BHOPAL. पहली बार भोपाल गैस त्रासदी मामले में डाउ केमिकल (यूनियन कार्बाइड) के वकील जिला अदालत में पेश होकर कंपनी का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि भारत की अदालत के पास अमेरिकी कंपनी के खिलाफ केस की सुनवाई का जूरिडिक्शन (न्याय अधिकार) नहीं है। वकीलों ने कोर्ट से डिटेल ऑब्जेक्शन फाइल करने के लिए और समय मांगा। जिला कोर्ट ने अगली तारीख 25 नवंबर तय की है।
7वें समन पर कंपनी के वकील कोर्ट में हाजिर हुए
मंगलवार, 3 सितंबर को मजिस्ट्रेट विधान माहेश्वरी की कोर्ट में गैस त्रासदी मामले में सुनवाई है। इसमें डाउ केमिकल की तरफ से एडवोकेट संदीप गुप्ता और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट रवींद्र श्रीवास्तव पेश हुए। जबकि याचिकाकर्ता भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन के वकील अवि सिंह ऑनलाइन जुड़े। इससे पहले अदालत डाउ केमिकल को 6 समन जारी कर चुकी थी। 7वें समन पर कंपनी के वकील कोर्ट में हाजिर हुए।
कंपनी के खिलाफ केस चलाने का अधिकार नहींः गुप्ता
सीनियर एडवोकेट संदीप गुप्ता ने बताया कि यह कंपनी अमेरिका में है। इसलिए भोपाल के न्यायालय के क्षेत्राधिकार में नहीं आती है। कंपनी के खिलाफ केस चलाने का कोई अधिकार नहीं है। हमने कहा है कि अगली तारीख को विस्तृत आब्जेक्शन फाइल करेंगे। इस पर सीबीआई के वकील ने कोई आपत्ति नहीं की। सिर्फ याचिकाकर्ता के वकील अवि सिंह ने आपत्ति ली थी। उनका कहना था कि 2004 में हाईकोर्ट से जूरिडिक्शन के पाइंट पर इनकी याचिका खारिज की गई थी। ऐसे में अब जूरिडिक्शन को चैलेंज नहीं कर सकते। हमने जवाब में कहा कि याचिका खारिज हुई तब वह डाउ इंडिया लिमिटेड सिंगापुर की कंपनी थी। अब यह डाउ केमिकल प्राइवेट लिमिटेड यूएस की कंपनी है। इसलिए हमें जूरिडिक्शन को चैलेंज करने का पूरा अधिकार है। कोर्ट ने हमारी बात सुनी है और सुनवाई के लिए 25 नवंबर की डेट दी है।
गैस पीड़ित महिला कर्मचारी संघ ने किया विरोध
गैस पीड़ित महिला कर्मचारी संघ की प्रेसिडेंट रशीदा बी ने बताया कि आज हिंदुस्तान में पहली बार विदेशी कंपनी अदालत में हाजिर हुई है। हमारी जीत यह है कि इस मामले को लेकर अमेरिका के सांसदों को पत्र लिखना पड़ा। जिसके चलते कंपनी भोपाल की अदालत में पेश हुई। उम्मीद है कि वे आगे भी पेश होंगे और भोपाल के गैस पीड़ितों को इंसाफ मिलेगा। वकील डाउ कंपनी की तरफ से आए थे, उनका बार के सदस्यों ने स्वागत किया। जिसका हम विरोध करते हैं।
1987 में FIR फाइल हुई थी
भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन की तरफ से रचना ढींगरा ने बताया कि 1987 में FIR फाइल हुई थी। इसके बाद 1992 यूनियन कार्बाइड कंपनी को भगोड़ा घोषित कर दिया था। 2001 में यूनियन कार्बाइड कंपनी को डाउ केमिकल ने खरीद लिया। तब डाउ केमिकल से हमने कहा था कि आप कंपनी को खरीद रहे हैं तो आपको उसकी सारी जिम्मेदारियां अपनानी होगी। कंपनी ने अमेरिका में ऐसी ही जिम्मेदारियां अपनाई है। जबकि भोपाल गैस कांड के लिए दोहरे मापदंड क्यों हैं। 2 दिसंबर 1984 की रात हुए गैस कांड के पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए अमेरिकी सांसद लगातार आवाज उठाते रहे हैं। यूएस में सांसद रशीदा तलबी के नेतृत्व में 12 सांसदों ने यूएस न्याय विभाग को पत्र लिखकर मांग की थी कि डाउ केमिकल के खिलाफ आपराधिक समन जारी किया जाए।