सिविल जज भर्ती में बार काउंसिल रजिस्ट्रेशन अनिवार्य,छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने खारिज की याचिकाएं

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सिविल जज भर्ती पात्रता को लेकर दाखिल सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। लेकिन फैसले में ऐसी सख्त शर्तें बरकरार रखी गई हैं, जिनसे कई उम्मीदवारों का सपना अधूरा रह जाएगा… आखिर क्या है पूरा मामला?

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Harrison Masih
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Civil judge recruitment verdict:छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सिविल जज (जूनियर डिवीजन) भर्ती 2023-24 से जुड़ी पात्रता शर्तों को चुनौती देने वाली सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने साफ कहा कि भर्ती प्रक्रिया वही होगी जो विज्ञापन की तारीख पर लागू नियमावली के अनुसार है। यह फैसला मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और न्यायमूर्ति बीडी गुरु की खंडपीठ ने सुनाया।

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मामला क्या है?

23 दिसंबर 2024 को छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग ने सिविल जज भर्ती विज्ञापन जारी किया था। इसमें स्पष्ट उल्लेख था कि उम्मीदवार के पास मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री होना चाहिए। साथ ही, उसका राज्य बार काउंसिल में एडवोकेट्स एक्ट, 1961 के तहत वकील के रूप में नामांकन अनिवार्य है। इसी शर्त को लेकर कई उम्मीदवारों ने अदालत का दरवाजा खटखटाया।

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याचिकाकर्ताओं की दलील

प्रियंका ठाकुर, सुधांशु सैनिक और अन्य उम्मीदवारों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। उनका तर्क था कि यह शर्त संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 का उल्लंघन करती है। लोक अभियोजन अधिकारी भी अदालत में वकीलों की तरह ही काम करते हैं, लेकिन सरकारी नौकरी के कारण वे बार काउंसिल में नामांकन नहीं करा पाते।

इसी तरह अन्य सरकारी सेवा में कार्यरत विधि स्नातक भी रजिस्ट्रेशन से वंचित रहते हैं। सुप्रीम कोर्ट के दीपक अग्रवाल बनाम केशव कौशिक मामले में अभियोजन अधिकारियों को वकीलों के समकक्ष माना गया है। उन्होंने यह भी कहा कि 21 फरवरी 2025 को संशोधित विज्ञापन में सरकारी कर्मचारियों को आयु सीमा में छूट दी गई, लेकिन बार काउंसिल रजिस्ट्रेशन की शर्त बरकरार रखी गई। यह विरोधाभास पैदा करता है।

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हाईकोर्ट का फैसला

हाईकोर्ट (CG High Court) ने सुप्रीम कोर्ट के ऑल इंडिया जजेस एसोसिएशन बनाम यूनियन ऑफ इंडिया मामले का हवाला देते हुए कहा भर्ती प्रक्रिया उसी नियम के अनुसार होगी, जो विज्ञापन की तारीख (23 दिसंबर 2024) को लागू थी। इसलिए, 21 फरवरी 2025 के संशोधन का कोई असर नहीं होगा। फ्रेश लॉ ग्रेजुएट्स को सीधे जज बनाना उचित नहीं है। उम्मीदवारों को कम से कम तीन साल की प्रैक्टिस होनी चाहिए, ताकि वे न्यायालय की कार्यप्रणाली को समझ सकें। इस शर्त से न्यायिक सेवा की गुणवत्ता बनी रहेगी।

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राज्य सरकार का पक्ष

राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने कहा याचिकाकर्ता यह साबित नहीं कर पाए कि नियमों में संवैधानिक उल्लंघन हुआ है। बार काउंसिल रजिस्ट्रेशन की शर्त न्यायिक सेवा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए अनिवार्य है। इस फैसले के बाद स्पष्ट हो गया है कि छत्तीसगढ़ सिविल जज भर्ती में वही उम्मीदवार पात्र होंगे, जिनके पास लॉ डिग्री के साथ-साथ बार काउंसिल में रजिस्ट्रेशन और कम से कम तीन साल की प्रैक्टिस होगी।

FAQ

छत्तीसगढ़ सिविल जज भर्ती के नियम क्या हैं?
छत्तीसगढ़ सिविल जज (जूनियर डिवीजन) भर्ती में उम्मीदवार के पास मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री, राज्य बार काउंसिल में एडवोकेट्स एक्ट 1961 के तहत रजिस्ट्रेशन और कम से कम तीन साल की प्रैक्टिस अनिवार्य है।
जज भर्ती 2023-24 में बार काउंसिल रजिस्ट्रेशन क्यों अनिवार्य है?
हाईकोर्ट ने कहा कि न्यायिक सेवा की गुणवत्ता बनाए रखने और कोर्ट की कार्यप्रणाली समझने के लिए उम्मीदवारों का राज्य बार काउंसिल में वकील के रूप में पंजीकृत होना जरूरी है।
फ्रेश लॉ ग्रेजुएट सीधे सिविल जज बन सकते हैं?
नहीं, हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि फ्रेश लॉ ग्रेजुएट सीधे जज नहीं बन सकते। उम्मीदवारों के पास कम से कम तीन साल की वकालत का अनुभव होना चाहिए।
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