मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में दांव पर लगा दर्जन भर नेताओं का पॉलिटिकल कॅरियर, हार गए तो 12 के भाव में जाएंगे दिग्गज

author-image
Jitendra Shrivastava
एडिट
New Update
मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में दांव पर लगा दर्जन भर नेताओं का पॉलिटिकल कॅरियर, हार गए तो 12 के भाव में जाएंगे दिग्गज

अरुण तिवारी, BHOPAL. मध्यप्रदेश में इस बार का चुनाव कई मायनों में बेहद खास है। इस चुनाव में उम्मीदवार बने बीजेपी-कांग्रेस के कई दिग्गजों की साख ही नहीं बल्कि, उनका पूरा राजनीतिक भविष्य दांव पर लगा है। ये वे राजनेता हैं, जिनके लिए कभी कहा जाता था कि सिर्फ नाम ही काफी है। इस चुनाव में अजेय नेताओं को भी कड़े संघर्ष से गुजरना पड़ रहा है। इस बार बीजेपी ने कई नेताओं को उम्र के क्राइटेरिया को परे रखकर सिर्फ जीत के लिए मैदान में उतारा है। बीजेपी-कांग्रेस के ये दिग्गज यदि चुनाव में हार का सामना करते हैं तो हो सकता है कि उनके पॉलिटिकल कॅरियर पर फुलस्टॉप लग जाए।

इन नेताओं का दांव पर पॉलिटिकल कॅरियर...

डॉ. गोविंद सिंह, कांग्रेस

लहार से लगातार सात बार विधायक रहे 73 साल के डॉ. गोविंद सिंह के लिए यह चुनाव परिणाम बेहद अहम है। वे आठवीं बार चुनाव लड़ रहे हैं। डॉ. गोविंद सिंह यहां से अजेय रहे हैं इसलिए कांग्रेस ने उनको फिर से मैदान में उतारा है। क्योंकि कांग्रेस अजेय सीट पर जोखिम उठाने के लिए तैयार नहीं है। इन का पॉलिटिकल कॅरियर दांव है। चुनाव का परिणाम इनका राजनीतिक भविष्य तय करेगा।

गिरीश गौतम, बीजेपी

विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम देवतालाब से चार बार के विधायक हैं। वे फिर चुनाव लड़ रहे हें। उनकी उम्र 72 साल है, लेकिन बीजेपी ने सीट बचाने के लिए ही चुनाव में उम्मीदवार बनाया है। इनका पॉलिटिकल कॅरियर भी चुनाव परिणाम तय करेंगे।

नागेंद्र सिंह नागौद, बीजेपी

81 साल के नागेंद्र सिंह नागौद से फिर से चुनाव लड़ रहे हैं। वे पांच बार के विधायक रहे हैं और एक बार खजुराहो से सांसद भी रह चुके हैं। वे पिछली बार ही चुनाव लड़ने में अपनी अनिच्छा जता चुके हैं, लेकिन इस बार एक-एक सीट की मारामारी के कारण बीजेपी ने उनको उम्मीदवार बनाया है। चुनाव परिणाम अनुकूल नहीं रहे तो वे चुनावी राजनीति से दूर हो जाएंगे।

नागेंद्र सिंह गुढ़, बीजेपी

बीजेपी ने एक और वरिष्ठ नेता को क्राइटेरिया के इतर उम्मीदवार बनाया है। नागेंद्र सिंह चार बार के विधायक रह चुके हैं। वे एक बार फिर गुढ़ से चुनाव लड़ रहे हैं। बीजेपी में 75 का फार्मूला है, लेकिन नागेंद्र सिंह 81 साल के हैं। चुनाव परिणाम ठीक नहीं रहा तो बीजेपी के नियमानुसार नागेंद्र सिंह अब मार्गदर्शक मंडल में चले जाएंगे।

सीताशरण शर्मा, बीजेपी

पूर्व स्पीकर सीताशरण शर्मा होशंगाबाद से पांच बार के विधायक रहे हैं। इस बार उनका मुकाबला उनके ही भाई गिरिजाशंकर शर्मा से है जो दो बार यहीं से विधायक रहे हैं। सीतासरण शर्मा की उम्र 73 साल है और यदि वे चुनाव हार जाते हैं तो यह उनका आखिरी चुनाव हो सकता है।

माया सिंह, बीजेपी

दो बार सांसद की सांसद और एक बार की विधायक माया सिंह को बीजेपी पिछले चुनाव में ही टिकट काटकर पैवेलियन भेज दिया गया था, लेकिन इस बार राजनीतिक मजबूरी के चलते उनको फिर ग्वालियर पूर्व से उम्मीदवार बनाया गया है। उनकी उम्र 74 साल है और यदि इस बार चुनाव में पराजय मिली तो फिर वे राजनीतिक सन्यास की ओर बढ़ जाएंगी।

जयंत मलैया, बीजेपी

बीजेपी की राजनीतिक मजबूरी के चलते ही जयंत मलैया को दमोह से फिर उम्मीदवार बनाया गया है। वे सात बार के विधायक रहे हैं, लेकिन अजेय नहीं रहे। वे पिछला चुनाव कांग्रेस से हार चुके हैं। यदि इस बार भी वही परिणाम दोहराया गया तो 76 साल के मलैया का राजनीतिक कॅरियर खत्म हो जाएगा। वे पहले ही अमृत महोत्सव मनाकर एक तरह से राजनीतिक सन्यास ले चुके हैं।

गौरीशंकर बिसेन, बीजेपी

बालाघाट से सात बार के विधायक और दो बार के सांसद रहे गौरीशंकर बिसेन को बीजेपी आखिरी कुछ महीनों के लिए मंत्री बनाकर सन्यास दे चुकी थी। इस बार उनकी पुत्री मौसम बिसेन को टिकट भी दे दिया गया था, लेकिन अचानक मौसम की जगह गौरीशंकर ही बालाघाट से उम्मीदवार बना दिए गए। जाहिर यहां भी चुनाव जीतने की राजनीतिक मजबूरी आड़े आ गई। यदि इस चुनाव में बिसेन अजेय न रहे तो उनका बल्ला भी टंग जाएगा। वैसे भी बिसेन 71 बसंत पूरे कर चुके हैं।

राजेंद्र कुमार सिंह, कांग्रेस

पूर्व विधानसभा उपाध्यक्ष राजेंद्र कुमार सिंह 2018 का चुनाव हार चुके हैं। वे चार बार विधायक रहे हैं। और फिर अमरपाटन से उम्मीदवार हैं। उनकी उम्र 73 साल है, लेकिन कांग्रेस में उम्र का क्राइटेरिया कभी नहीं रहा। यदि इस बार चुनाव परिणाम अपेक्षा के अनुरूप नहीं आए तो उनके राजनीतिक भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लग सकता है। वैसे भी लगातार एक सीट से दो बार असफल रहना भी चुनावी राजनीति के लिए मुश्किल भरा माना जाता है।

मुकेश नायक, कांग्रेस

तीन बार के विधायक मुकेश नायक एक बार फिर पवई से चुनाव लड़ रहे हें। 66 साल के नायक ने एक समय दमोह में जयंत मलैया को भी शिकस्त दी थी। एक बार गोपाल भार्गव के सामने भी चुनाव लड़े थे हालांकि वे हार गए थे। 1998 और 2003 में वे चुनाव नहीं लड़े। 2018 का चुनाव हार गए। अब वे फिर मैदान में हैं। नायक इससे पहले लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर चुके हैं। यदि इस बार भी नतीजे उम्मीद के अनुसार नहीं आए तो वे चुनावी राजनीति से दूर जा सकते हैं।

चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी, कांग्रेस

एक समय विधानसभा में चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी की विपक्ष में रहते हुए भी धमक देखी जाती थी, लेकिन 2013 चुनाव के पहले उनका पार्टी बदलना उनके लिए घातक साबित हुआ है। वे भिंड से चार बार विधायक रहे हैं। 64 साल राकेश सिंह भिंड से बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़े थे और हार गए थे। उनकी कांग्रेस में वापसी के बाद टिकट का विरोध हुआ। लेकिन कांग्रेस ने फिर टिकट दिया है। यदि इस चुनाव में पराजय मिली तो उनकी आगे की राजनीति की राह बेहद मुश्किल हो जाएगी।

अजय सिंह, कांग्रेस

पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के पुत्र, विंध्य की राजनीति के छत्रप कहे जाने वाले अजय सिंह के पॉलिटिकल कॅरियर के लिए यह चुनाव परिणाम अनुकूल होना बेहद अहम है। उनका राजनीतिक भविष्य दांव पर है। 68 साल के अजय सिंह चुरहट से छह बार विधायक रहे हैं, लेकिन सातवीं बार बीजेपी के शरदेंदु तिवारी ने उनको मात दे दी। इसके बाद वे सीधी से लोकसभा चुनाव भी हार चुके हैं। लगातार दो हार के बाद वे फिर चुनाव मैदान में हैं। लगातार तीसरी हार वैसे भी चुनावी राजनीति को खत्म कर देती है।

मधु वर्मा, बीजेपी

इंदौर की राउ सीट से लगातार दूसरी बार मधु वर्मा मैदान में हैं। पूर्व आईडीए अध्यक्ष 70 साल के मधु वर्मा कांग्रेस के युवा तुर्क जीतू पटवारी के सामने हैं। वे पिछला चुनाव पटवारी से ही हार चुके हैं। यदि इस बार उनको हार का सामना करना पड़ा तो उनका पॉलिटिकल कॅरियर भी समाप्ति की ओर चला जाएगा।

MP News Madhya Pradesh मध्यप्रदेश एमपी न्यूज Assembly Elections विधानसभा चुनाव political career of leaders is at stake if they lose then veterans will go at the rate of Rs 12 नेताओं का पॉलिटिकल कॅरियर दांव पर हारे तो 12 के भाव में जाएंगे दिग्गज