गोभक्त प्रत्याशी को लेकर शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का बयान, बिहार चुनाव में 243 को देंगे टिकट

शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ गो माता की रक्षा के मुद्दे को उठाया। भाजपा ने उन्हें कांग्रेसी संत बताया है, जिस पर शंकराचार्य ने पलटवार किया है।

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Sanjay Dhiman
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Photograph: (the sootr)

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बिहार विधानसभा चुनाव का माहौल गरमाया हुआ है और इस चुनावी समर में राजनीति के प्रमुख चेहरे एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी रखे हुए हैं। इस राजनीतिक परिप्रेक्ष्य में, ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती भी मैदान में उतर चुके हैं। वे जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधिकारी हैं और उनका कहना है कि भाजपा उनके धर्मनिरपेक्ष दृष्टिकोण को कमजोर करने के लिए उन्हें 'कांग्रेसी संत' कहकर प्रचारित करती है।

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का मानना है कि भाजपा केवल चुनावी लाभ के लिए 'गो माता' की रक्षा की बात करती है, लेकिन जब इस मुद्दे पर सवाल उठाए जाते हैं, तो उनके पास कोई स्पष्ट जवाब नहीं होता। यही कारण है कि भाजपा उनके खिलाफ यह आरोप लगा रही है। 

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बताया कि वे बिहार चुनाव में प्रदेश की सभी 243 विधानसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारेंगे। प्रत्याशी गौभक्तसनातनी होना आवश्यक है। हमारा उद्देश्य राजनीति नहीं बल्कि गौसेवा है।

भाजपा और गो माता का मुद्दा

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि भाजपा गो माता के संरक्षण का केवल दिखावा करती है। वे मानते हैं कि गो माता को राष्ट्र माता घोषित करने का कोई गंभीर प्रयास अब तक नहीं किया गया है। इसके लिए वे चुनावी मंच का सहारा लेने पर मजबूर हुए हैं।

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चुनाव में उतरने का कारण

जब उनसे पूछा गया कि वह एक पीठाधीश्वर हैं, तो उन्हें चुनाव लड़ने की आवश्यकता क्यों पड़ी, उन्होंने स्पष्ट किया कि कोई भी राजनीतिक दल गो माता को राष्ट्र माता घोषित करने के मुद्दे पर गंभीर नहीं है। इसलिए गो माता की रक्षा के मुद्दे को उठाने के लिए उन्हें चुनावी मैदान में उतरना पड़ा।

राजनीति और धर्म का समन्वय

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि धर्म और राजनीति दोनों ही जनसेवा के उद्देश्य से काम करते हैं, लेकिन दोनों के कार्य करने की विधि अलग है। उनका उद्देश्य यह है कि राजनीति इतनी शुद्ध हो कि वह खुद धर्म का रूप ले ले। इसके साथ ही, वे राजनीति में धर्म के समन्वय पर जोर देते हैं।

शंकराचार्य के चुनावी अभियान का मुख्य उद्देश्य

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने यह भी कहा कि उनका मुख्य उद्देश्य गो माता को केवल पशु के रूप में नहीं, बल्कि हमारे आस्था और संस्कृति का प्रतीक मानते हुए राष्ट्र माता घोषित करना है। वे यह मानते हैं कि गो माता हमारी सभ्यता और संस्कृति की आधारशिला हैं, और उन्हें इस उच्च दर्जे पर ले जाने की आवश्यकता है।

शंराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के चुनाव लडने और भाजपा के

आरोपों को ऐसे समझें 

  • शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बिहार विधानसभा चुनाव में गो माता की रक्षा का मुद्दा उठाया और भाजपा पर आरोप लगाया कि वह केवल वोट लेने के लिए गो माता के संरक्षण की बात करती है।
  • वे खुद को सनातनी संत बताते हुए भाजपा द्वारा उन्हें 'कांग्रेसी संत' कहकर प्रचारित करने की आलोचना करते हैं।
  • उनका मुख्य उद्देश्य गो माता को राष्ट्र माता घोषित करना है, ताकि उसे केवल पशु के रूप में नहीं, बल्कि सनातन धर्म, संस्कृति और आस्था के प्रतीक के रूप में माना जाए।
  • राजनीति और धर्म का समन्वय करते हुए, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का मानना है कि राजनीति को इतना शुद्ध होना चाहिए कि वह धर्म का रूप ले सके।
  • वे बताते हैं कि विधानसभा चुनावों में गो भक्तों और गो रक्षकों को प्रत्याशी बनाया जाएगा, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि समाज में गो माता के समर्थक कितने हैं।

बिहार चुनाव से अभियान की शुरुआत

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बिहार विधानसभा चुनाव में इस मुद्दे को उठाने का निर्णय लिया है। उनका कहना है कि बिहार में चुनाव होने जा रहे हैं, और यह उनका पहला कदम है। हालांकि, वे यह भी मानते हैं कि संसाधनों की कमी के कारण उनकी आवाज़ जनता तक पूरी तरह नहीं पहुंच पा रही है। फिर भी, उनका मानना है कि इस चुनाव से यह स्पष्ट हो जाएगा कि समाज में कितने लोग सनातनी गो भक्त और गो रक्षक हैं।

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प्रत्याशियों का चयन

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने बताया कि वे जिन प्रत्याशियों को चुनाव में उतारेंगे, वे सभी सनातनी गो भक्त और गो रक्षक होंगे। उनका मानना है कि चुनाव जीतना कठिन होगा, लेकिन यह चुनाव यह दिखाएगा कि समाज में गो माता की रक्षा के लिए कितने लोग खड़े हैं।

बिहार विधानसभा चुनाव की चुनावी रणनीति

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने यह भी कहा कि उनकी चुनावी रणनीति का मुख्य उद्देश्य गो माता की रक्षा को एक राष्ट्रव्यापी मुद्दा बनाना है। वे चाहते हैं कि गो माता को केवल एक पशु के रूप में नहीं देखा जाए, बल्कि उसे हमारी सभ्यता और संस्कृति का प्रतीक माना जाए।

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