छत्तीसगढ़ कांकेर के बंशीलाल नेताम ( Bansilal Netam ) की माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने गए थे। चढ़ाई के दौरान बंशीलाल कि अचानक तबीयत बिगड़ गई, उन्हें नेपाल के अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
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एवरेस्ट फतह करना चाहते थे बंशीलाल...
छत्तीसगढ़ के शांतिदूत बंसीलाल अप्रैल महीने में माउंट एवरेस्ट की 8848 मीटर ऊंचे शिखर के फतेह पर निकले थे। उन्होंने 19 मई 2024 तक 6400 मीटर पूरा कर लिया था। 20 मई को माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई के दौरान अचानक उनकी तबियत बिगड़ गई। उन्हें बचावकर्मियों ने नेपाल के HAMS अस्पताल में भर्ती कराया था। जहां करीब एक हफ्ते के बाद इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। 46 वर्षीय बंशीलाल एथलीट, बाइक राइडर और छत्तीसगढ़ पुलिस कमांडो ट्रेनर भी थे।
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एवरेस्ट फतह के लिए ली थी परमिशन
DSP अविनाश ठाकुर ने बताया कि बंसीलाल नेताम पुलिस विभाग में कांस्टेबल के पद पर पदस्थ थे। जो कि माउंट एवरेस्ट अभियान के लिए 70 दिनों की परमिशन लेकर विभाग से गए हुए थे।
वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज है नाम
बता दें कि बंशीलाल ने बहुत सी उपलब्धियां हासिल की है। साल 2003 में खेलदूत के रूप में पूरे भारत का भ्रमण कर चुके है। साल 2018 में साइकिलिंग करते हुए उन्होंने चारों महानगरों को जोड़ने वाली स्वर्णिम चतुर्भुज जिसकी दूरी 6000 किलोमीटर है, उसे 16 दिन 16 घंटे में पूरा किया है। जिनका नाम गोल्डन बुक ऑफ वल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है। वहीं, उन्होंने साल 2018 में ही खेल क्षेत्र के अध्यन के लिए पूरे भारत की 29000 हजार किलोमीटर की लंबी यात्रा बुलेट से तय की थी।
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बस्तर के बच्चों के लिए थे मार्गदर्शक
बंशीलाल निःशुल्क ट्रेनिंग दिया करते थे। उनकी इच्छा थी कि बस्तर के जंगलों से हजारों की तादात में बच्चे निकल कर खेल के क्षेत्र में आगे आए। जिससे राज्य, राष्ट्र ही नहीं बल्कि अंतराष्ट्रीय स्तर पर बस्तर का नाम स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो जाये।
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2006 से पुलिस विभाग में पदस्थ
खेल के प्रति रुचि रखने वाले बंशीलाल नेताम पुलिस की साल 2006 में पुलिस विभाग में बतौर PTI के पद पर बीजापुर में उनकी पहली पोस्टिंग हुई। साल 2019 में बीजापुर से कांकेर ट्रांसफर होने के बाद उन्होंने अपने सपनो को रंग देने की सोची। उन्होंने जिला मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर निःशुल्क गोटूल एकेडमी की शुरुआत की। पैसों की कमी बाधा बनने लगी तो प्रकृति को अपना औजार बनाया और प्रशिक्षण देना शुरु किया था।