छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में तैनात आदिवासी विकास विभाग के सहायक आयुक्त आनंदजी सिंह के खिलाफ गंभीर आरोप सामने आए हैं। दंतेवाड़ा जिले की एक महिला ने उनके खिलाफ बलात्कार, शादी का झांसा, और मानसिक प्रताड़ना का केस दर्ज कराया है। महिला का आरोप है कि अधिकारी ने सात वर्षों तक उसे शादी का झांसा देकर शारीरिक शोषण किया, और तीन बार गर्भपात भी कराया।
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पहचान दंतेवाड़ा में, रिश्ता बीजापुर तक पहुंचा
पीड़िता मूल रूप से दंतेवाड़ा जिले के गीदम क्षेत्र की निवासी है। वह पहले से शादीशुदा है, लेकिन पति से संबंध खराब होने के कारण अलग रह रही थी। बताया गया है कि तलाक की प्रक्रिया चल रही है। इसी दौरान उसकी मुलाकात आनंदजी सिंह से हुई, जब वे दंतेवाड़ा में पदस्थ थे।
पहले दोनों में दोस्ती हुई, जो धीरे-धीरे प्यार में बदल गई। महिला ने बताया कि आनंदजी सिंह ने शादी का वादा कर उससे 2018 से 2025 तक लगातार शारीरिक संबंध बनाए। इस दौरान तीन बार गर्भपात कराया गया।
शादी से किया इनकार
महिला का आरोप है कि जब उसने बार-बार शादी के लिए कहा, तो अधिकारी ने इनकार कर दिया। इसके बाद महिला ने 26 मई 2025 को गीदम थाने में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने तत्काल केस दर्ज कर लिया है।
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पुलिस ने दर्ज किया मामला, जांच शुरू
गीदम थाना प्रभारी विजय पटेल ने बताया, “महिला की शिकायत पर सहायक आयुक्त आनंदजी सिंह के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया है। मामले की जांच की जा रही है।”
दंतेवाड़ा के एएसपी आरके बर्मन ने भी पुष्टि की कि मामले की विवेचना जारी है। आनंदजी सिंह पर BNS की धारा 64(1) (रेप) और 351(2) (धोखाधड़ी और विश्वासघात से संबंधित) के तहत प्रकरण दर्ज हुआ है।
अधिकारी का पक्ष नहीं मिल पाया, फोन बंद
महिला की शिकायत पर जब मीडिया ने सहायक आयुक्त आनंदजी सिंह से संपर्क करने की कोशिश की, तो उनका फोन बंद मिला। वे फिलहाल पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं।
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पहले भी जांच के घेरे में आ चुके हैं आनंदजी सिंह
गौरतलब है कि मार्च 2025 में ACB (भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो) और EOW (आर्थिक अपराध शाखा) ने आनंदजी सिंह के जगदलपुर स्थित आवास और उनके रिश्तेदारों के घरों में दबिश दी थी। 13 अफसरों की टीम रायपुर से पहुंची थी और जांच की गई थी। इस कार्रवाई के दौरान कई संदिग्ध दस्तावेज और संपत्ति से जुड़ी जानकारियां जुटाई गई थीं।
समाज और सिस्टम के लिए एक गंभीर सवाल
इस घटना ने न सिर्फ प्रशासनिक प्रणाली की पारदर्शिता पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि महिलाओं की सुरक्षा और न्याय प्रणाली की संवेदनशीलता पर भी बहस को जन्म दिया है। यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो यह एक उच्च पदस्थ अधिकारी द्वारा की गई सत्ता और भरोसे की गंभीर लूट होगी।
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