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Photograph: (the sootr)
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) ने बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सीनियर ऑब्जर्वर की नियुक्ति की है। इस सूची में छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी का नाम शामिल है।
इन तीनों नेताओं के राजनीतिक अनुभव और नेतृत्व क्षमता को देखते हुए कांग्रेस ने इन्हें बिहार चुनाव की जिम्मेदारी सौंपने का फैसला लिया है। पार्टी का मानना है कि इन तीन वरिष्ठ नेताओं का अनुभव बिहार के जटिल राजनीतिक परिदृश्य में कांग्रेस के लिए मददगार होगा।
AICC सीनियर ऑब्जर्वर की सूची में शामिल नाम
भूपेश बघेल: छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को चुनावों का पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है। बघेल पहले भी हिमाचल प्रदेश, झारखंड, असम, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र चुनावों में ऑब्जर्वर रह चुके हैं। 2024 लोकसभा चुनाव में भी राहुल गांधी की रायबरेली सीट पर बघेल को ऑब्जर्वर के तौर पर जिम्मेदारी मिली थी। वर्तमान में वे कांग्रेस के महासचिव के रूप में पंजाब के प्रभारी भी हैं।
अशोक गहलोत: राजस्थान के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत को भी बिहार चुनाव के सीनियर ऑब्जर्वर के तौर पर नियुक्त किया गया है। गहलोत का अनुभव और उनकी संगठनात्मक क्षमताएं बिहार चुनाव में मददगार साबित हो सकती हैं।
अधीर रंजन चौधरी: पश्चिम बंगाल कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी को भी बिहार चुनाव में सीनियर ऑब्जर्वर बनाया गया है। उनका राजनीतिक अनुभव और पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के लिए किए गए कामों की सराहना की जाती है।
सीनियर ऑब्जर्वर | राज्य का अनुभव | विशेषज्ञता का क्षेत्र |
भूपेश बघेल | छत्तीसगढ़ (पूर्व मुख्यमंत्री) | चुनावी प्रबंधन और संगठनात्मक कौशल |
अशोक गहलोत | राजस्थान (पूर्व मुख्यमंत्री) | राजनीतिक रणनीति और जन संपर्क |
अधीर रंजन चौधरी | पश्चिम बंगाल (पूर्व अध्यक्ष) | संगठनात्मक कमान और आक्रामक प्रचार |
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AICC ने नियुक्त किए 41 डिस्ट्रिक्ट इलेक्शन ऑब्जर्वर
इन तीन सीनियर नेताओं के अलावा, AICC ने बिहार के सभी 41 जिलों के लिए डिस्ट्रिक्ट इलेक्शन ऑब्जर्वर भी नियुक्त किए हैं। इन चुनाव पर्यवेक्षकों की जिम्मेदारी बिहार विधानसभा चुनाव के प्रत्येक जिले में चुनावी गतिविधियों की निगरानी रखना है।
58 ऑब्जर्वर पहले ही नियुक्त किए गए थे
एआईसीसी(AICC) ने पहले 58 ऑब्जर्वर नियुक्त किए थे, जिनमें चार महिलाएं भी शामिल थीं। इन महिलाओं में अम्बा प्रसाद, विंग कमांडर अनुमा आचार्य, श्वेता सिंह और ममता देवी शामिल थीं। इनका अनुभव कांग्रेस पार्टी के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
बिहार में सीटों का गणित: क्या पिछली बार से कम पर लड़ेगी कांग्रेस?
बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती महागठबंधन के भीतर सीटों का बंटवारा है। लोकसभा चुनाव 2024 के प्रदर्शन को आधार मानें, तो राष्ट्रीय जनता दल (RJD), कांग्रेस, वाम दल और वीआईपी (VIP) के बीच सीटों का नया समीकरण बन सकता है।
लोकसभा चुनाव 2024 में सीटों का विभाजन: आरजेडी 23, कांग्रेस 9, वाम दल 5 और वीआईपी 3 सीटों पर लड़े थे।
विधानसभा सीटों का अनुमान: एक लोकसभा सीट में औसतन 6 विधानसभा सीटें मानी जाती हैं। इस फॉर्मूले के आधार पर, संभावित सीटों का बंटवारा निम्नलिखित हो सकता है:
आरजेडी (RJD): 23 x 6 = 138 सीटें (दावेदारी)
कांग्रेस (Congress): 9 x 6 = 54 सीटें (दावेदारी)
वाम दल (Left Parties): 5 x 6 = 30 सीटें (दावेदारी)
वीआईपी (VIP): 3 x 6 = 18 सीटें (दावेदारी)
कुल सीटें: इस फॉर्मूले के आधार पर कुल 240 सीटें होती हैं। बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं, जिसका अर्थ है कि बची हुई 3 सीटें अन्य छोटे दलों के लिए छोड़ी जा सकती हैं।
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RJD और कांग्रेस का चुनावी गठबंधन
पिछले चुनाव में RJD और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार दोनों पार्टियों को कम सीटों पर ही चुनाव लड़ने का अनुमान है। इससे यह सवाल उठता है कि क्या उनका गठबंधन इस बार भी वही ताकत दिखा पाएगा जो पिछले चुनाव में दिखी थी?
AICC की चुनावी रणनीति
AICC की चुनावी रणनीति का मुख्य उद्देश्य बिहार में कांग्रेस की स्थिति को मजबूत करना और अपने गठबंधन सहयोगियों के साथ मिलकर एक मज़बूत चुनावी मोर्चा तैयार करना है। इस रणनीति को लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने कई बैठकें भी आयोजित की हैं और चुनावी घोषणापत्र तैयार किया है।