BHOPAL. मध्यप्रदेश की सभी 230 विधानसभा सीटों के लिए एक ही चरण में 17 नवंबर को मतदान सम्पन्न हुआ था। राज्य में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और चैलेंजर कांग्रेस ने प्रचार में खूब एड़ी-चोटी का जोर लगाया। 2018 में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था, लेकिन कांग्रेस सबसे बड़े दल के रूप में सामने आई थी। मुख्यमंत्री कमलनाथ के नेतृत्व में कांग्रेस ने अन्य से समर्थन से सरकार चलाई, जो मार्च 2020 तक चली। इसके बाद राज्य में सत्ता परिवर्तन के साथ एक बार फिर बीजेपी सत्ता में लौटी। शिवराज सिंह चौहान को फिर से मुख्यमंत्री बनाया गया। बीजेपी ने इस बार पिछले लगभग 20 वर्षों यानी चार कार्यकाल के सत्ता विरोधी लहर का सामना किया। आइए देखते हैं बीजेपी के इस शासन में कांग्रेस किन मुद्दों को लेकर चुनावी मैदान में आई, वहीं बीजेपी ने किन मुद्दों के लेकर वोट मांगें।
भ्रष्टाचार बना बड़ा मुद्दा
मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने भ्रष्टाचार को बड़ा मुद्दा बनाया। कांग्रेस पार्टी ने राज्य सरकार के भ्रष्टाचार को मुख्य मुद्दा बनाते हुए शिवराज सरकार पर कई वित्तीय घोटालों का आरोप लगाया। पार्टी ने एक बार फिर व्यापम के मुद्दे को उठाया। बीजेपी ने इसका पलटवार करते हुए कई जगह क्यूआर कोड और करप्शननाथ के बैनर तक लगा दिए। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जवाब देते हुए बीजेपी और शिवराज सिंह के 50 प्रतिशत कमीशन वाले पोस्टर लगा दिए।
राज्य में बढ़ते अपराध भी मुद्दा
विशेष तौर पर महिलाओं, दलितों, आदिवासियों और अन्य पिछड़े वर्गों के खिलाफ अपराध भी मध्यप्रदेश में बड़ा मुद्दा रहा। सिधि जिले में एक आदिवासी के सिर पर पेशाब करने के वायरल वीडियो ने राज्य की राजनीति को हिलाकर रख दिया था। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आदिवासी के पैर धोकर उनसे माफी मांगी थी। इसके अलावा राज्य के कूनो नेशनल पार्क में चीतों की मौत भी मध्य प्रदेश में बड़े मुद्दों में शामिल रहा।
किसानों के मुद्दे
किसानों से जुड़े मुद्दे मध्य प्रदेश के चुनावों में हमेशा ही प्रमुख रहते हैं। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही एक-दूसरे पर किसानों और उनके मुद्दों की अनदेखी का आरोप लगाते रहे। फिर चाहे वह किसानों की लोन माफी हो या अच्छी गुणवत्ता के बीजों की उपलब्धता और खाद की उपलब्धता का मुद्दा हो।
बेरोजगारी और शिक्षा भी मुद्दा
मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में हर बार की तरह इस बार भी शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार भी मुद्दा रहे। AAP ने वादा किया कि अगर उनकी सरकार बनी तो बेरोजगारी भत्ता देगी, जबकि भाजपा स्किल डेवपलमेंट और बेरोजगारों को भत्ता देने की बात कही। शिक्षा और स्वास्थ्य भी अहम मुद्दे रहे। ग्रामीण इलाकों में स्कूल खुले, लेकिन क्वालिफाइड टीचर्स की कमी मुद्दा रहे। टेम्परेरी टीचर्स को रेगुलराइज करने का मुद्दा भी राज्य में अहम रहा।
बड़ा सवाल- जनता किस पर करेगी भरोसा ?
2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने मध्यप्रदेश में किसान कर्ज माफी का ऐलान किया था, जिसका उसे जबरदस्त फायदा हुआ था और 15 साल बाद मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार बनाने में सफल हो सकी थी। अब देखना ये है कि इस विधानसभा चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के किस मुफ्त चुनावी वादे पर जनता अपनी मुहर लगाती है।