अडानी,बिड़ला और बांगर के सीमेंट प्लांट की फर्जी पर्यावरण मंजूरी लेने की शिकायत

सरकार को ऐसे 9 उद्योगों की शिकायतें मिली हैं। इनमें अडानी,बिड़ला और बांगर जैसे बड़े उद्योगपतियों के सीमेंट प्लांट भी शामिल हैं। सरकार को मिली शिकायत अंबुजा, अल्ट्राटेक और श्री सीमेंट के बारे में है।

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Arun Tiwari
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Complaint of fake environmental clearance on cement plants of Adani, Birla and Bangar the sootr
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रायपुर : छत्तीसगढ़ में एक बार फिर उद्योंगों को लेकर विवाद शुरु हो गया है। छत्तीसगढ़ में चल रहे कुछ उद्योग ऐसे हैं जो बिना पर्यावरण की अनुमति या यूं कहें कि फर्जी अनुमति लेकर चल रहे हैं। सरकार को ऐसे 9 उद्योगों की शिकायतें मिली हैं। इनमें अडानी,बिड़ला और बांगर जैसे बड़े उद्योगपतियों के सीमेंट प्लांट भी शामिल हैं। सरकार को मिली शिकायत में अंबुजा, अल्ट्राटेक और श्री सीमेंट के बारे में कहा गया है कि ये प्लांट पर्यावरण के नियमों को ताक पर रखकर चल रहे हैं। इससे पर्यावरण के साथ लोगों के स्वास्थ्य से खिलवाड़ हो रहा है। यह प्लांट छत्तीसगढ़ के अलग अलग जिलों में चल रहे हैं। चूंकि ये मामला  केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय से जुड़ा है इसलिए छत्तीसगढ़ सरकार ने केंद्र सरकार को इस संबंध में पत्र भेज दिया है। 

फिर विवादों में छत्तीसगढ़ के उद्योग 

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छत्तीसगढ़ सरकार को 9 उद्योगों के खिलाफ शिकायतें मिली हैं। वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने माना है कि पर्यावरण स्वीकृति, पर्यावरण नियमों के उल्लंघन और अनियमितता के संबंध में छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल को 9 उद्योंगों के खिलाफ शिकायतें मिली हैं। छत्तीसगढ़ में उद्योगों और विवाद का पुराना नाता है। यहां पर खनिज संपदा भरपूर है इसलिए बड़े उद्योगपतियों की नजर छत्तीसगढ़ पर बनी रहती है। सरकार भी रोजगार के लिए खुले हाथों से यहां पर उद्योगपतियों को आमंत्रित करती रही है। जिन उद्योंगों के खिलाफ शिकायतें मिली हैं वे सीमेंट कौल प्लांट से जुड़े हुए हैं। ये सीमेंट प्लांट अडानी,बिड़ला और बांगर जैसे बड़े उद्योगपतियों के हैं। ये प्लांट बलौदाबाजार, दुर्ग और बिलासपुर जिले में चल रहे हैं। अंबुजा, अल्ट्राटेक और श्री सीमेंट के प्लांट के बारे में मिली शिकायतों में कहा गया है कि ये प्लांट बिना पर्यावरण अनुमति या फिर त्रुटिपूर्ण पर्यावरण मंजूरी के चल रहे हैं। इससे पर्यावरण और स्वास्थ्य को बड़ा नुकसान हो रहा है। 

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इन उद्योगों के खिलाफ मिली शिकायतें  

अल्ट्राटेक सीमेंट - अल्ट्राटेक सीमेंट का ये प्लांट बलौदाबाजार के ग्राम हिरमी में चल रहा है। शिकायत में कहा गया है कि परसवानी लाइम स्टोन  माइन्स में खनन घोटाला किया गया है। बिना पर्यावरण स्वीकृति के क्षमता विस्तार कर लिया गया। संचालन और स्थापना की सहमति के बिना अवैध उत्खनन किया जा रहा है। इसकी सीबीआई या न्यायिक जांच होनी चाहिए। 


अल्ट्राटेक सीमेंट - अल्ट्राटेक सीमेंट का ये दूसरा प्लांट बलौदाबाजार के ग्राम कुकुरडीह में चल रहा है। शिकायत में कहा गया है कि यह प्लांट अवैध पर्यावरण स्वीकृति और संचालन सम्मति के बिना चल रहा है। 

अंबुजा सीमेंट - अंबुजा सीमेंट का ये प्लांट बलौदाबाजार भाटापारा में है। शिकायत में कहा गया है कि अंबुजा सीमेंट प्लांट की यूनिट 3 और यूनिट 4 की स्थापना के लिए पर्यावरण मंत्रालय से नियम विरुद्ध और पक्षपातपूर्ण टीओआर जारी हुआ। इसकी उच्च स्तरीय जांच हो और जनसुनवाई की कार्यवाही पर रोक लगाई जाए।    

श्री सीमेंट - यह प्लांट बलौदाबाजार जिले के खपराडीह में चल रहा है। शिकायत में कहा गया है कि त्रुटिपूर्ण पर्यावरण स्वीकृति से इस प्लांट का संचालन किया जा रहा है।  


अल्ट्राटेक सीमेंट - बलौदाबाजार के ग्राम गुमा के सीमेंट प्लांट के बारे में शिकायत की गई है कि लाइम स्टोन माइन 2 में पर्यावरण मंजूरी का उल्लंघन किया गया है। अवैध खनन की जांच और वैधानिक कार्यवाही होनी चाहिए। 


टेथिस कैम प्रायवेट लिमिटेड : यह उद्योग भिलाई में संचालित है। शिकायत में कहा गया है कि बिना पर्यावरण मंजूरी और जाली दस्तावेज के उद्योग का संचालन और उत्पादन किया जा रहा है। 

एमपी टार प्रोडक्ट : भिलाई में संचालित इस उद्योग में भी पर्यावरण स्वीकृति न लेने की शिकायत है। 


होराइजन कोल बेनिफिकेशन : बिलासपुर में संचालित इस उद्योग के बारे में शिकायत यह है कि इसने गलत दस्तावेज प्रस्तुत कर एनवायरमेंट क्लियरेंस लिया है। 

महावीर कोल वाशरी प्रायवेट लिमिटेड : जांजगीर चांपा में संचालित इस उद्योग की शिकायत में कहा गया है कि बिना पर्यावरण मंजूरी के यह संचालित हो रहा है और उत्पादन कर रहा है।

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शिकायतों पर यह हुई कार्यवाही 

अल्ट्राटेक सीमेंट की पर्यावरण स्वीकृति के संबंध में हुई शिकायत को केंद्र सरकार के पर्यावरण मंत्रालय को भेजा गया है। वहीं एक प्लांट के लिए समिति का गठन किया गया है जो जांच कर रही है। अंबुजा सीमेंट का टीओआर भारत सरकार के पर्यावरण मंत्रालय ने जारी किया गया है। इसलिए इसके निराकरण और आगे की कार्यवाही के लिए केंद्रीय पर्यावरण एवं जलवायु मंत्रालय को लिखा गया है। श्री सीमेंट के संबंध में भी आगामी कार्यवाही के लिए केंद्र सरकार को पत्र भेजा गया है। वहीं टेथिस कैम और होराइजन कोल की जांच भी प्रक्रियाधीन है।  

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