फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट और अपोलो अस्पताल प्रबंधन पर कसा शिकंजा

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर स्थित अपोलो अस्पताल और यहां फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट के मामले में पुलिस ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इसकी जांच के लिए एक टीम का गठन किया गया है।

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Krishna Kumar Sikander
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Tightening grip on fake cardiologist and Apollo hospital management the sootr
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छत्तीसगढ़ के बिलासपुर स्थित अपोलो अस्पताल और यहां फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट के मामले में पुलिस ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। इसी 2006 में अपोलो अस्पताल में एक फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद शुक्ला समेत दर्जनों लोगों को आपरेशन किया था। इस ऑपरेशन के बाद उनलोगों की मौत हो गई थी।

राजेंद्र प्रसाद शुक्ला के बेटे प्रदीप शुक्ला की शिकायत के बावजूद अपोलो अस्पताल प्रबंधन ने इस मामले को दबा दिया था। अब फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट और अपोलो अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ केस दर्ज करने के बाद वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह ने एक जांच टीम का गठन किया है। इस टीम में सीएसपी सिद्धार्थ बघेल के नेतृत्व में टीआई निलेश पांडेय की टीम मामले की जांच करेगी।

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फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट के पास एमबीबीएस की दो डिग्री

बिलासपुर जिले की सरकंडा पुलिस ने फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट और अपोलो अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ केस दर्ज करने के बाद जांच कर रही है। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रजनेश सिंह ने बताया कि आरोपी के पास से एमबीबीएस की दो डिग्री मिली है। आरोपी डॉक्टर को गिरफ्तार करने से पहले जरूरी दस्तावेज जुटाए जा रहे हैं। जल्द उसे गिरफ्तार करने टीम दमोह जाएगी। 

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दमोह पुलिस की जांच में खुलासा 

मध्य प्रदेश की दमोह पुलिस ने जांच में पाया कि डॉक्टर नरेंद्र विक्रमादित्य यादव की एमबीबीएस की डिग्री भी एक महिला के नाम पर है और उसकी एमडी व डीएम की डिग्रियां भी फर्जी  है। डॉक्टर जॉन केम की डिग्री मेंपंजीयन नंबर नहीं है और ना ही तारीख है। डिग्री में केवल वाइस चांसलर व चांसलर के हस्ताक्षर हैं और वह भी फर्जी, क्योंकि पांडिचेरी केंद्र शासित राज्य है और वहां चांसलर उपराष्ट्रपति होते हैं। 

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डिग्री पर हस्ताक्षर मेल नहीं खा रहे

फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट की डिग्री में जुलाई 2013 का उल्लेख है। उस वक्त वहां उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी थे, पर डिग्री में हस्ताक्षर उनके हस्ताक्षर से मेल नहीं खा रहे हैं।इस मामले में सरकंडा थाने में एफआईआर दर्ज होने के बाद कई बातें सामने आ रही हैं। एसएसपी रजनेश सिंह ने बताया कि पुलिस को आरोपी के पास से एमबीबीएस की दो डिग्री मिली हैं। एक नरेंद्र विक्रमादित्य यादव के नाम से है और दूसरा नरेंद्र केम जान के नाम से। इन्हें 1996 में बनाया था।

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