800 आदिवासी बच्चों ने मिलकर बनाया रॉकेट, अब नैनो सैटेलाइट लॉन्च करेंगे

जशपुर के आदिवासी बच्चों ने रॉकेट बनाया और नैनो सैटेलाइट बनाना सीख रहे हैं। विज्ञान में भी अच्छा करियर होता है, यह सरकारी स्कूल के बच्चों को 8-9वीं कक्षा में ही सिखाया जा रहा है।

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Kanak Durga Jha
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800 tribal children together made rocket now they will launch nano satellite
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कभी नक्सली गढ़ के रूप में बदनाम रहे जशपुर जिला आज प्रगति पथ पर है। यहां के आदिवासी बच्चों ने रॉकेट बनाया और नैनो सैटेलाइट बनाना सीख रहे हैं। विज्ञान में भी अच्छा करियर होता है, यह सरकारी स्कूल के बच्चों को 8-9वीं कक्षा में ही सिखाया जा रहा है। यह बदलाव हुआ जिला कलेक्टर की पहल से। चार महीने पहले जशपुर में 2017 बैच के रोहित व्यास को कलेक्टर बनाकर भेजा गया।

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मध्यप्रदेश के रहने वाले रोहित बचपन से विज्ञान के प्रति रुचि रखते थे। वे रटने के बजाय प्रयोग करने पर विश्वास करते थे। जब वे सरकारी स्कूलों में गए तो बच्चों से रॉकेट के बारे में पूछा। बच्चे आधी-अधूरी ही जानकारी दे पाए, लेकिन जब उनसे यह पूछा गया कि रॉकेट बनाना सीखोगे तो सभी ने एक स्वर में कहा-हां।

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30 सेकंड हवा में उड़ाया रॉकेट

रॉकेट सिखाने के लिए 8 ब्लॉक में 100 बच्चों को प्रशिक्षण दिया गया। इसमें सरकारी स्कूल के उन बच्चों को सलेक्ट किया गया, जिन्हें विज्ञान में रुचि है। इसमें 10-10 बच्चों के 10 बैच बने। इन्हें स्कूल टाइम के अलावा 8 घंटे की रॉकेटरी वर्कशाप अलग से दी गई। हर बैच ने मिलकर 30 सेकंड हवा में 100 फीट तक उड़ने वाला एक रॉकेट बनाया। उसका प्रक्षेपण करके भी देखा। अंत में इन सभी बच्चों ने ग्राम चिड़िया के संगम स्थल पर मिलकर 10 फीट का एक बड़ा रॉकेट बनाया। इसका सफल प्रक्षेपण भी किया गया।

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इसरो के विशेषज्ञ दे रहे ट्रेनिंग

रोहित ने जिले में अन्वेषण नवाचार नाम से एक कार्यक्रम शुरू किया है। इसमें अंतरिक्ष ज्ञान अभियान की शुरुआत की गई। सरकारी स्कूल के बच्चों को अंतरिक्ष की जानकारी देने के लिए इसरो से साइंटिस्ट डॉ. श्रीनिवास को बुलवाया गया था। सैटेलाइट कम्युनिकेशन के बारे में बच्चों को बताया गया। इसके अलावा स्टार गैजिंग वर्कशाप का आयोजन भी समय-समय पर होता है। इसमें टेलीस्कोप से बच्चों को तारों के बारे में बताते हैं।

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