जबलपुर में पोस्टल बैलेट नहीं दिया तो हजारों रेलकर्मी नहीं कर पाए मतदान, कर्मचारी नेताओं का आरोप- OPS से डरी हुई है सरकार

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Rahul Garhwal
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जबलपुर में पोस्टल बैलेट नहीं दिया तो हजारों रेलकर्मी नहीं कर पाए मतदान, कर्मचारी नेताओं का आरोप- OPS से डरी हुई है सरकार

वेंकटेश कोरी, JABALPUR. एक तरफ सरकार और भारत निर्वाचन आयोग से लेकर राज्य के निर्वाचन आयोगों के द्वारा ज्यादा से ज्यादा मतदान करने की अपील की जाती है और मतदान-महादान जैसे नारे भी आम जनमानस तक पहुंचाए जाते हैं, लेकिन हाल ही में हुए मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में हजारों कर्मचारी ऐसे भी थे जिन्हें मतदान का मौका ही नहीं मिला। भारतीय रेलवे में रनिंग स्टाफ कहलाने वाले कर्मचारियों को इस बार पोस्टल बैलेट यानी डाक मतपत्र ही मुहैया नहीं कराए गए, जबकि दूसरे सरकारी विभागों के कर्मचारियों को पोस्टल बैलट के जरिए मतदान में हिस्सा लेने का मौका दिया गया।

कई दौर की वार्ता और पत्राचार के बावजूद 'नो रिस्पांस'

रेल महकमा में रनिंग स्टाफ की भूमिका काफी अहम होती है परिचालन से जुड़ी जिम्मेदारियों को संभालने वाले रनिंग स्टाफ को आरोपित तौर पर मतदान करने का मौका ही नहीं मिला, इस पूरे मामले में कर्मचारी संगठनों ने जमकर नाराजगी जाहिर की है। वेस्ट सेंट्रल रेलवे एम्पलाइज यूनियन के महासचिव मुकेश गालव के मुताबिक दिल्ली के मुख्यालय स्तर पर भारत निर्वाचन आयोग से कई दौर की बातचीत हुई और पत्राचार भी किए गए, लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। नतीजतन 17 नवंबर को प्रदेश में हुए विधानसभा के चुनाव में उन्हें मताधिकार के प्रयोग से वंचित होना पड़ा।

'ओपीएस' और 'आंदोलनों' से डरी हुई है सरकार

कर्मचारी संगठनों ने हजारों की तादाद में कर्मचारियों को मतदान से वंचित रखने का आरोप लगाया है। पश्चिम मध्य रेलवे एम्पलाइज यूनियन के महासचिव मुकेश गालव की मानें तो सरकार ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर डरी हुई है क्योंकि सरकारी कर्मचारियों का झुकाव ओल्ड पेंशन स्कीम की ओर ज्यादा है इसके अलावा कर्मचारी अपने हक की आवाज को लेकर लगातार सरकार के खिलाफ आवाज बुलंद करते आ रहे हैं। ऐसे में कर्मचारी संगठनों और उनसे जुड़े कर्मचारियों की मंशा को भांपते हुए ही उन्हें मतदान से दूर रखा गया है।

देश में 17 तो प्रदेश में हैं 3 जोन

यूं तो देश में 17 रेलवे के जोन है जिनमें से तीन जोन मध्यप्रदेश के अंतर्गत आते हैं। मध्यप्रदेश के 3 जोनों में 14 रेल मंडल हैं, जिनमें हजारों की तादाद में रेलवे का रनिंग स्टाफ तैनात है इस लिहाज से देखा जाए तो एक डिवीजन में रनिंग स्टाफ की संख्या 5 सैकड़ा से ज्यादा होती है। लिहाजा प्रदेश के सभी मंडलों को मिलाया जाए तो ये संख्या करीब 10 हजार के आसपास पहुंच जाती है।

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कुछ भी कहने से बचते रहे अफसर

चुनाव में एक-एक वोट काफी मायने रखता है बावजूद इसके हजारों की तादाद में रेल कर्मचारियों को मतदान से वंचित किया जाना किसी के भी गले नहीं उतर रहा है। इस पूरे मामले में 'द सूत्र' की टीम ने प्रशासन और जबलपुर के जिला निर्वाचन कार्यालय से जिम्मेदार अधिकारियों से चर्चा करनी चाही, लेकिन जिला निर्वाचन अधिकारी से लेकर उप जिला निर्वाचन अधिकारी से कोई संपर्क नहीं हो पाया। उप जिला निर्वाचन अधिकारी ने मुलाकात करने का समय तो दिया, लेकिन उसके बाद उनसे कोई संपर्क नहीं हो पाया।

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