बस्तर संभाग के सात जिलों में 1542 स्कूल भवनों की हालत अत्यंत जर्जर है, जिसके कारण आगामी शिक्षा सत्र में बच्चों को पढ़ाई के लिए सुरक्षित स्थान उपलब्ध कराना चुनौती बन गया है। नया शिक्षा सत्र 15 जून से शुरू होने वाला है, लेकिन इन स्कूलों की मरम्मत का काम अभी तक शुरू नहीं हो सका है। स्कूल शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार, जर्जर भवनों में दरारें, टूटे हुए छज्जे, और खराब शौचालयों जैसी समस्याएं आम हैं, जिससे विशेष रूप से बालिकाओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
ये खबर भी पढ़ें... जशपुर में जर्जर स्कूल में पढ़ने को मजबूर छात्र, नया स्कूल बनाने की मांग को लेकर सड़कों पर उतरे, स्कूल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप
जिलों में जर्जर भवनों की स्थिति
बस्तर जिले में सर्वाधिक स्कूलों के भवन जर्जर है। जर्जर स्कूलों की संख्या 546 से अधिक है। इनमें 394 प्राथमिक स्कूल, 141 माध्यमिक स्कूल, 5 हाई स्कूल और 6 हायर सेकंडरी स्कूल हैं। इसी तरह कोंडागांव में 303, कांकेर में 378, सुकमा में 124, बीजापुर में 117, दंतेवाड़ा में 51, और नारायनपुर में 22 स्कूल भवन जर्जर हैं। इन भवनों में टपकती छतें, टूटे रोशनदान, और असुरक्षित दीवारें बच्चों के लिए खतरा बनी हुई हैं।
ये खबर भी पढ़ें... आजादी के 75 साल बाद बस्तर के नक्सल प्रभावित चांदामेटा को बड़ी सौगात, स्कूल भवन का हुआ उद्घाटन, पहले सेना के कैंप में लगता था स्कूल
मरम्मत में देरी, स्कूल जतन योजना नाकाम
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने स्कूल जतन योजना के तहत लाखों रुपये खर्च कर कई स्कूलों की मरम्मत का दावा किया था, लेकिन 1542 स्कूलों का काम अभी भी अधूरा है। जिला शिक्षा अधिकारियों का कहना है कि मरम्मत का कार्य चल रहा है, लेकिन स्थानीय स्तर पर स्थिति इसके विपरीत है। इतने कम समय में सभी भवनों को दुरुस्त करना असंभव-सा लग रहा है।
ये खबर भी पढ़ें... कभी भी गिर सकती है हारायपुरा स्कूल की छत
वैकल्पिक व्यवस्था की तैयारी
बस्तर के जिला शिक्षा अधिकारी बीआर बघेल ने बताया कि जर्जर भवनों में कक्षाएं नहीं चलाई जाएंगी। पिछले साल कई स्कूलों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गई थी, और इस बार भी अतिरिक्त भवनों या अन्य स्थानों पर कक्षाएं संचालित करने की योजना है। हालांकि, अभिभावक और शिक्षक इस बात को लेकर चिंतित हैं कि क्या ये व्यवस्थाएं समय पर और प्रभावी ढंग से लागू हो पाएंगी।
ये खबर भी पढ़ें... नक्सली लीडर हिड़मा के गांव में शिक्षा की नई रोशनी
बच्चों का भविष्य दांव पर
जर्जर स्कूल भवनों की स्थिति न केवल बच्चों की सुरक्षा के लिए खतरा है, बल्कि उनकी शिक्षा पर भी असर डाल रही है। शासन की उदासीनता और मरम्मत कार्यों में देरी के चलते बच्चे असुरक्षित परिस्थितियों में पढ़ने को मजबूर हैं। शिक्षा विभाग को तत्काल कदम उठाने की जरूरत है ताकि नया सत्र शुरू होने से पहले बच्चों को सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का माहौल मिल सके।
बस्तर के 1500 स्कूल जर्जर | नए सत्र से पहले वैकल्पिक व्यवस्था की तलाश | बस्तर में स्कूल | 1500 schools in Bastar are dilapidated | looking for alternative arrangements before the new session