संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में भूमाफिया चंपू अजमेरा पर दर्जन भर आपराधिक केस दर्ज होने, जेल जाने और सुप्रीम कोर्ट से सशर्त जमानत होने के बाद भी जमीनों के खेल जारी है। अब नए खेल की जमावट चंपू उर्फ रितेश अजमेरा ने इंदौर कलेक्टोरेट में की है। सेटेलाइट हिल की करीब 14 करोड़ कीमत की एक जमीन को चंपू अजमेरा नामांतरण कराने में जुटा है और यह केस जूनी इंदौर तहसील में लगा हुआ है। उल्लेखनीय है कि इस कॉलोनी के प्लाट का भी विवाद सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में निराकरण के लिए हैं और हाईकोर्ट द्वारा गठित कमेटी भी इस कॉलोनी में कोई विवाद का निराकरण नहीं कर सकी, ऐसा रिपोर्ट में ही लिखा हुआ है।
इस जमीन पर कैलाश गर्ग ने ले रखा है करोड़ों का लोन
यह जमीन सर्वे नंबर 123, 124 विवादित कॉलोनी सेटेलाइट हिल का एक टुकड़ा है जो व्यावसायिक उपयोग की करीब 63 हजार वर्गफीट जमीन है। इस जमीन की रजिस्ट्री साल 2009 में हुई थी, लेकिन इसके बाद नामांतरण अब कराने की कोशिश हो रही है। जबकि इस जमीन पर कैलाश गर्ग ने यह कहकर आपत्ति लगाई हुई है कि जो करोड़ों का बैंक लोन लिया हुआ है, उसमें यह सर्वे नंबर भी गिरवी रखा हुआ है।
जमीन जिगीशा बिल्डर्स के नाम पर
यह जमीन एवलांच रियलटी प्रालि में जब रितेश उर्फ चंपू अजमेरा अधिकृत डायरेक्टर था, तब दिल्ली की कंपनी जिगीशा बिल्डर्स तर्फे विकास गुलाटी के नाम पर बेची गई थी। रजिस्ट्री सात मार्च 2009 को हुई थी। लेकिन इसके पहले ही कंपनी ने चंपू से सौदे करने की दी हुई पॉवर खत्म कर दी थी। लेकिन चंपू ने सौदा जिगीशा को कर जमीन बेच दी और अब इसका नामांतरण कराने की कोशिश की जा रही है।
इस जमीन का सौदा कार शोरूम संचालक को कर दिया
इस नामांतरण को कराने के पीछे की वजह है कि इस जमीन का सौदा चंपू ने आगे एक कार शोरूम संचालक को हो गया है और इस सौदे के लिए करीब डेढ़ करोड़ रुपए का एडवांस ले लिया है। लेकिन जब तक जमीन का नामांतरण नहीं हो जाता है यह सौदा पूरा नहीं हो सकता है। इसके चलते यह सौदा रूका हुआ है और अब तहसील कोर्ट में इसका जल्द नामांतरण कराने की जुगत तलाशी जा रही है।
गर्ग और चंपू के बीच चल रहा विवाद
इस जमीन के साथ ही सेटेलाइट हिल की अन्य जमीन को लेकर भी गर्ग और चंपू के बीच में लंबा विवाद चल रहा है। एक समय दोनों साथ थे और गर्ग ने चंपू और उनकी पत्नी योगिता को अपनी कंपनी में जोड़ा था, लेकिन बाद में विवाद हो गया। गर्ग ने जमीन पर बैंक लोन लिया, तो वहीं चंपू ने जमीनों को बेच दिया। प्लाट लेने वाले पीड़ित दोनों के बीच उलझ गए। जिसकी लड़ाई 13 साल से लगातार जारी है और सुप्रीम कोर्ट के आदेश से हाईकोर्ट में भी सुनवाई चल रही है। कुछ दिन पहले ही चंपू अपने बेटे आर्जव के बचाव के लिए डीसीपी से भी मिलने पहुंचा था। बेटे पर भी 420 सहित अन्य धाराओं में जमीन धोखाधड़ी का केस दर्ज है।