नितिन मिश्रा, AMBIKAPUR. अंबिकापुर का बहुप्रतीक्षित एयरपोर्ट के अब जल्दी शुरू होने की उम्मीद है। दरअसल डीजीसीए की टीम ने मां महामाया एयरपोर्ट दरिमा का औचक निरीक्षण करने पहुंची थी। डीजीसीए की टीम फाइनल रिपोर्ट तैयार कर वापस लौट गई है। जिसके बाद उम्मीद लगाई जा रही है कि जल्दी ही 72 सीटर विमान के परिचालन और लाइसेंस के लिए अंतिम निर्णय लिया जा सकता है।
डीजीसीए की टीम ने किया औचक निरीक्षण
सरगुजा संभाग मुख्यालय अंबिकापुर के मां महामाया एयरपोर्ट दरिमा में 72 सीटर विमान के परिचालन के लिए डीजीसीए दिल्ली की टीम ने अचानक पहुंचकर फाइनल निरीक्षण किया और वापस लौट गई। इसके पहले मई महीने में डीजीसीए के द्वारा पहली बार निरीक्षण किया गया था। उस दौरान तीन दिवसीय निरीक्षण के दौरान रनवे, 72 ड्रेनेज, बॉउंड्रीवाल, टर्मिनल भवन सीएनएस एटीसी स्टोर, विद्युतीकरण, वाच टावर सहित अन्य निर्माण और उन्नयन कार्यों का निरीक्षण करते हुए डीजीसीए की टीम के द्वारा अहाता, नाली, ड्रेनेज सहित अन्य लगभग 45 छोटी-मोटी कमियों की ओर लाइसेंस ध्यानाकर्षण कराते हुए इन कमियों कोशीघ्र दूर करने कहा गया था।
15 से 20 दिनों के अंदर लिया जा सकता है निर्णय
टीम के द्वारा रनवे की गुणवत्ता के लेकर संतुष्टता जाहिर की गई थी। टीम के वापस लौटने के बाद कलेक्टर कुंदन कुमार के निर्देश पर लोकनिर्माण विभाग के द्वारा युद्ध स्तर पर कमियों को दूर करने प्रयास किया जा रहा था। करीब ढाई महीने में कमियों को दूर करने के बाद पुनः निरीक्षण के लिए डीजीसीए की टीम को अमंत्रित किया गया था। जिसके तहत डीजीसीए की टीम अगस्त माह के अंतिम सप्ताह में ही अचानक दरिमा एयरपोर्ट में पहुंची और तीन दिवसीय निरीक्षण किया गया। डीजीसीए के द्वारा 15 से 20 दिनों के भीतर 72 सीटर विमान के परिचालन और लाइसेंस के लिए अंतिम निर्णय लिया जा सकता है।
आइशोलेशन वे भी किया गया है तैयार
दरिमा एयरपोर्ट के उन्नयन कार्य के तहत करीब 48 करोड़ रूपए की लागत से बहुत से विकास कार्य किए गए हैं। इसके अंतर्गत ही किसी भी आपात स्थिति के लिए आइसोलेशन– वे भी बनाया गया है। इसके अतिरिक्त अत्याधुनिक टॉवर बनाया गया है जो तकनीकी रूप से काफी गणवत्तापूर्ण है जिससे एयरक्राफ्ट के लैंडिंग, टेकऑफ और पार्किंग में भी मदद मिलेगी। फायर स्टोर, ट्रेनिंग सेंटर, मौसम विभाग, ग्राउंड स्टाफ, पैनल रूप, सीसीआर रूम सहित अन्य निर्माण भी हुए आधुनिक संसाधनों से लैस मौसम विभाग केंद्र बनाये जाने से पायलेट तक मौसम की ताजा जानकारी पहुंचाई जा सकेगी।