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रायपुर : छत्तीसगढ़ के आदिवासियों पर अब अडानी की दादागिरी शुरु हो गई है। आदिवासियों के खेत में अब अडानी का बुलडोजर चलने लगा है। इसे सीधे तौर पर अडानी की अजब दादागिरी कहा जा सकता है। जिन खेतों में आदिवासियों ने धान लगाई थी उस धान पर आधी रात को अडानी के बुलडोजर आए और रौंदकर चले गए।
यह वो खेत हैं जा अडानी और परसा कोल ब्लॉक के बीच में आ रहे हैं। इतना ही नहीं कई खेतों में फेंसिंग भी कर दी गई है ताकि आदिवासी वहां पर जा भी ना पाएं। हैरानी बात तो ये है कि बिना अनुमतियों के यह सारा काम किया जा रहा है। आदिवासी जनजाति आयोग ने इन कोल ब्लॉक को रद्द करने की सिफारिश सरकार से की थी लेकिन वो भी कूड़े में पड़ी है, और अडानी की दादागिरी जारी है।
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आधी रात को फसल पर चला बुलडोजर
छत्तीसगढ़ के उदयपुर थाना क्षेत्र के ग्राम साल्ही में अडानी कंपनी ने फर्जी ग्राम सभा के दस्तावेज़ों के आधार पर खदान खोलने के लिए 11 जुलाई को सुनसान रात में किसानों की बोई धान की खड़ी फसल पर बुलडोजर चलवा दिया है। स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, रात करीब 12 बजे, अडानी कंपनी के लोगों ने एक साथ कई बुलडोज़र लगाकर खेतों में जबरन घुस गए और बुलडोजर चला दिया है। जिससे किसानों की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई।
किसानों का कहना है कि अडानी कंपनी ने फर्जी ग्राम सभा की कार्यवाही दिखाकर कहा कि यह ज़मीन उन्होंने अधिग्रहित कर ली है। जबकि ग्राम पंचायत में इस तरह की कोई बैठक हुई ही नहीं थी। आनंद राम कुसरो की सबसे ज्यादा फसल तबाह हुई।
कुसरो ने बताया कि उन्होंने पूरे सीजन की मेहनत से फसल उगाई थी, और ये उनकी आजीविका का एकमात्र साधन था। आनंद राम कुसरो ने अडानी पर आरोप लगाते हुए कहा कि हमसे बिना पूछे, बिना नोटिस के आधी रात को हमारी फसल पर बुलडोजर चला दिया गया। यह अन्याय है। हम न्याय के लिए सरकार से गुहार लगाते हैं।
किसानों के खेतों में की फेंसिंग
अडानी कंपनी के लोगों ने बुलडोजर चलाकर अकेले फसल ही बर्बाद नहीं की बल्कि इन खेतों पर अपना अधिकार जताते हुए तारों से फेंसिंग भी कर दी ताकि कोई आदिवासी अपनी जमीन पर ही न जा सके। आदिवासी इस जमीन का मुआवजा लेने से भी इनकार कर चुके हैं। अकेले आनंदराम कुसरों ही नहीं बल्कि बुधराम उइके, भगवती राम, प्रकार उइके, पवन कुसरो और संतराम कुसरो जैसे कई किसानों की जमीन पर बुलडोजर चलाया गया है।
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के कार्यकर्ताओं ने अडानी कंपनी पर आरोप लगाते हुए कहा कि यह यह सरासर दादागिरी है। फर्जी ग्राम सभा प्रस्ताव के आधार पर परसा कोल माइंस जबरन खोली गई है इस कार्यवाही में सरकार भी शामिल है।
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कूड़े में पड़ी जनजाति आयोग की रिपोर्ट
यह मामला अब गरमाता जा रहा है। किसानों के समर्थन में कई सामाजिक संगठन और जनप्रतिनिधि सामने आ रहे हैं। हैरानी बात तो यह भी है कि राज्य जनजाति आयोग ने ग्रामसभा की अनुमति को फर्जी माना और राज्य सरकार को अपनी सिफारिशें भी दीं। इन सिफारिश में कहा गया कि हसदेव के तहत आने वाली सभी कोल खदानों की अनुमति निरस्त की जाए। लेकिन इस संबध में सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया। इससे पहले राष्ट्रीय वन्यजीव संस्थान भी इन कोल ब्लॉक को बंद करने की अनुमति दे चुका है फिर भी इनको बंद नहीं किया गया।
राज्यपाल से लगाई गुहार
इन आदिवासियों ने राज्यपाल से भी गुहार लगाई है। इन्होंने अपने आवेदन में कहा कि कोरबा, सरगुजा और सूरजपुर जिले में स्थित हसदेव अरण्य संविधान की पांचवी अनुसुचित क्षेत्र हैं जिसके प्रशासक और हमारे अधिकारों के संरक्षक राज्यपाल के रूप में आप हैं । हमारे क्षेत्र में अदानी कम्पनी हम आदिवासियों के जंगल जमीन पर अवैध और जबरन कब्ज़ा करके कोयला उत्खनन कर रहा है । कोयला खदान सिर्फ नाम के लिए राजस्थान राज्य विद्युत निगम लिमिटेड को आवंटित है लेकिन भूमि अधिग्रहण से लेकर कोयला उत्खनन तक सारी कार्यवाही अदानी कम्पनी कर रही है। हमारे गाँव में आवंटित परसा कोल ब्लॉक का हमारी ग्रामसभाए पिछले 10 सालों से विरोध करती आ रही हैं लेकिन शासन प्रशासन ने हमारे विरोध के प्रस्ताव को दरकिनार किया। अदानी कम्पनी ने फर्जी और कूट रचित दस्तावेज तैयार करके परियोजना कि वन स्वीकृति हासिल की है। आदिवासियों ने कहा कि अडानी कंपनी अब दादागिरी पर उतर आई है। राज्यपाल ने कहा कि वे इस मामले में कार्यवाही करेंगे।
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