संजय गुप्ता, INDORE. इंदौर में भूमाफिया अभियान के नाम पर जमकर खेल हो रहा है। सभी बड़े भूमाफिया पीड़ितों के निराकरण के नाम पर 19 महीने से जमानत लेकर बैठे हुए हैं और वहीं अब भूमाफिया चंपू अजमेरा के बेटे आर्जव अजमेरा पर मामूली धाराओं में केस दर्ज करके पुलिस और प्रशासन ने खुद की पीठ थपाथपा ली। करीब 15 करोड़ की जमीन की धोखाधड़ी में आर्जव सहित तीन अन्य पर केवल आईपीसी की धारा 420 और 34 में केस दर्ज कराया है जो जमानती है और इसमें गिरफ्तारी नहीं होगी। लेकिन एफआईआर में जो बात लिखी गई है उसके अनुसार इन पर कूटरचित दस्तावेज बनाने और उपयोग करने के लिए धारा 467 और 468 भी लगती है लेकिन यह नहीं लगाई गई है, क्योंकि यह धाराएं गैर जमानती है और इसमें गिरप्तारी होती। वहीं इसके पहले भूमाफियाओं के खिलाफ जब भी प्रशासन ने कार्रवाई की है, इसमें यह धाराएं लगवाई है। ऐसे में अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर भूमाफियाओं पर कार्रवाई के नाम पर अधिकारियों ने किस दबाव में यह लचर कार्रवाई की है।
इसलिए बनती है धारा 467, 468, 120 बी भी
प्रशासन द्वारा कराई गई एफआईआर में ही साफ लिखा है कि जब 0.823 हेक्टेयर जमीन का पंजीयन कराया गया तब संपत्ति को कृषि भूमि बताया गया, जबकि इस पर आवासीय नक्शा पास होकर टीएंडसीपी साल 2010 में ही पास हो चुकी थी। इसमें स्टाम्प ड्यूटी की भी चोरी हुई है। यानि साफ है कि दस्तावेज कूटरचित है, क्योंकि खेती की जमीन बताने वाला दस्तावेज तो आरोपियों ने पेश किया ही होगा और इसका उपयोग करके लाभ भी प्राप्त हुआ, तभी स्टाम्प ड्यूटी में छूट ली गई है। इसके साथ ही 120बी आपराधिक षडयंत्र की धारा, साथ ही सही साक्ष्य छिपाने के लिए धारा 201 भी बनती है। इसी के साथ ही अमानत में ख्यानत का 406 धारा भी बनती है। क्योंकि इस जगह पर कालिंदी गोल्ड के डायमंड व प्लेटिनम ब्लॉक के प्लॉट आते हैं जो आम लोगों को बेच दिए गए। यानि इसमें दोहरी धोखाधड़ी हुई है, शासन के साथ भी स्टाम्प ड्यूटी चोरी, वहीं प्लाटधारकों के साथ कि उन्हें प्लाट बेचने के साथ ही दूसरों को भी जमीन बेची गई।
टीएंडसीपी नक्शे में बना बगीचा भी प्लॉट काटकर बेच दिया
द सूत्र के पास कालिंदी गोल्ड का नक्शा मौजूद है। इस नक्शे के अनुसार कॉलोनी के पश्चिमी ओर पर क्लब हाउस और इसके नीचे बगीचे की जमीन है। लेकिन यहां पर प्लाट काटकर बेच दिए गए हैं। इसके पास ही बीच में फिर ओपन ग्राउंड है, जिस पर दीवार बना दी गई है और इसका भी एक हिस्सा प्लॉट काटकर लोगों को बेच डाला गया है। यानि टीएडंसीपी के नक्शे के अनुसार कालिंदी गोल्ड में चंपू अजमेरा परिवार ने पूरा खेल किया और बगीचे, ओपन ग्राउंड से लेकर सारी जमीन प्लाट काटकर बेच डाली गई।
यह खबर भी पढ़ें
यह जमीन वापस क्यों नहीं ली गई, फिनिक्स में तो ली थी
वहीं इस मामले में यह भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिर चंपू के परिवार को राहत क्यों दी गई और यह जमीन और इसकी रजिस्ट्री जिला प्रशासन ने अपने कब्जे में क्यों नहीं ली? वहीं फिनिक्स में करीब 27 हजार वर्गफीट जमीन जो चंपू और चिराग शाह के साथ प्रदीप अग्रवाल के बीच विवाद में उलझी हुई, उसके लिए अग्रवाल से रजिस्ट्री सरेंडर कराई गई यह कहते हुए कि इसमें प्लाटधारकों को प्लाट देना है। इस मामले में प्रदीप अग्रवाल हाईकोर्ट कमेटी के सामने कह चुके हैं कि उन पर प्रशासन ने एफआईआर का दबाव डाला था कि सरेंडर नहीं करेंगे तो केस कर देंगे, इसलिए डरकर रजिस्ट्री दी। उधर इसी मामले में पहले भी प्लाटधारकों के माध्यम से यह बात सामने आती रही है कि कालिंदी में बीच में चंपू के पास जमीन के टुकड़े हैं, जो अनोखेलाल के नाम पर भी शिफ्ट हुए हैं, यह अभी तक प्रशासन ने वापस लेकर प्लाटधारकों को देने की पहल नहीं की है। इसी के चलते सभी प्लाटधारक उलझे हुए हैं और उधर भूमाफिया कमेटी के सामने मासूम बनकर बोल रहे हैं कि प्लाट नहीं है राशि ही दे सकते हैं। जबकि जमीन इधर-उधर ठिकाने लगाई जा रही है।