DHAMTARI. धमतरी जिले के नगरी विकासखंड के 110 वन ग्राम को राजस्व ग्राम का दर्जा दिया गया है, लेकिन आज तक ग्रामीणों को भू-स्वामित्व का अधिकार नहीं दिया गया है। इससे नाराज सामुदायिक वन संसाधन संघर्ष समिति ने उनकी मांग पूरी नहीं होने पर बीजेपी और कांग्रेस को वोट नहीं देने की बात कह रहे हैं। साथ ही आगामी चुनाव में संघर्ष समिति से प्रत्याशी तय कर चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रहे हैं।
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110 गांवों में करीब 40-50 हजार वोटर्स
110 गावों में करीब 40 से 50 हजार मतदाता हैं। अंग्रेजी हूकूमत के दौरान नगरी क्षेत्र के 87 वन ग्रामों को अंग्रेजों ने बसाया था, जो बाद में बढ़कर 110 गांव हो गए। वहीं शासन द्वारा ग्रामीणों को काबिज जमीन का अस्थाई पट्टा दिया गया था, जिस पर ग्रामीण जीविकोर्पाजन कर रहे हैं।
उनकी जमीन को बताया जा रहा जंगल
बता दें कि सामुदायिक वन संसाधन संघर्ष समिति सालों से भू-स्वामित्व के अधिकार के लिए धरना प्रदर्शन और आंदोलन कर रहे थे। ऐसे में शासन ने साल 2013 को वन ग्रामों को छ.ग भू-राजस्व संहिता 1959 की धारा 73 के तहत राजस्व गांव घोषित किया गया और राजस्व विभाग द्वारा भूमि का सर्वेक्षण कर कुछ ग्रामों को भुईया पोर्टल में अपलोड किया गया है, लेकिन वर्तमान रिकॉर्ड में उनकी जमीन को जंगल बताया जा रहा है।
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सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित ग्रामीण
संघर्ष समिति का कहना है कि भू-स्वामित्व का अधिकार नहीं मिलने से ग्रामीणों को शासन की योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है, जिससे उनको कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इसके चलते सामुदायिक वन संसाधन संघर्ष समिति ने नगरी में बैठक आयोजित कर बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं को बुलाया था और भू-स्वामित्व का अधिकार जल्द देने लिखित में आश्वासन मांगा गया, लेकिन बैठक बेनजीता निकली। ऐसे में 110 गांव के ग्रामीण बीजेपी-कांग्रेस को वोट नहीं देने की बात कह रहे हैं।
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