैठने लायक करना पड़ेगा। यज्ञ का आयोजन होगा।