BHOPAL. महाकाल के भक्तों के लिए इस साल श्रावण और भादौ में बहुत खास हैं। इस बार उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर से भोलेनाथ की 10 सवारियां नगर भ्रमण पर निकलेंगी। इसके अलावा साल 2023 में श्रावण का अधिक मास भी है। यह संयोग 19 साल बाद आया है। खास बात यह भी है कि बाबा महाकाल की 7वीं सवारी 21 अगस्त को नागपंचमी के दिन निकलेगी। वहीं, 8वीं सवारी 28 अगस्त को निकलेगी। इस दिन सोम प्रदोष है। पर्व विशेष होने से इन मौकों पर महाकालेश्वर मंदिर में देशभर से लाखों की संख्या में श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है।
19 साल पहले श्रावण में निकली थी महाकाल की 10 सवारियां
3 जुलाई को गुरु पूर्णिमा है और 4 जुलाई से श्रावण मास प्रारंभ हो रहा है। उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर से श्रावण-भादौ के महीनों में बाबा महाकाल प्रजा को दर्शन देने के लिए चांदी की पालकी में सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलते हैं। हर साल उनकी 6 से 7 सवारियां निकलती हैं, लेकिन इस बार अधिक मास का संयोग होने के कारण 10 सवारियां निकाली जाएंगी। महाकाल मंदिर के पुजारियों के अनुसार, 19 साल पहले श्रावण में अधिक मास का संयोग बना था, तब भी महाकाल की 10 सवारियां नगर भ्रमण पर निकली थीं।
महालोक निर्माण के बाद श्रद्धालुओं की संख्या प्रतिदिन 1.50 लाख तक पहुंची
श्रावण-भादौ में भगवान महाकाल के दर्शन के लिए प्रतिवर्ष हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं। अब श्री महाकाल मंदिर में महालोक निर्माण के बाद से प्रतिदिन श्रद्धालुओं की संख्या 1 से 1.50 लाख पर पहुंच गई है। ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार श्रावण में अधिक मास का संयोग होने से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंचेंगे।
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नागपंचमी पर खुलता है नागचंद्रेश्वर मंदिर, इसी दिन सवारी भी
वहीं, देशभर के श्रद्धालु वर्ष में एक बार नागपंचमी पर खुलने वाले मंदिर के तीसरे तले पर स्थित श्री नागचंद्रेश्वर भगवान के दर्शन को पहुंचते हैं। इस बार एक संयोग यह भी है कि नागपंचमी का पर्व 21अगस्त को है और इसी दिन महाकाल की सातवीं सवारी भी निकाली जाएगी। जिला और मंदिर प्रशासन मानकर चल रहा है कि इस दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु उज्जैन पहुंचेंगे।
महाकाल महाराज के रूप में शिव करते हैं निवास
सावन महीने में महाकाल की नगरी उज्जैन में भक्तों की भारी भीड़ लगती है। उज्जैन सम्राट विक्रमादित्य की राजधानी अवन्तिका के रूप में भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है। प्राचीन काल में इस शहर को अवन्तिका के नाम से जाना जाता था। मान्यता है कि आज भी उज्जैन में भगवान शिव राजाधिराज महाकाल महाराज के रूप में साक्षात निवास करते हैं।