पूर्व सीएम उमा भारती बोलीं- कोई माई का लाल आरक्षण खत्म नहीं कर सकता, सरकार पर कसा तंज, लोकसभा चुनाव लड़ने की जताई मंशा

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Jitendra Shrivastava
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पूर्व सीएम उमा भारती बोलीं- कोई माई का लाल आरक्षण खत्म नहीं कर सकता, सरकार पर कसा तंज, लोकसभा चुनाव लड़ने की जताई मंशा

BHOPAL. आज एक कार्यक्रम में महिला आरक्षण बिल में पिछड़ा वर्ग की महिलाओं को विशेष स्थान दिलाने की मुहिम छेड़ने वाली उमा भारती आरक्षण पर खुलकर होकर बोलीं। इतना ही नहीं उन्होंने इशारों-इशारों में अपनी ही सरकार और सिस्टम पर भी कटाक्ष कर दिया।

पार्टी ने मौका दिया तो तीसरे राज्य से चुनाव लड़ूंगी

मध्यप्रदेश में इस बार पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने माई का लाल का नारा छेड़ा है। उनका कहना है कि कोई माई का लाल आरक्षण खत्म नहीं कर सकता। साथ ही उमा भारती ने एक बार फिर सक्रिय राजनीति में आकर चुनाव लड़ने की मंशा भी जाहिर की है। रवींद्र भवन में पिछड़ा वर्ग के कार्यक्रम में उमा भारती शामिल हुई थीं। यहां उन्होंने कहा कि ओबीसी को सरकारी नौकरी में 27% आरक्षण मिलना चाहिए। एससी-एसटी के लोग चाहेंगे तो आरक्षण खत्म होगा। पूर्व मुख्यमंत्री बीजेपी की वरिष्ठ नेता उमा भारती ने ऐलान किया है कि वे मध्य प्रदेश में ना तो लोकसभा और ना ही विधानसभा चुनाव लड़ेंगी। पार्टी ने मौका दिया तो वो तीसरे राज्य से चुनाव लड़ेंगी। उमा ने कहा कि चूंकि विधानसभा चुनाव किसी और प्रदेश से नहीं लड़े जा सकते क्योंकि वो लोकल चुनाव होते हैं लेकिन लोकसभा में पार्टी अगर मौका देती है तो वो किसी और राज्य से चुनाव लड़न चाहेंगी।

सरकार को सर्वहारा वर्ग का ध्यान रखना होगा

उमा भारती ने कहा कि गरीब सवर्ण को भी 10% आरक्षण मिल रहा है, लेकिन महिला आरक्षण बिल पास हो गया इसके लिए आभार पर पिछड़ी जाति की महिलाओं को आरक्षण दिए बिना बिल लागू नहीं हो सकता है। उमा ने कहा कि यह बात ध्यान रखना चाहिए। सरकार को सर्वहारा वर्ग का ध्यान रखना होगा। चुनाव टाइम में भले ही आप लोगों को हाथ नहीं जोड़ना पड़े, लेकिन चुनाव के बाद हाथ जरूर आपको जोड़ना पड़ेगा। रावण की लंका और राम का उदाहरण देते हुए उमा भारती में कहा कि राम सर्वहारा थे। इसलिए लंका जल गई और रावण की मुण्डियां कटती नजर आईं। इसलिए कहते हैं जो सर्वहारा होता है उसकी जीत निश्चित ही होती है।

कुछ लोग खा रहे खीर

उमा ने कहा कि राम राज्य की स्थापना सभी समुदायों को मिलाकर हुई थी, समाज की विषमता से राम राज्य कि स्थापना नहीं होती। कुछ लोग चांदी की चम्मच में खीर खा रहे हैं और कुछ गरीब लोग जंगल के खट्टे बेर खा रहे हैं। केवट का उदाहर देते हुए उमा ने किया सरकार पर कटाक्ष किया कि सरकार बनने के बाद केवट को नहीं भूलना चाहिए। उसका वन उसका तालाब उसका मछुआरा नहीं भूलना चाहिए। पता चला पट्टा किसी का, खनन किसी और का, जमीन किसी और की।

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