राजस्थान में अलवर भरतपुर बने साइबर ठगी के नए केंद्र,काबू पाने के लिए देशभर की 300 टीमें सुझाएंगी उपाय, 17-18 जनवरी को होगा हैकाथॉन

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Pratibha Rana
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राजस्थान में अलवर भरतपुर बने साइबर ठगी के नए केंद्र,काबू पाने के लिए देशभर की 300 टीमें सुझाएंगी उपाय, 17-18 जनवरी को होगा हैकाथॉन

मनीष गोधा, JAIPUR. देशभर में साइबर क्राइम अपराध की दुनिया की एक नई चुनौती बन कर सामने आया है। झारखंड के जामताड़ा के बाद अब राजस्थान के अलवर और भरतपुर भी साइबर ठगी के नए केंद्र बन गए हैं। गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार देश भर में साइबर ठगी के 16 फीसदी मामले अलवर भरतपुर से जनरेट हो रहे हैं। साइबर क्राइम की इस चुनौती से निपटने के लिए ही राजस्थान पुलिस साइबर सुरक्षा पर एक मुहिम चलाने की तैयारी कर रही है। साइबर क्राइम पर आधारित एक-दो दिन का हैकाथॉन भी आयोजित किया जा रहा है। इसमें देशभर की 300 टीमें साइबर अपराधों से जुड़ी विभिन्न चुनौतियों पर आईटी के विकल्प तैयार करेंगी।

17- 18 जनवरी को आयोजित होगा हैकाथॉन

राजस्थान के पुलिस महानिदेशक यू आर साहू ने दो दिन पहले ही पुलिस मुख्यालय में राजस्थान पुलिस हैकाथॉन 1.0 के लोगों और राजस्थान पुलिस साइबर क्राइम अवेयरनेस मिशन को लांच किया। उन्होंने बताया कि राजस्थान पुलिस द्वारा आगामी 17 और 18 जनवरी को साइबर क्राइम पर आधारित हैकाथॉन आयोजित किया जाएगा। इस हैकाथॉन में 300 टीमें शामिल होगी। प्रत्येक टीम में तीन से चार लोग प्रतिभागी होंगे। इन्हें मिलाकर लगभग 1200 से अधिक साइबर तकनीक से जुड़े छात्र, संस्थान, संस्थाएं, विशेषज्ञ आदि शामिल हो रहे हैं। इस राष्ट्रीय स्तर के हैकाथॉन में 28 राज्यों के प्रतिभागी शामिल होंगे। विभिन्न समूहों में कुल 20 लाख रुपए के अवार्डस दिए जाएंगे, जो देश में सर्वाधिक है।

इन विषयों पर केंद्रित होगा हैकाथॉन

ये 300 टीमें पुलिस फीडबैक सिस्टम, पुलिस ट्रेनिंग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल, ए आधार आईटी इंटेलिजेंट कैमरा डिसीजन मेकिंग,एआई की सहायता से फिर एनालिसिस, फर्जी वेबसाइट कस्टमर केयर नंबर और विज्ञापनों की पहचान,निजी कैमरों की जीआई टैगिंग,वित्तीय ठगी के एनालिसिस के लिए सॉफ्टवेयर,डीपफेक की पहचान, डार्क वेब मॉनिटरिंग और क्रिप्टो करेंसी की आवाज की जांच कर लिए राजस्थान पुलिस को आईटी सॉल्यूशंस उपलब्ध कराएंगी।

इसलिए पड़ रही जरूरत

राजस्थान में साइबर क्राइम के मामले बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। राजस्थान विधानसभा में पुलिस की ओर से दिए गए आंकड़ों के अनुसार पिछले 4 वर्ष में राजस्थान में साइबर क्राइम के 6620 मामले दर्ज किए गए थे। इनमें से 1901 मामलों में चालान पेश हुआ और सिर्फ 10 मामलों में सजा हो पाई। राजस्थान पुलिस साइबर क्राइम को एक बड़ी चुनौती के रूप में मान रही है, लेकिन इससे निपटने के आधुनिक संसाधन और विशेषज्ञ अभी पुलिस के पास नहीं है। यही कारण है कि साइबर क्राइम के मामले दर्ज तो होते हैं, लेकिन इनके जांच और अपराधी तक पहुंचने में पुलिस को काफी समय लग जाता है।

भरतपुर अलवर बने नई चुनौती

इस सब के बीच राजस्थान पुलिस के लिए भरतपुर और अलवर जिलों में साइबर ठगी का केंद्र विकसित होना भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। देश में अब तक झारखंड के जामताड़ा को साइबर्थकी का केंद्र माना जाता था, लेकिन नए केंद्र के रूप में हरियाणा उत्तर प्रदेश और राजस्थान का मेवात इलाका उभर रहा है। पिछले दिनों गृह मंत्रालय ने साइबर क्राइम पर एक रिपोर्ट जारी की थी। इसके अनुसार,मेवात तेजी से साइबर क्राइम का गढ़ बना है। इस मामले में इस इलाके ने झारखंड के जामताड़ा को भी पीछे छोड़ दिया है। अब 51 फीसदी साइबर क्राइम मेवात से हो रहा है,जबकि इसमें 16 फीसदी हिस्सेदारी राजस्थान के अलवर और भरतपुर जिले की है। उत्तर प्रदेश के मथुरा में 16 फीसदी और हरियाणा के नूंह व झारखंड के जामताड़ा में 12-12 फीसदी मामले साइबर क्राइम के सामने आए हैं।

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