बस्तर को हथियार मुक्त बनाने का लक्ष्य, नक्सलियों के खिलाफ बना संगठन

बस्तर क्षेत्र के लोग करीब तीस सालों से नक्सलवाद से पीड़ित हैं। ये ऐसे लोग हैं, जिनके घरों में नक्सली जबरदस्ती रुकते और खाना खाते हैं। इन लोगों की मानें तो दो चक्कियों के बीच में पिसने की स्थिति है।

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Pooja Kumari
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BASTAR
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BASTAR. बरसों से नक्सलियों का अत्याचार सह रहे लोगों ने आखिरकार उनके खिलाफ लड़ाई के लिए संगठन बनाया है। बता दें कि भूमकाल दिवस पर, 10 फरवरी को ये संगठन बना। इसे एसोसिएशन फॉर विक्टिम्स ऑफ माओइस्ट (अवोम) नाम दिया है। इसमें 200 से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं। ऐसा पहली बार है, जब नक्सलियों के विरुद्ध लोगों ने संगठित होकर काम करने और हथियार मुक्त बस्तर के लक्ष्य पर काम करने का निर्णय लिया है।

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सोशल मीडिया के जरिए मिली संगठन की सूचना

बताया जा रहा है कि फिलहाल इस संगठन के लोग बाहर आकर काम नहीं करेंगे। सोशल मीडिया के माध्यम से संगठन की सूचना पुलिस अधिकारियों और प्रशासन तक पहुंची है। ऐसे में एंटी नक्सल ऑपरेशन से जुड़े अधिकारी इसे अच्छी पहल बता रहे हैं। उनका मानना है कि पुलिस और सुरक्षा बलों की कार्रवाई व विकास कार्यों से लोगों में अब लोकतंत्र के प्रति आस्था बढ़ी है, इसलिए वे नक्सलियों के विरुद्ध खड़े होने की हिम्मत कर रहे हैं।

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पिछले 30 सालों से लोग नक्सलवाद से हैं पीड़ित 

बता दें कि बस्तर क्षेत्र के लोग करीब तीस सालों से नक्सलवाद से पीड़ित हैं। ये ऐसे लोग हैं, जिनके घरों में नक्सली जबरदस्ती रुकते और खाना खाते हैं। इन लोगों की मानें तो दो चक्कियों के बीच में पिसने की स्थिति है। यही वजह है कि किसी का पक्ष लेने के बजाय लोगों ने अपनी आवाज बंद कर ली थी। पिछले कुछ सालों में नक्सलियों के खिलाफ जिस तरह सुरक्षा बलों ने आक्रामक अभियान शुरू किया है। नए कैंप खोले जा रहे हैं और इन कैंप के जरिए विकास के काम हो रहे हैं। लोगों तक सड़क, बिजली जैसी सुविधाएं पहुंच रही है। मोबाइल के जरिए देश दुनिया में हो रहा विकास दिख रहा है, जबकि नक्सलियों के प्रभाव में वे विकास से दूर होते जा रहे थे। ऐसे में परिस्थितियों को देखते हुए अब लोग नक्सलियों के खिलाफ एकजुट होने की हिम्मत दिखा रहे हैं।

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नक्सल मुक्त और शांति पूर्ण बस्तर बनाने का लिया संकल्प

‘हम बस्तर से 200 से अधिक लोग हैं और हमने माओवादियों के पीड़ितों के लिए एक संघ (अवोम) का गठन किया है। हम सुरक्षा कारणों से खुले में नहीं आना चाहते। हम चुपचाप हिंसा सह रहे थे और हमने अपने परिवार को खो दिया है। हम सिर्फ शांति चाहते हैं और हथियार मुक्त बस्तर चाहते हैं, जब तक बाहरी लोग बंदूकें और हिंसा लेकर नहीं आए और हमारी जमीन को बर्बाद नहीं कर दिया। आइए हम नक्सल मुक्त और शांति पूर्ण बस्तर बनाएं।’

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लोगों ने तंग आकर उठाया ये कदम 

कहा जाता है कि पिछले चार दशक से नक्सलियों ने बस्तर क्षेत्र के लोगों को न सिर्फ दिग्भ्रमित और गुमराह किया, बल्कि निर्दोष ग्रामीणों की हत्या, लूटपाट, बच्चों को जबरदस्ती संगठन में भर्ती कर उनका शोषण किया है। इन वर्षों में नक्सल घटनाओं में 1700 से ज्यादा लोगों व जन प्रतिनिधियों की जान चली गई। नक्सलियों की जन विरोधी और विकास विरोधी गतिविधियों से लोग तंग आ चुके हैं। इसके विरोध में वे आवाज उठा रहे हैं। बस्तर में शांति स्थापित करने के लिए पुलिस संघर्ष कर रही है। इन सबसे से तंग आकर लोगों ने इसके खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत जुटाई।