रावतपुरा मेडिकल कॉलेज मामले में 6 आरोपियों की जमानत खारिज, CBI की सख्त कार्रवाई

छत्तीसगढ़ के रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च से जुड़े रिश्वतकांड में रायपुर की CBI विशेष कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। कोर्ट ने 55 लाख रुपये की रिश्वत के मामले में गिरफ्तार 6 आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी है।

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Krishna Kumar Sikander
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Bail of 6 accused rejected in Rawatpura Medical College case the sootr
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छत्तीसगढ़ के नवा रायपुर में रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च (SRIMSR) से जुड़े रिश्वतकांड में रायपुर की CBI विशेष कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने 55 लाख रुपये की रिश्वत के मामले में गिरफ्तार 6 आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी है। इनमें तीन डॉक्टर डॉ. मंजप्पा सीएन, डॉ. चैत्रा एमएस, और डॉ. अशोक शेलके के साथ अतुल कुमार तिवारी, सथीशा ए, और रविचंद्र के. शामिल हैं। इस मामले की अगली सुनवाई 4 अगस्त 2025 को होगी। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने इन आरोपियों को मेडिकल कॉलेज को फर्जी तरीके से मान्यता दिलाने के लिए रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया था।

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क्या है 55 लाख की रिश्वत और NMC निरीक्षण का मामला 

यह रिश्वतकांड तब सामने आया जब 30 जून 2025 को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) की चार सदस्यीय टीम SRIMSR, नवा रायपुर में निरीक्षण के लिए पहुंची। इस टीम में डॉ. मंजप्पा सीएन (प्रोफेसर और ऑर्थोपेडिक्स HOD, मंड्या इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, कर्नाटक), डॉ. चैत्रा एमएस, और डॉ. अशोक शेलके शामिल थे। चौथे सदस्य का नाम अभी तक उजागर नहीं किया गया है।

CBI के अनुसार, इस निरीक्षण दल ने SRIMSR के निदेशक अतुल कुमार तिवारी के साथ मिलकर एक साजिश रची। कॉलेज की कमियों को नजरअंदाज कर अनुकूल निरीक्षण रिपोर्ट देने के लिए 55 लाख रुपये की रिश्वत की मांग की गई, जिसे हवाला चैनल के जरिए बेंगलुरु में लेन-देन किया गया।

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CBI की रणनीति से रंगेहाथों पकड़े गए आरोपी

CBI को विश्वसनीय जानकारी मिली थी कि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, नई दिल्ली, और NMC के कुछ अधिकारी निजी मेडिकल कॉलेजों के साथ मिलकर भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। इन अधिकारियों ने गोपनीय दस्तावेज और संवेदनशील जानकारी लीक कर निरीक्षण प्रक्रिया में हेरफेर किया। इस सूचना के आधार पर CBI ने एक सुनियोजित जाल बिछाया और 40 से अधिक स्थानों पर छापेमारी की।

छत्तीसगढ़, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, और महाराष्ट्र में की गई इन छापेमारियों के दौरान 6 आरोपियों को रिश्वत का लेन-देन करते हुए रंगेहाथों गिरफ्तार किया गया।CBI के अनुसार, डॉ. मंजप्पा सीएन ने सथीशा ए को हवाला ऑपरेटर के माध्यम से 55 लाख रुपये इकट्ठा करने का निर्देश दिया था। छापेमारी में महत्वपूर्ण दस्तावेज और डिजिटल साक्ष्य भी जब्त किए गए, जो इस भ्रष्टाचार नेटवर्क की गहराई को उजागर करते हैं।

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भ्रष्टाचार का व्यापक नेटवर्क

CBI की जांच में सामने आया है कि यह रिश्वतकांड केवल SRIMSR तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक बड़े भ्रष्टाचार नेटवर्क का हिस्सा है, जो कई राज्यों के मेडिकल कॉलेजों में फैला हुआ है। जांच एजेंसी ने पाया कि स्वास्थ्य मंत्रालय और NMC के कुछ अधिकारियों ने निजी मेडिकल कॉलेजों के साथ मिलकर गोपनीय जानकारी लीक की, फर्जी निरीक्षण रिपोर्ट तैयार कीं, और बायोमेट्रिक उपस्थिति में हेरफेर किया।

कुछ मामलों में तो डमी फैकल्टी और फर्जी मरीजों को पेश करके कॉलेजों की कमियों को छिपाया गया।CBI ने इस मामले में 34 लोगों और एक अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ FIR दर्ज की है, जिसमें SRIMSR के चेयरमैन रविशंकर महाराज उर्फ रावतपुरा सरकार और निदेशक अतुल कुमार तिवारी के नाम भी शामिल हैं। यह मामला चिकित्सा शिक्षा प्रणाली में गहरे भ्रष्टाचार को उजागर करता है, जिसमें नियमों की धज्जियां उड़ाकर निजी कॉलेजों को मान्यता दिलाई गई।

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कोर्ट में जमानत याचिका खारिज

रायपुर की CBI विशेष कोर्ट में 6 आरोपियों को पेश किया गया, जहां उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। बचाव पक्ष के वकील ने दावा किया कि डॉक्टरों ने ईमानदारी से निरीक्षण किया और रिश्वत का आरोप गलत है। हालांकि, CBI ने ठोस सबूत पेश किए, जिसमें रंगेहाथों पकड़े जाने और हवाला के जरिए लेन-देन के प्रमाण शामिल थे। कोर्ट ने इन तर्कों को खारिज करते हुए सभी आरोपियों की जमानत याचिका रद्द कर दी। अगली सुनवाई 4 अगस्त 2025 को होगी, जिसमें मामले की और गहराई से जांच की जाएगी।

चिकित्सा शिक्षा में भ्रष्टाचार पर प्रहार

CBI ने इस मामले को चिकित्सा शिक्षा प्रणाली में भ्रष्टाचार की जड़ तक पहुंचने के लिए अहम बताया है। जांच में पाया गया कि SRIMSR में बुनियादी ढांचे और शैक्षणिक मानकों की कमी थी, फिर भी अनुकूल रिपोर्ट देने के लिए रिश्वत का लेन-देन किया गया। CBI ने 38.38 लाख रुपये एक निरीक्षण दल के सहयोगी से और 16.62 लाख रुपये एक अन्य अधिकारी के आवास से बरामद किए। इस मामले में आगे की पूछताछ और दस्तावेजों की फॉरेंसिक जांच जारी है।

सामाजिक और प्रशासनिक प्रभाव

यह रिश्वतकांड चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में पारदर्शिता और गुणवत्ता की गंभीर चुनौतियों को उजागर करता है। निजी मेडिकल कॉलेजों को मान्यता देने की प्रक्रिया में इस तरह की अनियमितताएं न केवल शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित करती हैं, बल्कि मरीजों की सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर भी सवाल उठाती हैं। CBI की इस कार्रवाई को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत कदम माना जा रहा है, और यह अन्य मेडिकल कॉलेजों और नियामक संस्थानों के लिए एक चेतावनी भी है।

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