/sootr/media/post_banners/925eb3abd3f95818cd16a19eea4bcf2c44e9ef951ee2883b99c972da7b97ce11.jpeg)
INDORE. दो हजार रुपए में खराब जूता बेचने पर इंदौर जिले के मेडिकल व्यापारी ने नामी शू कंपनी कोलंबस के खिलाफ सात साल तक कानूनी लड़ाई लड़ी, जीत भी गए। अब उपभोक्ता फोरम ने कंपनी और दुकानदार पर जुर्माना लगाने के साथ ही ब्याज सहित जूतों की कीमत चुकाने के आदेश दिए हैं। यह हर्जाना राशि करीब 13 हजार 500 रुपए बनती है। मामला 2016 का है। जूता कंपनी ने बचाव में कहा था कि जूते की उम्र उसकी इस्तेमाल पर भी निर्भर करती है। यदि कोई पानी में ज्यादा पहने, रफ उपयोग करे या कूदे-फांदे तो यह जल्दी खराब हो सकता है। इस पर कोर्ट ने कहा है कि जो शूज बेचे गए हैं, वह स्पोर्ट्स के ही हैं। इनका इस्तेमाल दौड़ने, भागने में ही तो होगा।
जूते की जांच की तो ये आया सामने
मेडिकल से जुड़े व्यापारी धर्मेंद्र शुक्ला के एडवोकेट हरीश शर्मा बताते हैं कि कोलम्बस कंपनी स्पोर्ट्स शू बनाती है। इनके टीवी में विज्ञापन भी आते हैं कि इनके द्वारा बनाए गए जूते बहुत मजबूत होते हैं और सालों साल चलते हैं। क्वालिटी और कीमत में कोई समझौता नहीं किया जाता है। इन विशेषताओं से प्रभावित होकर महू निवासी धर्मेंद्र शुक्ला ने वहां के न्यू प्रफुल्ल स्पोर्ट्स स्टोर से शू खरीदे। शू की कीमत दो हजार रुपए से अधिक थी। दुकानदार ने ये आश्वासन दिया था कि कोलंबस कंपनी के यह शू कम से कम दो साल तो चलेंगे, लेकिन शू एक महीने भी नहीं चले। चार दिन में ही शू का तलवा तो उखड़ा ही साथ ही ऊपरी हिस्सा भी फट गया।
कोई कार्रवाई नहीं हुई तो कंज्यूमर कोर्ट में केस कर दिया
इसकी शिकायत धर्मेंद्र शुक्ला ने दुकानदार से की। इस पर दुकानदार ने अभद्रता करते हुए उन्हें रवाना कर दिया। शिकायत भी की, लेकिन कहीं से कोई कार्रवाई नहीं हुई तो शुक्ला ने कंज्यूमर कोर्ट में केस कर दिया। इसमें कोलंबस शू कंपनी और जूता बेचने वाले दुकानदार को पार्टी बनाया गया। न्यायालय में जूता कंपनी की तरफ से तो कोई हाजिर नहीं हुआ,लेकिन विक्रेता हाजिर हुआ और उसने सारी जिम्मेदारी कंपनी पर डाल दी। उसका कहना था कि कंपनी ने ही गलत बनाया है तो मैं क्या करूं। उसने ये स्वीकार कर लिया कि सारी गलती कंपनी की है।
जूते में लगाया गया चमड़ा बहुत पुराना और आउट डेटेड है
इसके बाद कोर्ट ने इंदौर के एक जूता निर्माता से जूते की जांच करवाई तो पता चला कि जूते में लगाया गया चमड़ा बहुत पुराना और आउट डेटेड है। मैन्युफैक्चरिंग के लिए जो पेस्टिंग की गई है वो घटिया क्वालिटी की है। इन सारी बातों को रिकॉर्ड पर मानते हुए, उपभोक्ता न्यायालय ने शुक्ला के पक्ष में फैसला दिया है। जूता कंपनी और जूता विक्रेता पर 5-5 हजार रुपए का हर्जाना लगाया है साथ ही जूते की कीमत ब्याज सहित एक महीने के अंदर चुकाने के लिए कहा है। शुक्ला ने 2016 में ये केस लगाया था।
बहुत परेशानियां झेली, लेकिन सोच लिया था लड़ाई लड़ूंगाः ग्राहक
धर्मेंद्र शुक्ला ने कहा कि हमने कोलंबस कंपनी का जूता 28 अगस्त 2016 को महू की न्यू प्रफुल्ल स्टोर्स से खरीदा था, लेकिन वो एक महीने भी नहीं चला, फट गया। उसके बाद इंदौर की उपभोक्ता फोरम कोर्ट में केस लगाया। मैंने सोच लिया था कि लड़ाई लड़ना है और हमें न्याय मिला। केस के दौरान बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा। कई बार महू से इंदौर आना-जाना किया। इस दौरान तब अजीब स्थिति बन गई जब जूता कंपनी ने अपना जवाब दिया। उसने कहा कि हर जूते की लाइफ उसके इस्तेमाल पर भी टिकी होती है। यदि कोई रफ यूज करेगा या बारिश में ज्यादा पहनता है या फिर कूदता-फांदता है तो जल्दी खराब हो सकता है। इसमें कंपनी की क्या गलती है। इसी बात पर कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए फैसले के वक्त कहा है कि स्पोर्ट्स शूज का इस्तेमाल खेलने के लिए ही होता है। यदि दौड़ने, भागने में जल्दी खराब हो जाते हैं तो यह तो सेवा में कमी है। साथ ही गलत प्रचार किया जा रहा है।
यह खबर भी पढ़ें
निर्माता कंपनी और विक्रेता उपभोक्ता से बहुत सी चीजें छिपाते हैंः वकील
दो साल से प्रोसेस चलती रही और कंपनी अपना मुंह छिपाती रही और दुकानदार ही जैसे-तैसे आगे आया। लेकिन वो भी अपनी बात को साबित नहीं कर पाया कि उसने घटिया जूता किस प्रकार से बेचा। इससे ये प्रमाणित होता है कि जितनी भी मैन्युफैक्चरिंग कंपनी और विक्रेता हैं, डिस्ट्रीब्यूटर्स है। होल सेलर हैं ये उपभोक्ता से बहुत सी चीजें छिपाते हैं। अपने घटिया माल को भी अच्छा बताकर, उस पर पैकिंग अच्छा लगाकर बेच देते हैं और अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते है। जब उपभोक्ता परेशान होता है तो उससे अभद्रता कर भगा देते हैं। कई बार तो पुलिस के सहयोग से उपभोक्ता की आवाज को दबा दिया जाता है लेकिन उपभोक्ता को सावधान रहना चाहिए, सतर्क रहना चाहिए। अगर इस तरह की धोखाधड़ी कोई कंपनी या सेलर, रिटेलर्स करता है तो उसके पास अधिकार होता है कि वो उपभोक्ता फोरम में अपनी शिकायत लेकर जा सकता है।
जूतों का निर्माता नहीं मेरा कोई उत्तरदायित्व नहींः दुकानदार
कोलंबस जूतों का निर्माता वो नहीं है और न ही उसने जूतों का निर्माण किया है। इसलिए उसका कोई भी उत्तरदायित्व जूतों में पाई गई त्रुटि के संबंध में नहीं है। कोलंबस जूतों के संबंध में कोई गारंटी या वारंटी नहीं दी गई। जूतों में मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट या कोई त्रुटि व खराबी निकलती है तो वो जिम्मेदार नहीं है। फरियादी से किसी प्रकार का अभद्र व्यवहार भी नहीं किया गया। फरियादी ने ऐसा कोई भी दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किया है कि जिससे पता चले कि जूतों के बारे में कोई गारंटी दी गई हो। इसके अतिरिक्त भी जूते कितने समय तक चलेंगे वह उसके उपयोग पर निर्भर करता है। फरियादी ने जूतों का उपयोग सही से नहीं किया। जिस वजह से जूते में कोई खराबी हुई होगी।