1 जनवरी 1948 को सभी रियासतों का विलय देश में हुआ। इसके बाद बस्तर राजपरिवार में ये पहला विवाह है, जिसमें वर पक्ष की तरफ से सारी परंपराएं जगदलपुर में पूरी की जा रही हैं। बस्तर राजपरिवार के इतिहास के जानकार रूद्रनारायण पाणिग्रही बताते हैं कि इससे पहले बस्तर राजपरिवार का जगदलपुर में आखिरी विवाह सन 1890 में राजा रूद्रप्रताप देव का हुआ था।
वहीं राजा प्रवीरचंद्र भंजदेव का विवाह दिल्ली और विजयचंद्र का विवाह गुजरात में संपन्न हुआ था। ऐसे में बस्तर राजपरिवार के जगदलपुर स्थित राजमहल में 135 साल बाद शहनाई की गूंज सुनाई दे रही है।
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दंतेश्वरी माता का छत्र और छड़ी विवाह में होगा शामिल
दंतेश्वरी माता का छत्र और छड़ी पहली बार किसी विवाह में शामिल होगी। पूर्व राज परिवार के सदस्य कमलचंद्र भंजदेव के बारात में दंतेश्वरी माता का छत्र और छड़ी शामिल किया जाएगा। 18 फरवरी को छत्र और छड़ी को राजमहल जगदलपुर ले जाया जाएगा। फिर यहां से बारात के साथ 20 फरवरी को एमपी के नागौद के लिए फ्लाइट से दंतेश्वरी माता के छत्र और छड़ी को ले जाया जाएगा। बारात के लिए दो फ्लाइट बुक करवाई गई है।
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राजपरिवार के विवाह में ये होंगी खास चीजें
बता दें कि साल में माईजी की छड़ी और उनका छत्र केवल बस्तर दशहरा और फागुन मड़ई पर ही बाहर निकाला जाता है। इसमें भी फागुन मड़ई पर जिले में ही छड़ी और छत्र की परिक्रमा होती है। विवाह में शामिल करने छत्र और छड़ी को जगदलपुर और फिर यहां से नागौद ले जाने प्रोटोकाल तैयार किया जा रहा है।
छत्र और छड़ी को दंतेवाड़ा में सलामी दी जाएगी। फिर यहां से जवानों के साथ ही छड़ी और छत्र को जगदलपुर तक पहुंचाया जाएगा। किसी वीआईपी प्रवास की तरह ये प्रोटोकाल तैयार किया जाता है, जिसमें छत्र-छड़ी को कब-कहां रोका जाएगा, इनका उल्लेख किया जाता है। राज परिवार की कुल देवी हैं दंतेश्वरी माता दंतेश्वरी माता के छत्र और छड़ी को अभी तक किसी भी विवाह में इससे पहले शामिल नहीं किया गया है।
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चूंकि राज परिवार के सदस्य का विवाह होने जा रहा है। राज परिवार दंतेश्वरी माता के प्रथम पुजारी हैं। साथ ही दंतेश्वरी माता राजपरिवार की कुल देवी भी हैं। 10 लोग जाएंगे छत्र और छड़ी के साथ दंतेश्वरी माता के छत्र और छड़ी के साथ दंतेवाड़ा से पुजारी परमेश्वर नाथ जिया, मांझी, बारह लांकवार के लोग और छड़ी को पकड़ने वाला प्रमुख सेवादार चौरिया और पडियार इसमें मुख्य रूप से शामिल होंगे।
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