छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के इंदागांव में खुदकुशी की बढ़ती घटना ने परिवार से लेकर शासन-प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। इस गांव में गत माह 20 दिनों में 16 लोगों ने खुदकुशी का प्रयास किया। इन 16 लोगों में तीन लोगों की जान भी जा चुकी है। खुदकुशी करने वालों के परिजन तो चिंतित हैं ही शासन को जानकारी मिली तो गंभीरता को देखते हुए रायपुर से विशेषज्ञों की एक टीम गरियाबंद के इंदागांव गांव भेजी।
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रायपुर से पहुंची छह सदस्यीय टीम
रायपुर से पहुंची छह सदस्यीय इस टीम में मनोरोग चिकित्सक, सामाजिक विशेषज्ञ और महामारी विभाग के डॉक्टर शामिल हैं। इस टीम का नेतृत्व डॉक्टर संदीप अग्रवाल कर रहे हैं। अग्रवाल को प्रमुख जांच अधिकारी बना गया है। इंदागांव गांव में विशेषज्ञों की लगभग पांच घंटे रही और प्रभावित परिवार से बातचीत भी की। टीम के सदस्यों ने प्रभावित परिवारों की जानकारी के आधार पर खुदकुशी के प्रयासों की वजह पता करने का प्रयास किया।
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मानसिक दवाब झेलने के कारण कर रहे खुदकुशी
विशेषज्ञों की टीम के प्रारंभिक जांच में पता चला कि नशे की लत, घरेलू कलह और बेरोजगारी की चिंता से मानसिक दवाब झेलने के कारण लोग इस तरह के प्राण घातक कदम उठा रहे हैं। विशेषज्ञों को यह भी पता चला कि गांव में बनाए जा रहे कच्ची शराब में मादकता बढ़ाने के लिए यूरिया, तम्बाकू पत्ते और धतूरे मिलाए जा रहे हैं। कच्ची शराब सेवन करने वालों के मानसिक संतुलन को बिगाड़ रही है।
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विशेषज्ञों की टीम शासन को सौंपेगी अपनी रिपोर्ट
विशेषज्ञों की टीम की प्रारंभिक सूचना के आधार पर जिला प्रशासन ने अवैध शराब बिक्री रोकने के लिए महिला वाहिनी का गठन किया है। यह वाहिनी पूरे इलाके में निगरानी का काम करेगी और अवैध गतिविधियों को रोकने की कोशिश भी करेगी। इस जांच के आधार पर विशेषज्ञों की टीम अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेगी, ताकि इस दिशा में प्रभावी कदम उठाया जा सके।
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