खुदाई में मिले मंदिर के अवशेष, बर्तन, जेवरातः ASI की रिपोर्ट ने लगाई मुहर, कांग्रेस की सत्ता आई मनमोहन सिंह बने प्रधानमंत्री

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Jitendra Shrivastava
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खुदाई में मिले मंदिर के अवशेष, बर्तन, जेवरातः ASI की रिपोर्ट ने लगाई मुहर, कांग्रेस की सत्ता आई मनमोहन सिंह बने प्रधानमंत्री

रविकांत दीक्षित, AYODHYA. यूं तो अवध के कण-कण में भगवान श्रीराम बसे हैं। ये वे दिन थे, जब रामलला टेंट में विराजमान थे। रामभक्तों के मन में यही सबसे बड़ी पीड़ा थी। आखिर इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद आर्केलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) ने खनन शुरू कर दिया। मशीनें गड़गड़ाने लगीं। दिन रात खनन चल रहा था। जमीन से निकलने वाली हर पुरातन वस्तु, प्रतिमा या अवशेष भक्तों के उत्साह में चार चांद लगा देते थे। अंतत: 7 अगस्त 2003 को मशीनें बंद हो गईं। वरिष्ठ लेखक माधव भांडारी अपनी किताब 'अयोध्या...जो कभी पराजित नहीं हुई' में लिखते हैं, 22 सितंबर 2003 को ASI ने न्यायालय में अपनी रिपोर्ट दाखिल की। इसमें जिक्र था कि कुछ हजार साल पहले तक विवादित स्थल के आसपास मानव संस्कृति रही है। उस स्थान पर मानव का निवास नहीं था, लेकिन वह स्थान सार्वजानिक अथवा धार्मिक स्वरूप का रहा होगा और उसमें निरंतरता बनी हुई है।

ASI ने दी संपूर्ण जानकारी

रिपोर्ट से पता चला कि खनन में मिले प्राचीन अवशेष ईसा पूर्व 1300 या उससे भी पहले के हो सकते हैं। ASI ने अपनी रिपोर्ट में सम्राट, राजाओं के काल के हिसाब पूरी जानकारी विस्तार से दी थी। अवशेषों में मूर्तियां, मिट्टी के बर्तन, जेवरात और इसके साथ ही निर्माण के अवशेष सामने आए। इनमें ताम्र के सिक्के और कुछ शिलालेख भी थे। सातवीं शताब्दी से दसवीं शताब्दी तक के एक मंडलाकार मंदिर के अवशेष भी प्राप्त हुए थे।

ढांचे के नीचे मिली विशाल संरचना

खनन में ढांचे के नीचे एक विशाल संरचना पाई गई। इसमें 50 मीटर लंबी एक दीवार थी। स्तंभ और दीवार की नींव के साथ वेदी थी। उत्तर से दक्षिण की तरफ जाने वाले स्तंभ-आधार की 17 कतारें थी। हर कतार में 5 स्तंभ-आधार थे। इसमें 12 पूर्ण रूप थे तो बाकी जीर्ण-शीर्ण। कुल मिलाकर ASI की रिपोर्ट के बाद उस स्थान पर प्राचीन हिंदू मंदिर था, यह सच्चाई साबित हो गई।

कोर्ट में चलती रही सुनवाई

इधर, 22 मई 2004 को सार्वजनिक चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की गठबंधन सरकार को हार का सामना करना पड़ा। कांग्रेस एक बार फिर सत्ता में लौट आई थी। मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बनाए गए। हाईकोर्ट में भी सुनवाई का क्रम चलता रहा। दलीलों पर दलीलें चल रही थीं। ASI की रिपोर्ट सबसे खास थी। गवाहों के कोर्ट में फेरे होते रहे। धार्मिक तथ्य कोर्ट में पेश किए गए। पुराने गजेटियर्स का भी हवाला दिया गया।

लिबरहान आयोग ने 17 साल बाद दी रिपोर्ट

30 जून 2009 को लिबरहान आयोग की रिपोर्ट ने देश में एक बार फिर बवाल मचा दिया। 17 वर्षों बाद यह रिपोर्ट सामने आई थी। इसके आधार पर लालकृष्ण आडवाणी और कई बीजेपी नेताओं के साथ 68 लोगों को विवादित ढांचा गिराने का दोषी माना गया। इस फैसले पर तब अनेक प्रतिक्रियाएं सामने आई थीं। हाईकोर्ट में अरसे तक सुनवाई चलती रही। तमाम गवाहों और सबूतों के मद्देनजर 30 सितंबर 2010 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस मामले में फैसला दिया।

निरंतर...

अयोध्या नामा के अगले भाग में जानिए...

  • हाईकोर्ट के एक फैसले से देश में हुई आतिशबाजी
  • और सत्ता में आई भारतीय जनता पार्टी की सरकार




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