Raipur : छत्तीसगढ़ में ड्रॉपआउट सबसे बड़ी समस्या बनकर सामने आया है। वैसे तो मध्यप्रदेश में भी यह समस्या है लेकिन छत्तीसगढ़ में स्थति भयावह है। स्कूलों से जुड़ी एक सरकारी रिपोर्ट चौंकाने वाली है। यह रिपोर्ट साल 2021-22 की है जो प्रदेश सरकार ने केंद्र सरकार को भेजी है। केंद्र सरकार के शिक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के हिसाब से प्रदेश में बड़े पैमाने पर ड्रॉपआउट हो रहा है। प्राइमरी में करीब 25 लाख छात्रों ने एडमिशन लिया जिसमें से हायर सेकंडरी तक पहुंचते पहुंचते महज पांच लाख छात्र ही बचे। सरकार हैरान है कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में बच्चे स्कूल क्यों छोड़ रहे हैं।
ड्रॉपआउट रोकने एक्शन प्लान
नई सरकार स्कूल शिक्षा की इस व्यवस्था से सकते में है। प्रदेश में इतने बड़े पैमाने पर बच्चे स्कूल को अलविदा कह रहे हैं यह बात हैरान करने वाली है। सरकारी स्कूलों के बच्चों के साथ-साथ राइट टू एजुकेशन के तहत प्रायवेट स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे भी स्कूल छोड़ देते हैं। सीएम ने सभी कलेक्टरों को इसकी पड़ताल करने के निर्देश देकर एक्शन प्लान मांगा है।
ड्रॉप आउट बच्चों में लड़कियों के साथ-साथ लड़के भी शामिल हैं। प्राइमरी से मिडिल में पहुंचते ही छात्रों की संख्या आधी हो जाती है। हाईस्कूल में छात्रों के मुकाबले छात्राओं की संख्या ज्यादा हो जाती है यानी यहां पर छात्र ज्यादा स्कूल छोड़ रहे हैं। हायर सेकंडरी में छात्राओं की संख्या छात्रों से कहीं ज्यादा होती है।
ये है छत्तीसगढ़ की स्थिति
प्रायमरी में एडमिशन
छात्र - 13 लाख 56 हजार 107
छात्राएं - 12 लाख 95 हजार 180
मिडिल में बचे इतने स्टूडेंट
छात्र - 7 लाख 49 हजार 495
छात्राएं - 7 लाख 31 हजार 886
हाईस्कूल में इतने स्टूडेंट
छात्र - 4 लाख 61 हजार 221
छात्राएं - 4 लाख 82 हजार 587
हायर सेकंडरी में इतने स्टूडेंट
छात्र - 2 लाख 78 हजार 980
छात्राएं - 3 लाख 21 हजार 550
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बिना शिक्षकों के चल रहे स्कूल
गर्मी की छुट्टी के बाद 26 जून से छत्तीसगढ़ में स्कूल खुल रहे हैं। नया शिक्षा सत्र का शुरु होने जा रहा है। स्कूलों में जोर शोर से प्रवेश उत्सव मनाने की तैयारी भी की गई है। लेकिन इस बीच चौंकाने वाली बात सामने आई है। यह जानकारी शिक्षा विभाग को आइना दिखाने के लिए काफी है। प्रदेश के 610 स्कूलों में एक भी शिक्षक नहीं हैं, यानी कुल 610 स्कूल शिक्षक विहीन है। वहीं प्रदेश के 5500 स्कूल एक शिक्षक के भरोसे संचालित हो रहे हैं। इस व्यवस्था के बीच सरकार गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा की बात कर रही है।
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