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BHOPAL. मंदसौर में सहकारी राशन में 87 करोड़ के गेहूं घोटाले में बीजेपी नेता समेत 11 आरोपियों को कोर्ट ने दोषी करार दिया है। मामला 2002 का है। कोर्ट ने सोमवार, 18 दिसंबर को इस मामले में फैसला सुनाया। पुरुष आरोपियों को 5-5 साल और महिलाओं को 4-4 साल की जेल की सजा सुनाई गई। आरोपियों को साढ़े चार-चार लाख जुर्माना भी भरना पड़ेगा।
21 साल पहले का मामला
मामला लगभग 21 वर्ष पूर्व का बताया जा रहा है। उक्त समय राजेंद्र सिंह गौतम जिला सहकारी बैंक मंदसौर के अध्यक्ष भी थे। उन्हीं के कार्यकाल में यह गेंहू घोटाला हुआ था। इसमें सहकारी समितियों में खाद्यान के रूप में वितरित किए जाने वाले गेंहू की कालाबाजारी की थी। करीब 21 साल बाद गौतम और उनकी पत्नी योगेश देवी को भी दोषी पाया गया है।
गरीब का सरकारी गेहूं कालाबाजार में बेचा
मामला 2002 का है। राजेंद्र सिंह गौतम उस समय कांग्रेस में थे। वो जिला पंचायत और जिला कांग्रेस अध्यक्ष भी रहे। वर्ष 2002 में सरकारी बाजार उपभोक्ता भंडार अध्यक्ष पद पर रहते हुए राजेंद्र सिंह गौतम, उनकी पत्नी योगेश देवी गौतम और अन्य आरोपियों ने मिलकर राशन का गेहूं, केरोसिन और अन्य सामान गरीबों को न देकर उसकी कालाबाजारी कर बाजार में बेच दिया था। अभियोजन मीडिया सेल प्रभारी दीपक जमरा ने बताया कि 24 जुलाई 2002 को थाना प्रभारी अनिल सिंह राठौर को मुखबिर से सूचना मिली थी। उसने बताया था कि सहकारी बाजार मंदसौर का कर्मचारी रामचंद्र दरक सिविल आपूर्ति निगम से शासकीय गेहूं को ट्रक में भरकर शांतनु कॉम्पलेक्स में वीरेंद्र जैन के क्लीनिंग मिल में जेठानंद सिंधी को बेच रहा है। वो सरकारी गेहूं के 50-50 किलो के कट्टों में VIP ब्रांड लगाकर अवैध लाभ कमा रहा है। इस पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए मौके पर जेठानंद सिंधी और मुश्ताक को पकड़ा। पुलिस ने गेहूं से भरे ट्रक को जब्त कर केस दर्ज किया था।
21 साल कोर्ट में सुनवाई के दौरान 252 पेशी हुई
कोर्ट ने 4 पुरुष आरोपियों को 5-5 साल और 7 महिला आरोपियों को 4-4 साल जेल की सजा सुनाई। हर आरोपी पर 4 लाख 61 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया। इस मामले में कुल 16 आरोपी थे। इनमें पांच आरोपियों की मौत हो चुकी है। करीब 18 साल कोर्ट में सुनवाई के दौरान 252 पेशी हुई। इन सभी पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले लोगों को बांटे जाने वाली खाद्य सामग्री गेहूं आदि को खुले बाजार में बेचने का दोषी पाया गया।
घोटाले के समय कांग्रेस पार्टी में थे
राशन घोटाले के मुख्य आरोपी राजेंद्र सिंह गौतम और इनकी पत्नी योगेश देवी है। गौतम और उनकी पत्नी उस समय जिला सहाकरी उपभोक्ता भंडार के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के साथ कांग्रेस नेता थे। वर्तमान में राजेंद्र गौतम भाजपा नेता और जिला सहकारी बैंक के उपाध्यक्ष है। वहीं महमूद मंसूरी तत्कालीन मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला सहकारी थोक उपभोक्ता भंडार के पद पर पदस्थ थे।
इन आरोपियों को सजा
राजेन्द्र सिंह गौतम (68), मेहमूद पिता इब्राहिम मंसूरी (66), रामचंद्र दरक (65), नजमा पति लियाकत हुसैन (52), शीला देवी शर्मा (62), रमादेवी राठौर (50), राखी राठौड़ (48) ,मालती देवी सोनी (64), योगेश देवी गौतम (66), हेमा पति हेमंत कुमार हिंगड (57), हेमंत पिता मिश्रीलाल हिंगड (60)।
गबन कर सरकार को लगाई करोड़ों रुपए की चपत
आरोपियों ने साजिश के तहत 87 करोड़ 83 लाख 92 हजार 28 रुपए की आर्थिक अनियमितता की। सरकारी गेहूं को खुले बाजार में बेचकर 35 लाख 83 हजार 596 रुपए का गबन किया और लोकसेवा पद का दुरुपयोग कर शासन को करोड़ों रुपए की आर्थिक हानि पहुंचाते हुए भ्रष्टाचार किया।
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