/sootr/media/media_files/2025/10/14/bastar-caf-jawan-rape-case-cg-highcourt-verdict-the-sootr-2025-10-14-15-40-36.jpg)
Jagdalpur.छत्तीसगढ़ के बस्तर में CAF (छत्तीसगढ़ आर्म्ड फोर्स) जवान रूपेश कुमार पुरी को हाईकोर्ट (CG High Court) ने रेप के आरोप में 10 साल की सजा से बरी कर दिया। न्यायमूर्ति नरेश कुमार चंद्रवंशी की सिंगल बेंच ने कहा कि यह मामला प्रेम संबंध का था, न कि जबरन यौन शोषण, क्योंकि पीड़िता बालिग थी और अपनी मर्जी से आरोपी के साथ रही।
मामले का पूरा विवरण
बस्तर के निवासी रूपेश कुमार पुरी (25) के खिलाफ साल 2020 में शिकायत दर्ज की गई थी (Bastar CAF soldier rape case)। पीड़िता ने आरोप लगाया कि उसकी शादी 28 जून 2020 को तय हुई थी, लेकिन 27 जून को रूपेश ने उसे शादी का झांसा देकर अपने घर ले जाकर 2 महीने तक रखा और बाद में धमकाकर निकाल दिया।
पुलिस ने इस पर धारा 376(2)(एन) के तहत मामला दर्ज किया। फास्ट ट्रैक कोर्ट जगदलपुर ने 21 फरवरी 2022 को रूपेश को 10 साल की सजा और 10 हजार रूपए जुर्माना सुनाया।
अपील और बचाव पक्ष के तर्क
रूपेश ने छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में अपील करते हुए कहा कि पीड़िता और वह 2013 से प्रेम संबंध में थे। पहले भी पीड़िता ने उसके खिलाफ छेड़छाड़ का मामला दर्ज कराया था, जिसमें वह बरी हो चुका था। वकील ने बताया कि पीड़िता अपनी मर्जी से आरोपी के घर गई थी और यह मामला प्रेम संबंध का है, न कि दुष्कर्म का।
पीड़िता की ओर से तर्क
बस्तर CAF जवान रेप केस में पीड़िता ने आरोप लगाया कि रूपेश ने उसे शादी का झांसा देकर अपने घर में 2 महीने तक रखा और बाद में छोड़ दिया। हालांकि, हाईकोर्ट ने जांच के दौरान पाया कि पीड़िता ने खुद फेसबुक पर आरोपी को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी थी और दोनों के बीच लगातार बातचीत होती रही। अदालत ने यह भी माना कि यह मामला जबरन यौन शोषण का नहीं, बल्कि आपसी सहमति और प्रेम संबंध का था।
बस्तर CAF जवान रेप केस को 5 पॉइंट्स में समझें:हाईकोर्ट ने आरोपी को बरी किया – CAF जवान रूपेश कुमार पुरी को रेप के आरोप में सुनाई गई 10 साल की सजा रद्द कर दी गई। मामला प्रेम संबंध का था – अदालत ने माना कि पीड़िता बालिग थी और अपनी मर्जी से आरोपी के साथ रही। फास्ट ट्रैक कोर्ट का फैसला रद्द – 21 फरवरी 2022 को सुनाई गई सजा को हाईकोर्ट ने साक्ष्यों और मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर रद्द किया। साक्ष्य और गवाहियां – पीड़िता ने खुद स्वीकार किया कि उसने आरोपी को फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी और दोनों के बीच लगातार बातचीत होती रही। शादी का वादा दुष्कर्म नहीं बनाता – हाईकोर्ट ने कहा कि केवल शादी का झांसा देकर बने संबंध को जबरन यौन शोषण नहीं कहा जा सकता, जब तक यह साबित न हो कि शादी का इरादा शुरू से नहीं था। |
हाईकोर्ट का फैसला
हाईकोर्ट ने सभी साक्ष्यों और गवाहियों का परीक्षण करते हुए कहा पीड़िता बालिग थी और अपनी मर्जी से आरोपी के साथ रही। मेडिकल और FSL रिपोर्ट में दुष्कर्म के कोई ठोस प्रमाण नहीं मिले। केवल शादी के वादे पर बने संबंध को दुष्कर्म नहीं कहा जा सकता जब तक यह साबित न हो कि आरोपी ने शुरू से शादी करने का इरादा नहीं रखा था। इस आधार पर न्यायमूर्ति ने फास्ट ट्रैक कोर्ट का फैसला रद्द कर दिया और रूपेश को सभी आरोपों से बरी किया।