MBBS-BDS प्रवेश में मनमाना वर्गीकरण... हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब

छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने एमबीबीएस-बीडीएस में एडमिशन के लिए दिए जाने वाले विशेष सशस्त्र बल कोटा में मनमाना वर्गीकरण किए जाने पर नाराजगी जताई है।

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Kanak Durga Jha
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Arbitrary classification MBBS BDS admission High Court response from Central Government
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छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने एमबीबीएस-बीडीएस में एडमिशन के लिए दिए जाने वाले विशेष सशस्त्र बल कोटा (जिसे रक्षा/पूर्व सैनिक कोटा भी कहा जाता है) में मनमाना वर्गीकरण किए जाने पर नाराजगी जताई है। अदालत ने केंद्र सरकार से 28 अगस्त तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।

मामले की अगली सुनवाई 29 अगस्त को होगी। यह मामला भूमिका श्रीवास नामक उम्मीदवार की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान सामने आया। सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति विभू दत्त गुरु की युगलपीठ ने की।


याचिकाकर्ता ने रखा अपना पक्ष

याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता आशुतोष त्रिवेदी ने दलील दी कि विशेष सशस्त्र बल कोटा एक स्वतंत्र श्रेणी है, जिसे सशस्त्र बल कर्मियों की सेवाओं को मान्यता देने और उनके बच्चों को लाभ प्रदान करने के उद्देश्य से बनाया गया है।

उन्होंने कहा कि इस कोटे के भीतर जाति या समुदाय (जैसे एससी, एसटी, ओबीसी, ईडब्ल्यूएस) के आधार पर उप-वर्गीकरण करना न केवल कानूनन गलत है, बल्कि कोटे की मूल भावना और उद्देश्य के भी विपरीत है। वकील का कहना था कि यह कोटा पूरी तरह प्राथमिकता-आधारित प्रणाली पर आधारित है, जिसमें सीटों का आवंटन सक्षम प्राधिकारी द्वारा तय क्रम के अनुसार होना चाहिए। जाति-आधारित विभाजन करना संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन है।


दस्तावेज प्रस्तुत करने के कोर्ट ने दिए निर्देश


सुनवाई के दौरान अदालत ने इस मुद्दे पर कड़े सवाल उठाए। इस पर भारत सरकार की ओर से उपस्थित उप सालिसिटर जनरल ने कहा कि उन्हें आवश्यक निर्देश प्राप्त करने के लिए कुछ समय दिया जाए। युगलपीठ ने स्पष्ट किया कि यदि कोई स्वीकारोक्ति होगी तो वह याचिका के अंतिम निर्णय के अधीन होगी।

अदालत ने निर्देश दिया कि केंद्र सरकार अगली सुनवाई तक नीति संबंधी दस्तावेज प्रस्तुत करे। उच्च न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 29 अगस्त 2025 की तारीख तय की है। अदालत ने साथ ही केंद्र सरकार, नेशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी), नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) और डायरेक्टरेट जनरल आफ आर्म्ड फोर्स मेडिकल सर्विसेज को निर्देश दिया है कि कोटे में प्राथमिकता-आधारित प्रणाली का सख्ती से पालन सुनिश्चित करें और जाति-आधारित वर्गीकरण से बचें।

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