वेंकटेश कोरी, JABALPUR. भारतीय जनता पार्टी के आला नेताओं को फिल्म 'आशा' के इस गीत के बोल रह रह कर याद आ रहे होंगे। कल ही देश के गृहमंत्री अमित शाह ने जबलपुर पहुंचकर दो किस्तों में मैराथन बैठक की और नाराज नेताओं को हर तरह से समझाइश भी दी लेकिन असर कुछ पर हुआ तो कुछ पर शाह की समझाइश भी बेअसर साबित हुई। अमित शाह की शहर से रवानगी के 24 घंटे भी नहीं बीते की पार्टी के नगर अध्यक्ष प्रभात साहू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया तो नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष और कद्दावर नेता कमलेश अग्रवाल ने बगावत का बिगुल फूंक दिया।
नामांकन भरने का ऐलान
नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष और कई बार के पार्षद कमलेश अग्रवाल ने आज टिकट न मिलने से नाराज होकर जबलपुर के उत्तर मध्य क्षेत्र से फॉर्म भरने का ऐलान कर दिया है, इसके पहले उन्होंने कलेक्ट्रेट पहुंचकर नामांकन फार्म भी लिया था। उत्तर मध्य सीट से भाजपा ने भारतीय जनता युवा मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अभिलाष पांडे को उम्मीदवार घोषित किया है बावजूद इसके कमलेश अग्रवाल का नामांकन फार्म लेना और विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में हाथ आज़माने का ऐलान करना कहीं न कहीं पार्टी प्रत्याशी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
अखाड़ा बना उत्तर मध्य क्षेत्र
यूं तो जबलपुर जिले में विधानसभा की आठ सीटें है लेकिन उत्तर मध्य सीट पर सबसे ज्यादा जोर आजमाइश और रस्साकशी का दौर चल रहा है। भारतीय जनता युवा मोर्चा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष धीरज पटेरिया भी इसी सीट से दावेदारी कर रहे थे लेकिन जब उन्हें टिकट नहीं मिला तो उनके समर्थकों ने भाजपा के संभागीय कार्यालय में जबरदस्त हंगामा किया था, जिसके बाद कल ही देश के गृहमंत्री अमित शाह ने धीरज पटेरिया से चर्चा की और उन्हें समझाइश दी, नतीजतन धीरज पटेरिया के तेवर नरम पड़े और उन्होंने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव न लड़ने की घोषणा कर दी लेकिन अब कमलेश अग्रवाल के तेवरों से लगता है कि इन पर शाह की समझाइश भी बेअसर साबित हुई है।
आते आते रह गई थी महापौर की टिकट
जबलपुर नगर निगम के नेता प्रतिपक्ष कमलेश अग्रवाल को नगर निगम के चुनाव में पार्टी ने महापौर की टिकट देने का वादा किया था। आखिरी पलों तक यही लग रहा था कि कमलेश अग्रवाल भाजपा के महापौर पद के प्रत्याशी हो सकते हैं, लेकिन ऐन वक्त पर पार्टी ने जबलपुर के जाने-माने अस्थि रोग विशेषज्ञ और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के करीबी डॉक्टर जितेंद्र जामदार को उम्मीदवार घोषित किया था। इसके बाद से ही कमलेश अग्रवाल और उनके समर्थक संगठन से नाराज चल रहे थे। आखिरी पलों में कमलेश अग्रवाल को बीजेपी ने ऐसे वार्ड से पार्षद की टिकट दी जो उनके घर और कार्यालय से काफी दूर है। बावजूद इसके कमलेश अग्रवाल महाराजा अग्रसेन वार्ड से चुनाव लड़े और जीत भी हासिल की।