छत्तीसगढ़ पुलिस विभाग में हाल ही में पदोन्नत किए गए निरीक्षक स्तर के अधिकारियों को पहली बार उप पुलिस अधीक्षक (DSP) के रूप में तैनाती दी गई है। पदोन्नत कुल 21 डीएसपी अधिकारियों की पहली पोस्टिंग राज्य के संवेदनशील और चुनौतीपूर्ण माने जाने वाले नक्सल प्रभावित जिलों में की गई है।
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इस संबंध में पुलिस महानिदेशक (DGP) अर्जुनदेव गौतम ने आदेश जारी किया है, जो राज्य के कानून-व्यवस्था और सुरक्षा नीति के दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इन अधिकारियों को बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा, नारायणपुर, कांकेर, कोण्डागांव, राजनांदगांव और कबीरधाम जैसे जिलों में जिम्मेदारी सौंपी गई है, जहां नक्सलवाद का प्रभाव दशकों से बना हुआ है। राज्य सरकार और पुलिस विभाग की रणनीति के तहत इन ऊर्जावान अधिकारियों को जमीनी स्तर पर तैनात कर सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने का लक्ष्य दिया गया है।
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पदोन्नत अधिकारियों को चुनौतीपूर्ण जिम्मेदारी पदोन्नत डीएसपी इन नक्सल क्षेत्रों में अपनी सेवा की शुरुआत करेंगे, जहां न केवल माओवादी गतिविधियों पर नजर रखना होगा, बल्कि स्थानीय लोगों के साथ विश्वास स्थापित करना, खुफिया तंत्र मजबूत करना और कानून-व्यवस्था बनाए रखना भी बड़ी जिम्मेदारी होगी। डीजीपी अरुण देव गौतम ने आदेश जारी करते हुए कहा, "नवीन डीएसपी अधिकारियों को नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पोस्टिंग देना हमारी रणनीति का हिस्सा है।
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इन इलाकों में कानून व्यवस्था बनाए रखने और नक्सली गतिविधियों पर नियंत्रण पाने के लिए नई ऊर्जा और जज़्बे की ज़रूरत है। हमें विश्वास है कि ये अधिकारी अपने अनुभव और प्रशिक्षण से इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाएंगे। नक्सल मोर्चे पर सीधे टक्कर का मौका इस तैनाती के जरिए ये अधिकारी सीधे नक्सल मोर्चे पर अपनी भूमिका निभाएंगे। सामान्य पुलिसिंग से इतर यहां इन्हें एंटी-नक्सल ऑपरेशनों में भागीदारी करनी होगी। गश्त, चेकिंग, आईईडी डिटेक्शन और स्थानीय खुफिया नेटवर्क को मजबूत करने की दिशा में काम करना होगा। साथ ही, विकास कार्यों की सुरक्षा और ग्राम स्तर पर सरकार की योजनाओं के क्रियान्वयन में भी सहयोग देना होगा।
प्रशिक्षण और तैयारी पूरी
ये सभी अधिकारी हाल ही में राज्य पुलिस अकादमी और केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थानों से प्रशिक्षण प्राप्त कर लौटे हैं। उन्हें एंटी-नक्सल ऑपरेशनों, रणनीतिक योजना, जनता से संवाद और तकनीकी पुलिसिंग के नवीनतम तरीकों की जानकारी दी गई है। विशेष रूप से जंगल वारफेयर, एम्बुश तकनीक और संचार प्रणाली पर विशेष प्रशिक्षण दिया गया है।
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