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BHOPAL. आपने आम की कई वैरायटी देखी होगी और उनका स्वाद भी चखा होगा, लेकिन भोपाल में इन दिनों एक खास आम के चर्चे हैं। एक आम ही दो से ढाई किलो का है। जिसका स्वाद लेने के लिए आपको 1500 रुपए चुकाने होंगे। नाम है 'नूर जहां'। ये आम आलीराजपुर के काठीवाड़ा का है। एमपी में इस आम के केवल तीन पेड़ हैं, वो भी सिर्फ आलीराजपुर में। ये खास आम भोपाल में आयोजित आम महोत्सव में आया है।
आम की कई नई वैराइटी भी देखने को मिल रही हैं
भोपाल के बिट्टन मार्केट स्थित नाबार्ड परिसर में गुरुवार से आम महोत्सव शुरू हो गया है। यहां से आप आम खरीद भी सकते हैं। यहां आम की कई नई वैराइटी भी देखने को मिल रही हैं। इसमें शहडोल का आम्रपाली और मल्लिका के अलावा सतना का सुंदरजा आम भी मौजूद है। दावा है कि इसे शुगर फ्री आम भी कहते हैं। इसे डायबिटीज के मरीज भी खा सकते हैं। आम महोत्सव 12 जून तक चलेगा।
नूरजहां आम का आकार ही इसकी खासियत है
आम महोत्सव में आलीराजपुर के काठीवाड़ा से आए रुमाल बघेल ने बताया कि नूरजहां आम का आकार ही इसकी खासियत है। यह आम दुर्लभ प्रजाति का है। पहले पेड़ों की संख्या ज्यादा थी, जो नष्ट हो गए। इस किस्म के नए पेड़ अब तैयार नहीं हो रहे हैं। हालांकि कृषि वैज्ञानिक लगातार प्रयास कर रहे हैं। हालांकि यह आम सिर्फ डिस्प्ले के लिए उपलब्ध हैं।
इन्हें पकाने के लिए भूसे के अलावा कागज का इस्तेमाल किया जाता है
आम महोत्सव में आए किसानों ने बताया कि सामान्य आमों से इसकी कीमत 10 से 20 % ज्यादा है। कारण- इन्हें किसी भी प्रकार के केमिकल से नहीं पकाते। इन्हें पकाने के लिए भूसे के अलावा कागज का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, कई वैराइटी ऐसी भी हैं, जो कि प्राकृतिक तौर पर पेड़ पर ही पकाई जाती हैं। बता दें कि इस मेले में विभिन्न किस्मों जैसे सुंदरजा, केसर, चौंसा, लंगड़ा व दशहरी आम उपलब्ध हैं।
आम महोत्सव में ये खास किस्म के आम
मल्लिका: आमतौर पर यह शहडोल क्षेत्र में ही मिलता है
शहडोल के रहने वाले एस चावले आम महोत्सव में छोटा मल्लिका आम लेकर पहुंचे हैं। एस चावले ने बताया कि आमतौर पर भोपाल में यह कम ही मिलता है। इसकी ग्राफ्टिंग नीलम और दशहरी आम को मिलाकर की है। इसमें दोनों का स्वाद होता है। यह एक तरह का खट्टा-मीठा आम है। आमतौर पर यह शहडोल क्षेत्र में ही मिलता है। क्योंकि वहां का वातावरण इस आम के लिए अच्छा है।
आम्रपाली: आम तौर पर यह आम उत्तरप्रदेश में फेमस है
यह अपनी ही तरह का आम है। इसके बारे में चावले ने बताया कि इसकी ग्राफ्टिंग नीलम और मल्लिका को मिलाकर की गई है। आम तौर पर यह आम उत्तरप्रदेश में फेमस है। क्योंकि शहडोल में यूपी से सटे इलाके में इसे लगाया जाता है। इसको खाने में आपको नीलम और मल्लिका का स्वाद एक साथ मिलेगा।
सुंदरजाः यह गोविंदगढ़ इलाके में ही पाया जाता है
सतना से आए दिनेश कुमार प्रजापति ने बताया कि वे यहां सतना की आम की प्रजाति सुंदरजा लेकर आए हैं। इसकी ख़ासियत है कि इसमें शुगर कम मात्रा में होती है। इस कारण इसे डायबिटीज के मरीज भी खा सकते हैं। इसके अलावा, यह गोविंदगढ़ इलाके में ही पाया जाता है। वहां 500 एकड़ में इसे उगाया जाता है। स्टडी में पाया गया है कि यहां का पानी का पीएच लेवल इसे सूट करता है, इसलिए यह सिर्फ इस इलाके में ही होते हैं। हालांकि इसकी ग्राफ्टिंग की जा रही है।
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मालदा: यह पूरी तरह से मीठा होता है
छिंदवाड़ा के तामिया जिले से आए ब्रज किशोर डेहरिया ने बताया कि वह यहां दशहरी के साथ कैसर और मालदा आम लेकर आए हैं। मालदा आम अपने आप में अलग होता है। इसमें गुठली छोटी होती है वहीं, पल्प यानी गूदा दूसरी वैराइटी की तुलना में 20% तक अधिक होता है। इसके अलावा, यह पूरी तरह से मीठा होता है। वहीं, दशहरी और केसर में भी टेस्ट थोड़ा अलग मिलेगा। क्योंकि इलाकों के अनुसार इनके टेस्ट में भी थोड़ा अंतर होता है।
इसे नेचुरल तरीके से पकाते हैं न कि केमिकल से
शिवपुरी से भोपाल मैंगो फेस्टिवल में आए किसान अंतर सिंह जाटव ने बताया कि यहां देसी कच्चा आम, बड़ा दशहरी और चौसा आम लेकर आया हूं। हालांकि यह आम कहीं भी मिल जाएगा। मगर हम इसे नेचुरल तरीके से पकाते हैं न कि केमिकल से। इसे भूसे में दबाकर पकाया जाता है, इसलिए इन आमों में साधारण आम की तुलना में नेचुरल टेस्ट मिलेगा।